RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
आअहह…शंकर…ये तो मेरी बच्चेदानी के अंदर घुस गया रे…, अब धीरे-धीरे चोद मेरे रजाअ… उउफ़फ्फ़…बड़ा मज़ा आरहा है, हाए.. आज खुली है मेरी चूत तेरे मूसल से…
कूट दे मेरी ओखली.., शंकर उसकी ऐसी गँवारू बातें सुनकर जोश में आ गया, और उसने उसकी ओखली को कूटना शुरू कर दिया..,
चुदाई का दौर जब एक बार शुरू हुआ तो लगातार तीन घंटे तक चला, इस दौरान प्रिया ना जाने कितनी बार झड़ी, शंकर भी तीन बार अपना लंड खाली कर चुका था.., जब प्रिया की टंकी पूरी खाली हो गयी,
उसकी चूत आख़िरी बार शंकर के नये नवेले लंड का पानी पीकर फड़फड़ाने लगी, तब प्रिया ने कहा – अब बस कर मेरे चोदु राजा, तू तो पूरा चुदाई का मास्टर हो गया है इस छोटी सी उमर में.. कहाँ से सीखा ये सब…?
उसने उसकी चुचियाँ जो अब लाल हो चुकी थी मसल-मसलकर उन्हें ज़ोर्से मसल्ते हुए बोला – ये सब आपकी जैसी मास्टरनियों की वजह से ही सीख गया हूँ…!
प्रिया ने चोन्क्ते हुए कहा – मेरी जैसी मतलब…?
शंकर फ़ौरन सम्भल गया और बोला – अरे कुछ नही बस ऐसे ही, आपको मज़ा तो आया कि नही…!
प्रिया उसके मूसल को पकड़ कर बोली – मज़े की क्या बात करता है यार, इतनी चुदाई मेरी अब तक के जीवन में कभी नही हुई.., अब तो मेरा पूरा बदन टूटने लगा है,
कुछ देर आराम करती हूँ, फिर घर चलेंगे, ये कहकर वो दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गये…!
सुप्रिया ने शंकर को एक महीने तक अपने पास ही रखा, इस एक महीने वो रात को सुप्रिया को चोदता, और दिन में किसी भी वक़्त प्रिया आकर उसे अपने होटेल ले जाती या फिर अपने घर बुलवा लेती…!
शंकर दोनो बहनों को चोद-चोद कर बड़ा ही खुश था यहाँ, उसकी तो पाँचों उंगली घी में और सिर कढ़ाई में सॉरी लंड चुतो में था…!
इस एक महीने के दौरान, प्रिया और सुप्रिया ने मिलकर शंकर को ड्राइविंग भी सिखा दी, उसे विदा करते वक़्त दोनो बहनों की आँखें नम थी…!
प्रिया ने शंकर को गिफ्ट के तौर पर एक ओपन बॉडी जीप भेंट की, जिसे वो लेना तो नही चाहता था, लेकिन उसने बहुत ज़िद की तो उसे लेनी ही पड़ी, और उसीसे वो अपने गाओं वापस आया…!
धूल उड़ाती हुई नयी चमचमाती जीप देखकर लोग देखने की उत्सुकता लिए हवेली पर पहुँचे,
जब नये मॉडर्न कपड़ों में सन ग्लासस लगाए नयी हेर स्टाइल में शंकर गाड़ी से निकला तो सबकी आँखें चुन्धिया गयी, वो किसी फिल्मी हीरो जैसा लग रहा था,
हवेली में जहाँ रंगीली, सुषमा, सलौनी, यहाँ तक कि लाला जी उसे देख कर बहुत खुश हुए वहीं सेठानी की झान्टे सुलग उठी, और वो अपनी आदत से मजबूर तानों की बरसात करने लगी…!
क्यों रे मुए, तेरे तो हाव-भाव ही बदल गये शहर जाकर, और ये इतनी बड़ी गाड़ी चलाना भी सीख ली, ये किसकी उड़ा लाया…?
शंकर ने खुश होकर कहा – प्रिया दीदी ने भेंट की है मालकिन…!
सेठानी – हाए राम ! ये लड़की भी बिल्कुल पागल है, बताओ, इतनी महँगी गाड़ी भी भला कोई भेंट करता है, चल इसे एक जगह खड़ी कर्दे,
खबरदार अगर फिर से इसे हाथ लगाया तो.., प्रिया आएगी उसे वापस कर देंगे…!
लाला जी को सेठानी की बात सुनकर गुस्सा आ गया, वो उसे डाँटते हुए बोले – तुम्हारा दिमाग़ तो सही है ना, प्रिया ने अपनी जान बचाने की एवज में उसे ये भेंट दी है, तुम कॉन होती हो उसे रोकने वाली…
खबरदार अगर कभी आगे से शंकर को कुछ भी कहा तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.., फिर वो शंकर से बोले – ये अच्छा किया की तूने जीप चलाना भी सीख लिया, शाबास…
अब अपने सारे कारोबार पर अच्छे से नज़र रख पाएगा, अपना बेटा तो नालयक फालतू में शराब पीकर तेल फूंकता रहता है…!
लाला जी की डाँट सुनकर सेठानी भुन्भुनाती हुई पैर पटक कर हवेली के अंदर चली गयी..,
कुछ देर लाला जी शंकर के कंधे पर हाथ रखकर उस’से अपनी बेटियों की राज़ी खुशी लेते रहे, फिर जब वो भी अपनी गद्दी की तरफ चले गये, तब रंगीली उसे अपने साथ लेकर अपने घर चली गयी…!
सलौनी अपने भाई के इस नये रूप को देख-देख कर फूली नही समा रही थी, उसका बस चलता तो वो उसके गले में झूल जाती, लेकिन अपनी माँ के सामने वो ये नही कर पा रही थी…
फिर शंकर ने अपनी माँ, बेहन, पिता और दादा-दादी के लिए शहर से लाए हुए उपहार, कपड़े उसे दिए…, उसने अपने बेटे को अपने कलेजे से लगा लिया..,
इसी मौके का फ़ायदा लेकर सलौनी भी उसके गले में झूल गयी और अपने भाई के गालों को चूम लिया…!
भाई बेहन के प्रेम को देखकर रंगीली के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी…!
वो मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी, बस ऐसे ही मेरे बेटे को कामयाबी देते रहना प्रभु.., मेरे बच्चे हमेशा यूँही खुश रहें…!
कुछ देर अपनी माँ और बेहन के साथ बैठकर शंकर खेतों की तरफ निकल गया, गाओं में जो भी उसको देखता, बस देखता ही रह जाता, चाहे वो मर्द हो या कोई औरत..
वो अपनी मस्ती में झूमता हुआ खेतों पर पहुँचा, अपने बापू से मिला,
अपने बेटे को देखकर गर्व से उसका सीना चौड़ा हो गया, वहीं दूसरे मजदूर उसके भाग्य को कोसने लगे…!
कुछ देर देखभाल करके वो अपने बापू के साथ घर लौट आया…!
रंगीली ने शाम का खाना खिला-पिलाकर रामू को अपने घर सोने के लिए भेज दिया, ये कहकर की कभी-कभार वो अपने बूढ़े माँ-बापू की भी देखभाल कर लिया करे…!
उसे आज एक महीने से उपर हो गया था अपने बेटे के साथ समय बिताए हुए, सो आज वो पूरी तैयारी में थी शंकर से अपने अरमानों को पूरा करने की…!
रात हुई, शंकर को उसने दूसरे कमरे में सोने भेज दिया और खुद अपनी बेटी को लेकर दूसरे कमरे में सो गयी…!
जब उसे पूरा विश्वास हो गया कि अब उसकी बेटी भरपूर नींद में आ चुकी है, वो चुपचाप उसकी बगल से उठी, और शंकर के कमरे में जा पहुँची…
शंकर भी नींद में जा चुका था, वो कुछ देर खड़ी अपने बेटे की सुंदरता में खोई रही, फिर धीरे से उसके बगल में जाकर लेट गयी..!
कुछ देर वो उसके पूरे बदन पर हाथ फेरती रही, फिर उसका चेहरा अपनी तरफ करके उसने अपने तपते होंठ उसके होंठों पर टिका दिए….!
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