Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 02:01 PM,
#80
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर की इस हरकत से सुप्रिया बुरी तरह शरमा गयी, उसके सीने पर प्यार से धौल जमाकर बोली – कितने शरारती हो गये हो तुम…!

छोटे-छोटे बालों से घिरी उसकी छोटी सी चूत, जिसकी पतली-पतली लेकिन थोड़ी सी फूली हुई दोनो फांकों के बीच की दो इंच लंबी दरार को देख कर उसका लंड किसी विषधर नाग की तरह फनफनाने लगा……!!

शंकर ने उसकी आँखों में देख कर कहा – आअहह…क्या मस्त है ये, आप कहो तो इसका रस टेस्ट करके देखूं दीदी..?

शंकर की ऐसी कामुकता भरी बात सुनकर उसका शर्म के मारे बुरा हाल था, उसके चौड़े चक्ले सीने में मुँह छुपाकर बोली – मुझे नही पता, तुम्हें जो करना है वो करो…!

शंकर ने मुस्कुरा कर उसे फिर से लिटा दिया, और उसके होंठों को चूमते हुए पूरे बदन पर अपने होंठों की छाप छोड़ते हुए उसकी रसीली चूत पर जा पहुँचा…

उसकी छोटी सी चूत को अपने बड़े से हाथ से सहलाया, फिर उसे अपनी मुट्ठी में भींच लिया…!

सुप्रिया की मानो जान ही चूत के रास्ते उसके हाथ में समा गयी हो….आहह… भरते हुए उसने शंकर की कलाई थाम ली, और सिसकते हुए बोली –

इतना मत तडपाओ शंकर… मेरे रजाआ… वरना मे मर जाउन्गि, प्लीज़ जल्दी कुछ करो अब..…

शंकर उसके कमरस से भीगे हुए अपने हाथ को चाटते हुए बोला, सफ़र अभी बहुत लंबा है मेरी बुल-बुल… तुम तो अभी से मैदान छोड़ने लगी…!

ये कह कर उसने अपनी जीभ से उसकी चूत की उभरी हुई फांकों को चाट लिया…

सुप्रिया तो जैसे ऊडनखटोले में बैठ कर हवाओं की शैर करने लगी.., उसने अपने आप को शंकर के हवाले कर दिया…, ऐसे सुख की कामना उसने कभी सपने में भी नही की थी…!

उसकी फांकों के बीच अपनी जीभ की नोक से कुरेदते हुए उसका एक हाथ उसकी चुचियों से खेल रहा था, दोहरी मार से सुप्रिया का पूरा शरीर भूकंप में आए झटके की तरह काँपने लगा,

फिर वो उसके भज्नासे को अपने होंठों में दबाकर चचोर्ते हुए जैसे ही उसने अपनी एक उंगली उसकी चूत के छेद में डालकर अंदर बाहर की, सुप्रिया की कमर अपने आप हवा में लहराने लगी,

अपनी चूत को उसके मुँह पर दबाकर वो काँपते हुए झड़ने लगी, शंकर उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठों को दबाकर उसका सारा रस चूस गया…!

फिर चटकारे लेकर अपने होंठों को अपनी जीभ से चाटते हुए भोली सी सूरत बनाकर बोला – आहह…बहुत मीठा है, मज़ा आ गया.., आपको कैसा लगा दीदी…???

सुप्रिया तो जैसे अपने होश में ही नही थी, उसकी ये बात सुनकर वो लपक कर उसकी छाती से लिपट गयी, और उसके होंठों को चूस्ते हुए बोली – जादूगर हो तुम…!

कहाँ से सीखा ये सब…?

उसने मुस्कुरा कर उसकी चुचि को सहलाते हुए कहा – ये राज की बात है.., आप बस मज़े लो और मुझे भी थोड़ा मज़ा दो, ये कहकर उसने अपना पाजामा नीचे सरका दिया, और अपना रोड जैसा कड़क लंड उसके होंठों से लगा दिया…!

शंकर के डंडे जैसे शख्त 7.5” लंबे और खूब मोटे खूँटे जैसे लंड को देख कर सुप्रिया की आँखें फटी रह गयी,

उसे देख कर अब उसे डर लगने लगा था, वो सोचने लगी, कि इतने तगड़े लंड को वो अपनी चूत में कैसे ले पाएगी, वो.. काँपते हाथों से उसे अपनी मुट्ठी में पकड़ने लगी, जो उसके छोटे से हाथ में भी नही समा पा रहा था..

पकड़ते ही उसकी गर्मी से और ज़्यादा घबरा गयी, और डरते हुए बोली – य..यईी.. इतना बड़ा कैसे है शंकर…?

शंकर ने चोन्क्ते हुए कहा – क्यों कभी लंड देखा नही आपने…?

वो – देखा तो है, पर इतना बड़ा नही, क्या इसे मे ले पाउन्गि अपने अंदर…!

शंकर ने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे उसके होंठों से लगाते हुए कहा – पहले इसे अपने मुँह में लो बेबी, ज़्यादा नाटक नही…, ये चूत चोदने के लिए ही होता है…

सुप्रिया शंकर के मुँह से ऐसे रफ शब्द सुनकर चोंक पड़ी, उसने उसकी आँखों में देखा, जिन्हें देखते ही उसे झूर-झूरी सी होने लगी…

शंकर की लाल –लाल आँखों में उसे वासना के अलावा और कुछ नही दिखा, वो समझ गयी, कि अब अगर इसको रोका, तो हो सकता है ये उसे ज़बरदस्ती चोद डाले,

अगर ऐसा हुआ तो ना जाने वो कितनी बुरी तरह से उसे रौंदेगा, सो उसने बिना कुछ कहे उसका लंड अपने मुँह में ले लिया, और चूसने की कोशिश करने लगी…!

शंकर को उसका लंड चूसना पसंद नही आया, सो कुछ देर में ही उसने उसे बाहर निकाल लिया, और उसकी टाँगों को अपनी जांघों पर चढ़ाकर अपने गरम सुपाडे को उसकी चूत के छेद पर रख कर हल्का सा धक्का देकर सुपाडे को अंदर कर दिया…!

सुप्रिया आने वाले संकट को झेलने के लिए अपने आपको तैयार करते हुए बोली – थोड़ा आराम से करना शंकर प्लीज़…, तुम्हारा ये बहुत बड़ा है..

शंकर ने प्यार से उसके निप्प्लो को सहलाते हुए कहा – आप इतना भी निर्दयी मत समझो मुझे.., मे आपको कुछ नही होने दूँगा..

ये कहकर उसने एक तगड़ा सा धक्का देकर अपना आधा लंड उसकी कसी हुई चूत में डाल दिया, उसे लगा जैसे वो पहली बार चुद रही हो,

सुप्रिया अपने दर्द को पीने की कोशिश में अपने होंठों को चबाने लगी, उसकी आँखों से पानी बहने लगा…!

वो कुछ देर पहले के उसके रौद्र रूप को देख कर डर गयी थी, इसलिए उसने कोई प्रतिरोध नही किया, लेकिन अपने आँसुओं को वो नही रोक पाई…!

शंकर को कुछ गड़बड़ लगी, वो वहीं थम गया, उसने उसके होंठों को चूमा, फिर उसके उभारों को सहलाते हुए बोला – क्या हुआ दीदी, आपको ज़्यादा दर्द है तो रहने दें..?

वो अपने दर्द पर काबू पाने की कोशिश करते हुए कराह कर बोली – आहह…नही शंकर, तुम आगे बढ़ो, मे कोशिश करती हूँ, झेल लूँगी…!

शंकर – लेकिन आपको इतना दर्द क्यों हो रहा है..? जैसे पहली बार चुद रही हो..,

सुप्रिया – ये समय इन बातों का नही है शंकर, प्लीज़ आगे बढ़ो, बातें बाद में.. ये कहकर उसने उसके होंठों को चूमकर अपनी आँखें बंद कर ली…!

शंकर ने एक बार अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला, उसे अपने लंड पर कुछ गरम-गरम सा महसूस हुआ, उसने नीचे नज़र डालकर देखा तो, उसे अपने लंड पर खून लगा हुआ नज़र आया…!

वो आश्चर्य में पड़ गया और सोचने लगा, शादी के 3 साल बाद भी क्या ये अभी तक कुँवारी है, …? लेकिन फिर अपनी सोच को झटक कर उसने एक और हल्का सा धक्का लगा दिया…

उसका लंड और दो इंच तक आगे सरक गया, उसने सुप्रिया के चेहरे पर नज़र डाली, वो आँखें बंद किए हुए अपने दर्द को काबू में करने की कोशिश कर रही थी..

शंकर ने कुछ देर तक उसके बदन को सहलाया, उसके निप्प्लो को चाटा, और फिर धीरे-धीरे उतनी लंबाई तक उसे चोदने लगा..,

सुप्रिया का दर्द कुछ पलों बाद कम हो गया, और अब वो भी मादक सिसकियाँ लेती हुई, चुदाई में साथ देने लगी..,

5 मिनिट में वो उसके आधे-पौने लंड से ही झड गयी, अब उसकी चूत गीली हो गयी थी सो लंड के आने जाने में अब कोई तकलीफ़ नही थी, इसका फ़ायदा लेकर शंकर ने एक आख़िरी शॉट लगाते हुए उसे जड़ तक अंदर कर दिया…

इस बार सुप्रिया को कोई अंदाज़ा नही था, सो उसके मुँह से चीख निकल ही गयी, और वो हान्फ्ते हुए उसकी आँखों में देख कर बोली – आहह…शंकर, और कितना बचा है अभी.., मेरे मुँह से होकर बाहर निकालने का इरादा है क्या…?

शंकर ने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – नही रानी, बस अब लास्ट हो गया.., आज से मेने तुम्हारी चूत की गहराई को फिक्स कर दिया, अब कभी भी कोई रुकावट नही होगी…

ये कहकर उसने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए!

सुप्रिया एक भरपूर लंड पाकर मस्त हो गयी, शंकर जैसे ताक़तवर लंड से जिसकी ठोकर उसकी बच्चेदानी के अंदर तक पहुँच रही थी, उसकी नयी फटी मुनिया लगातार पानी छोड़ने लगी…

अब वो अपने दर्द को भूल कर मस्ती से कमर उचका-उचका कर चुदाई का मज़ा ले रही थी…!

शंकर के एक बार झड़ने तक वो कई बार बरस चुकी थी.., उसने उसे उलट-पलटकर उसकी चूत को अच्छे से रबां कर दिया…, अब उसकी चूत के होंठ कुछ मोटे से होकर फैल चुके थे…!

उसकी चूत की फाँकें सूजी सी लग रही थी, जैसे किसी के मुँह पर थप्पड़ मार-मारकर उसके होंठ सूजा दिए हों…

आख़िर में शंकर के लंड की बरसात से उसकी अबतक सुखी पड़ी खेती जिसने आजतक पानी की एक बूँद तक ना देखी हो वो हरी-भरी हो उठी, और उसकी चूत की छोटी सी बगिया लह-लहा उठी…!

जब दोनो एक बार अच्छे से झड गये और अपनी-अपनी साँसों को नियंत्रित कर चुके, तब शंकर ने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकालकर उसपर लगे खून को दिखाते हुए बोला – ये क्या है दीदी…?

सुप्रिया ने उसके लंड से खून का एक कतरा अपनी उंगली पर लेकर उसके लंड पर तिलक करते हुए कहा - तुम्हारा अंदाज़ा सही है शंकर, मे आज ही लड़की से औरत बनी हूँ…, ये तिलक इस बात का सबूत है कि यही मेरी चूत का असली मालिक है…!

शंकर – क्यों ? आपके पति..? मेरा मतलब शादी को 3 साल हो गये, फिर अभी तक आप कुँवारी थी…?

सुप्रिया ने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया, बोलने की वजाय वो उसकी छाती में अपना मुँह छुपाकर सुबकने लगी…

शंकर ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा – क्या बात है, मुझे बताओ दीदी..,

सुप्रिया ने सुबक्ते हुए कहा – मेरा पति इस लायक है ही नही शंकर कि मुझे एक पत्नी का सुख दे सके, उसे तो लड़के अच्छे लगते हैं, औरतों से वो कोसों दूर भागता है…!

शंकर ने चोन्क्ते हुए कहा – ये क्या कह रही हैं आप ? इसका मतलब उन्होने आपके साथ अभी तक सुहागरात तक नही मनाई…?

सुप्रिया ने ना में अपनी गर्दन हिला दी, और मौसी भरे स्वर में बोली – तुम सुहागरात की बात करते हो, अभी तक मेरा पूरा बदन तक नही देखा…!

शंकर - तो आपने ये बात अभी तक किसी को बताई क्यों नही..?

सुप्रिया – वो दिल के बहुत अच्छे इंसान हैं, अब ये बुरी लत कैसे और कब लगी मुझे नही पता…!

उन्होने गिडगिडाते हुए मुझ से इस बात के लिए माफी माँगी और ये भी कहा कि मे अगर चाहूँ तो किसी और से अपने संबंध बना सकती हूँ, उन्हें उसमें कोई एतराज नही होगा,

लेकिन प्लीज़ मेरी ये कमज़ोरी किसी और से मत कहना वरना में जीवित नही रह पाउन्गा…!

अब तुम्ही बताओ, मे अपने सुख की खातिर किसी की जान कैसे ले सकती हूँ, फिर मेने फ़ैसला किया कि अब मे केवल और केवल अपने शंकर को ही अपना ये शरीर सौपूंगी, जो मेरे बचपन का प्यार है…!

उसकी बात सुनकर शंकर ने उसे कस कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होंठों का चुंबन लेते हुए बोला –

ओह्ह्ह.. सुप्रिया मेरी जान तुम सच में बहुत अच्छी हो, तुमने सही किया जो उनका राज किसी पर उजागर नही होने दिया…!

सुप्रिया ने उसकी तरफ देखते हुए कहा – लेकिन ये वादा करो शंकर, तुम भी ये राज अपने तक ही सीमित रखोगे..!

शंकर ने उसे वचन दिया, कि वो ये राज अपने सीने में दफ़न कर लेगा, और उसे जब भी उसकी ज़रूरत होगी वो उसके लिए जी जान से हाज़िर रहेगा…!

सुप्रिया – ऊहह मेरे शंकर ! तुम कितने अच्छे हो, अब बस एक अहसान और करदो मुझ पर…!

शंकर ने उसे अपनी गोद में खींचते हुए उसके रसीले लज़्जत भरे होंठों को चूमकर कहा – अहसान नही मेरी जान, हुकुम करो.., ये गुलाम तुम्हारे लिए जान देने के लिए हाज़िर है…

सुप्रिया – तुम किसी के गुलाम नही, तुम तो मेरे दिल का वो हिस्सा हो शंकर, जो मेरी जान जाने के बाद ही अलग हो पाएगा, बस मुझे एक बच्चा दे दो, जिसके सहारे में अपना जीवन काट सकूँ…!

जो हुकुम मेरे आका, ये कहकर उसने उसे अपने उपर लिटा लिया, और उसके गोल-गोल चुतड़ों को मसलते हुए उसकी चुचियों को चूसने लगा…

वो दोनो एक बार फिर से गरम हो गये, और एक बार फिर कमरे में मादक सिसकियों का बाज़ार गरम हो उठा…!

सुप्रिया की चूत थोड़ा दर्द कर रही थी, लेकिन चोरी की चुदाई के लिए इतना तो सहना पड़ता ही है, सो अपने दर्द को दरकिनार करके वो शंकर के लंड के झटकों को फिर से झेलने लगी…

जब वो दोनो अपने अपने कपड़े पहन कर चुके ही थे, तभी रंगीली और सलौनी वहाँ आ गये,

सुप्रिया उन दोनो के सामने शर्म से अपनी नज़रें झुकाए वहाँ से बिना कुछ कहे चली गयी…!

शाम के खाने में अभी वक़्त था, सो रंगीली कुछ हवेली के काम निपटाने चली गयी, और शंकर अपनी बेहन को मैथ के सवाल करने बैठ गया…!

सलौनी अब बच्ची तो नही थी, वो 10थ क्लास में पढ़ रही थी, सुप्रिया इतनी देर उसके भाई के पास अकेली क्या करती रही होगी खूब समझ रही थी,

पर वो ये नही समझ पा रही थी कि उसकी माँ ने जान बूझकर उन दोनो को अकेला क्यों छोड़ा, क्या माँ ही उन्हें मिलाना चाहती है, लेकिन क्यों…?

ये कुछ ऐसे सवाल थे जो उसके अविकसित दिमाग़ में समा नही पा रहे थे…

शंकर उसे सवाल बताने में व्यस्त था, लेकिन उसका ध्यान तो कहीं और ही था…

जब शंकर ने उससे पुछा, समझ में आ गया गुड़िया…? तो वो हड़बड़ा कर उसकी तरफ देखने लगी, शंकर ने फिर कहा – समझ गयी या तेरा ध्यान ही कहीं और है…?

वो उसकी तरफ देख कर बोली – एक बात पुच्छू भैया..?

उसने कहा – हां पुच्छ..

वो बोली – सच सच बताना आप और सुप्रिया दीदी इतनी देर अकेले यहाँ क्या कर रहे थे…?

वो उसके मुँह की तरफ देखने लगा, वो समझ नही पा रहा था कि सलौनी ने ये सवाल क्यों किया…? और वो उसे इसका क्या जबाब दे, लेकिन कुछ तो बताना ही था सो बोला…

बस इतने दिनो बाद वो यहाँ आई हैं, बचपन में हम लोग जो खेल खेलते थे उन्ही बीती बातों को याद कर रहे थे, वो भी अपने ससुराल की बातें बताती रही.. वैसे तूने ये सवाल क्यों किया..?

सलौनी उसके सवाल को अनसुना करके बोली – बस यही बातें होती रही दो घंटे तक…?

शंकर – हां, लेकिन तू इन बातों पर इतना ज़्यादा ज़ोर क्यों दे रही है, अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया कर आगे-आगे बहुत कठिन पढ़ाई आने वाली है समझी…!

सलौनी – वो तो मे कर लूँगी, लेकिन मे ये नही समझ पा रही कि हमारे आते ही वो नज़र झुका कर बिना कोई बात किए चली क्यों गयी, फिर एक पल भी नही रुकी माँ के पास…?

शंकर उसकी बातों से झुंझला उठा और उसे झिड़कते हुए बोला – तू अब बहुत मार खाएगी मेरे हाथों से, बहुत बातें बनाने लगी है, अब मे तुझे क्या जबाब दूँ, कि वो ऐसे क्यों चली गयी…?

सलौनी तपाक से बोली – लेकिन मे बता सकती हूँ वो ऐसे नज़र झुकाए क्यों चली गयी…?
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RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक - by sexstories - 10-16-2019, 02:01 PM

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