RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
समय धीरे-धीरे लेकिन बड़े मज़े से आगे बढ़ रहा था, रंगीली को अब लाला जी के लंड की ज़रूरत भी महसूस नही होती थी, और वैसे भी उसपर तो आजकल उनकी छोटी बहू कब्जा जमाए हुए थी…!
लाजो के लिए भागते भूत की लंगोटी ही सही वाली बात थी, बच्चा हो या ना हो उसे अब इससे कोई ज़्यादा फरक नही पड़ना था…
कल्लू की लुल्ली मिले या ना मिले क्या फरक पड़ना था, ससुर के लंड में जब तक जान वाकी थी तबतक उसकी चूत की प्यास बुझती रहनी थी…
अब जब ससुर कब्ज़े में है तब तक उसे इस हवेली से कोई हिला भी नही सकता था, सो वो निश्चिंत होकर अपने ससुर के लंड के झूले में झूलती रहती थी…!
उधर रंगीली अपने पति रामू के प्रति अपना प्रेम बढ़ाती जा रही थी, अब वो अपने परिवार को भी समय देने लगी थी…!
पति रामू से अधूरी प्यास वो अपने शेर के लंड से बुझा लेती थी, और उसका शेर बेटा.
जबसे उसे चूत का चस्का लगा था, वो एक हल्के से इशारे पर ही चूत की खुसबु सूँघकर उसकी तरफ खिंचा चला जाता था…,
उसकी माँ के साथ-साथ सुषमा भी उसके प्यार के ऊडनखटोले में मन-मुतविक हवाई सफ़र पर निकल पड़ती थी…!
सुषमा दिनो-दिन शंकर के नित नये तरीक़ों से उसके बलिश्त लंड की धार से निखरती जा रही थी, हर समय उसके चेहरे पर खुशी व्याप्त रहती थी…!
उसकी इस खुशी को देखकर जहाँ सेठ-सेठानी ये सोचकर खुश थे कि शायद इलाज़ की वजह से उनका बेटा बहू को खुश रखने लगा है, वहीं लाजो इसके पीछे का राज जानने की फिराक़ में जल-भुन रही थी…!
इन सब घटनाक्रम के चलते, शंकर के एग्ज़ॅम का समय आ पहुँचा, उसने थोड़ा समय देकर अपने एग्ज़ॅम की तैयारी की, जिसमें सुषमा ने भी उसकी मदद की…!
एग्ज़ॅम होने तक उसने उसे ज़्यादा परेशान नही किया, लेकिन आख़िरी पेपर की रात उन दोनो में से ना कोई सोया और ना दूसरे को सोने दिया…!
एक राउंड अपनी माँ को चोदकर वो सीधा सुषमा के पास चला गया था जो उसके बचे-खुचे माल से ही सराबोर होती रही…!
एग्ज़ॅम का रिज़ल्ट आने में अभी समय था, उससे पहले वो दूसरी परीक्षा में अब्बल नंबरों से पास हो गया…, सुषमा गर्भवती हो गयी…!
पूरी हवेली में खुशी की लहर दौड़ गयी, बहू को उम्मीद से देखकर सेठ-सेठानी की खुशी का ठिकाना नही था…, सेठानी तो सुषमा पर अपना पूरा प्यार उडेलने लगी.. !
वहीं लाजो के अरमानो पर जैसे साँप ही लोट गया, वो अंदर ही अंदर सुलग उठी, उसे ये समझ नही आ रहा था, कि आख़िर ये चमत्कार हुआ कैसे…?
कल्लू की लुल्ली में अभी भी ज़्यादा फरक नही आया था, ये बात वो भली भाँति समझ रही थी, फिर ये हुआ तो हुआ कैसे…?
सुषमा जैसी अच्छे संस्कार वाली बहू किसी और से संबंध बना सकती है इस विषय में तो कोई सोच भी नही सकता था.., यहाँ तक कि छिनाल लाजो भी नही…
सेठ धरमदास को अपने लंड की औकात अब पता चल चुकी थी, सो उन्होने लाजो को समझाया कि अब वो उससे संबध ज़्यादा ना रखते हुए कल्लू के पास ज़्यादा जाए तो हो सकता है उसे भी ये खुशी नसीब हो जाए…!
लेकिन वो ये बात मानने को राज़ी ही नही थी, तो उन्होने उसे समझाया, कि देखो भले ही कल्लू का हथियार छोटा ही सही, लेकिन इलाज़ के कारण उसका बीज़ कारगर हो गया है, इसलिए सुषमा बहू माँ बन सकी है…!
इसपर लाजो ने ज़्यादा बहस करना उचित नही समझा, क्योंकि जबतक वो इसके पीछे की असल वजह का पता नही लगा लेती, तब तक कुछ कहना ठीक नही होगा,
इसलिए उसने अपने ससुर की बात इस शर्त पर मान ली कि कभी-कभार वो उसे अपने लंड की सेवायें प्रदान करते रहेंगे…!
इस पर भला लाला जी को क्या आपत्ति हो सकती थी, भले ही उमर ढल रही थी लेकिन कभी कभार चूत तो उन्हें भी चाहिए थी सो वो उसकी ये शर्त खुशी-खुशी मान गये…!
उधर कल्लू भी हैरानी के साथ-साथ खुश था, कि चलो इलाज़ का कुछ तो फ़ायदा हुआ, ईश्वर ने चाहा तो सुषमा लड़का ही पैदा करेगी, और इस घर को उसका वारिस मिल जाएगा…!
और अब इसी खुशी में वो और ज़्यादा पीकर आने लगा….!
कुछ दिनो बाद शंकर का रिज़ल्ट भी आ गया, और वो अच्छे नंबरों से 12वी पास कर गया…, उसने साइन्स में आगे पढ़ने के लिए अपने परिवार में बात चलाई,
कस्बे के कॉलेज में केवल आर्ट्स सब्जेक्ट्स थे इसलिए साइन्स या कॉमर्स पढ़ने के लिए शहर ही जाना पढ़ता…!
अब शहर का रहना, अकेला लड़का कैसे रहेगा, उपर से इतना पैसा भी उनके पास नही था कि वो उसका अड्मिशन का भी खर्चा उठा सकें…, इसके लिए रामू ने लाला जी से मदद लेने की सोची…!
रंगीली नही चाहती थी कि शंकर शहर जाकर रहे, उसने उसके लिए कुछ अलग ही सोच रखा था, लेकिन वो चुप रही और उसने बेटे के भविष्य के लिए जो भी उचित हो उसका जिम्मा अपने परिवार के उपर छोड़ दिया…!
रामू ने लाला जी से बात चलाते हुए कहा – सेठ जी, हम चाहते हैं, कि शंकर और आगे पढ़े, उसके लिए उसे शहर जाकर बड़े कॉलेज में दाखिला करवाना है…, अगर आपकी मेहरबानी हो जाए तो काम आसान हो जाएगा…!
सेठ धरमदास तो कतयि ये नही चाहते थे कि शंकर उनकी नज़रों से डोर रहे, और वैसे भी कल्लू जैसे नकारा बेटे पर उन्हें बिल्कुल भी विश्वास नही था,
जबसे शंकर ने कल्लू को कॉलेज के लड़कों से बचाया था, तबसे तो उनका
भरोसा उसके उपर और ज़्यादा बढ़ गया था,
वो समझ चुके थे, कि वो जबतक उनके पास है उसके परिवार पर कभी आँच नही आ सकती इसलिए उन्होने रामू की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा…
देखो रामू, तुम शंकर के भविश्य की चिंता बिल्कुल मत करो, वो एक तरह से हमारे घर का ही सदस्य है, आगे चलकर हम उसे अपने कारोबार की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपने वाले हैं…!
और वैसे भी जैसे तैसे करके तुमने पुराना कर्ज़ चुकता किया है, अब और आगे कर्ज़ लेकर क्यों मुसीबत में पड़ना चाहते हो…!
|