RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
वहीं लाजो उसी दोपहरी में घूँघट में अपना चेहरा छुपाए टांगे फैलाकर हवेली की तरह चली जा रही थी..,
भले ही उसकी चूत में इस समय दर्द था, लेकिन चेहरे पर पीड़ा के स्थान पर एक अपार सुकून दिखाई दे रहा था, जो एक मुस्टंडे के 9” के हथियार ने उसकी टोटकों और नुस्खों के कारण सुख चुकी चूत को फिर से हरा-भरा कर दिया था…!
इस समय चलते हुए भी उसकी चूत रिस-रिस कर उसकी कच्ची को गीला कर रही थी, जिसमें से उसकी खुद के चूतरस के साथ साथ भोला की मलाई भी मथ-मथ कर निकल रही थी…!
जब ज़्यादा गीलापन महसूस होने लगता तो वो इधर-उधर नज़र मारकर अपने पेटीकोत समेत पैंटी को मसलकर कम करने लग जाती…!
उपर से गर्मी इतनी ज़्यादा थी, जिससे उसके अंदर का पसीना भी उसके बदन को चिप-चिपाये हुए था, जैसे तैसे करके वो अपने घर पहुँच ही गयी…!
अपने कमरे में घुसते ही किसी सौतन की तरह उसने सारे कपड़े उतार फेंके, और नंगी ही अपनी गान्ड मटकाती हुई गुसलखाने में घुस गयी…!
उसने बड़े से बर्तन में ठंडा-ठंडा पानी निकाला और धीरे-धीरे अपने बदन पर डालते हुए नहाने लगी…!
अपने बदन को मलते मलते जब उसका हाथ अपनी चूत पर गया, तब उसे एहसास हुआ कि उसकी मुनिया ने क्या-क्या ज़ुल्म सहे हैं आज, उसके होंठ कुछ ज़्यादा ही सूजे सूजे से लगे,
जहाँ कुछ घंटों पहले तक उसकी फाँकें कसी-कसी सी थी, वहीं वो अब एकदम धुनि हुई रूई जैसी मुलायम हो गयी थी…!
फांकों को सहलाते हुए उसकी आखें बंद हो गयी, और भोला का कोबरा उसकी आँखों के सामने झूमता महसूस होने लगा,
उसे वो पल याद आने लगे जब भोला का घोड़ा पछाड़ कड़ियल विषधर पहली बार उसकी मुनिया के मुँह को फैलाता हुआ अंदर तक उसकी बच्चे दानी के मुँह तक जा पहुँचा था…!
उन पलों को याद करते ही उसके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल पड़ी.. सस्स्सिईईई… आअहह रे मेरे भोले बालम….उउफ़फ्फ़ क्या मस्त लंड है रे तेरा…
उउऊयईी..माआ…बोलते हुए उसने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में पेल दी…!
लेकिन जैसे ही उसे हाल ही फटी चूत का दर्द महसूस हुआ उसने उन्हें फ़ौरन बाहर निकाल लिया और उपर से ही उसकी फांकों को मसल्ने लगी…!
उसे अब आने वाली रात का बेसब्री से इंतेजर था, जब वो भोला के फनियल नाग को अपनी चूत में डाल कर रबड़ी का स्वाद ले रही होगी…!
नहा धोकर वो बिस्तर पर लेट गयी, और भोला के लंड को अपनी प्यासी आँखों में बसाए सो गयी…!
शाम को उसने मुन्नी को भेजकर चुप-चाप से आधा किलो ताज़ा-ताज़ा रबड़ी बाज़ार से मंगवा ली, मुन्नी के पुच्छने पर उसने बहाना बना दिया कि आज वो उनके (कल्लू) के साथ बैठकर इसका स्वाद लेना चाहती है…!
अब उसे रात का इंतेज़ार था, जब सभी अपने-अपने बिस्तरों में जाकर सो चुके होंगे और वो अपने नये प्रेमी भोला के झूले में झूलने जाए…!
और वो समय भी आ पहुँचा जब चारों तरफ सन्नाटा पसर गया, वो दबे पाँव हवेली के बड़े से दरवाजे के एक पल्ले में बनी एक छोटी सी खिड़की से बाहर निकल गयी पर जाते जाते उसे बाहर से बंद करना नही भूली…!
उधर भोला भर पेट खाना खाने के बाद अपने घेर में जानवरों के बीच खुले आसमान के नीचे खर्राटे ले रहा था…!
लाजो ने अंधेरे में इधर-उधर नज़र दौड़ाई, जब पूरी तरह आस्वस्त हो गयी की कोई उसे देखने वाला नही है, तो चुपके से घेर का मुख्या द्वार धकेल कर वो अंदर गयी और जल्दी से उसे अंदर से बंद कर दिया…!
भोला अपनी खाट पर बिना बिछबन के ही खर्राटे मार रहा था, जिसे देखकर लाजो का चेहरा खिल उठा,
राबड़ी का डिब्बा उसने खाट के सिरहाने ज़मीन पर रख दिया और वो खुद उसकी खाट की पाटी पर बैठकर उसे बिना जगाए उसने उसके सोए हुए नाग को लूँगी से बाहर निकाला और अपनी हथेली में दबाकर सहलाने लगी…!
इस समय वो किसी मरे हुए चूहे जैसा लग रहा था, लेकिन जैसे ही उसकी हथेली की गर्मी मिली, उसमें जान पड़ने लगी, देखते ही देखते वो उसकी मुट्ठी में अपना आकार लेने लगा और किसी रब्बर के पाइप जैसा हो गया…!
उसके बढ़ते आकार को देखकर लाजो की वासना भी उसी अनुपात में बढ़ने लगी, वो अब उसे तेज-तेज हिलाने लगी.., जैसे ही वो थोड़ा कड़क सा हुआ, उसने उसे फ़ौरन अपनी जीभ से चाट लिया…!
उसके पेलरों को सहलाते हुए वो उसे अपनी जीभ से पूरी लंबाई तक चाटने लगी, अब वो अपनी फुल फॉर्म में आ चुका था, फिर जैसे ही उसने उसे अपने मुँह में लिया…!
भोला ने अपनी कमर उचका कर अपने मूसल को उसके गले तक पहुँचा दिया…!
लाजो ने झट से उसे अपने मुँह से बाहर निकाला और उसकी तरफ देख कर बोली – बड़े चालू हो भोला राजा…, जागे पड़े थे तो बताया क्यों नही..?
भोला ने उसे अपने उपर खीच लिया और उसके गाल काट’ते हुए बोला – बताकर मे तेरा मज़ा खराब नही करना चाहता था.., चल अब चूस इसे…!
लाजो – ऐसे नही, आज की रात में तुम्हारे साथ यादगार रात बनाना चाहती हूँ, चलो कोठे में चलकर बिस्तर ज़मीन पर लगा लो, वहीं मज़े करेंगे…!
भोला उसकी चुचियों दबाते हुए खाट से उठकर बोला – चल जैसी तेरी मर्ज़ी, देखता हूँ, कैसे मज़े करवाती है, लेकिन उससे पहले ये बता, तू मेरे लिए क्या लाई है..?
लाजो – वहीं जाकर बताउन्गी, पहले चलो तो सही…!
कोठे में जाकर भोला ने ज़मीन पर एक फटा पुराना सा बिछबन डाल दिया, दोनो आमने सामने उसपर बैठ गये…,
लाजो ने अपने पल्लू से रबड़ी का डिब्बा निकाला, जिसे देखते ही भोला ने उसके हाथ से झपट लिया, एक डिब्बी की रोशनी में जब उसने उसे खोलकर देखा तो उसकी बान्छे खिल उठी…!
जैसे ही उसने उसे ख़ान एके लिए हाथ बढ़ाया, लाजो ने उसकी कलाई पकड़ ली, भोला ने उसकी तरफ ताज्जुब भरी नज़रों से देखा तो वो मुस्कुराते हुए बोली …
ऐसे तो हर कोई ख़ाता है, आज मे तुम्हें कुछ अलग तरारीक़े से खिलाउन्गी मेरे भोले राजा.., ये कहकर उसने अपनी सारी और ब्लाउस निकाल दिए, ब्रा के हुक खोलते हुए बोली…
आज ये पूरी रबड़ी तुम्हारे लिए है, लेकिन इसे मेरे बदन पर डालकर उसे चाट-चाट कर खाओ, फिर देखो कितना स्वाद बढ़ जाता है इसका…!
भोला – क्या सच कह रही है तू, ये और ज़्यादा स्वादिष्ट हो जाएगी.., उसकी बात पर लाजो ने मुस्करा कर अपनी गर्दन हां में हिला दी…!
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