RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
भोला ने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – तभी तो पूरा मज़ा देता है मेरी रानी, अब ले मज़े इसके…, ये कह कर उसने धीरे-धीरे अपने धक्के लगाने शुरू कर दिया…!
लाजो को मज़ा आने लगा, और वो भी अपनी कमर को नीचे से उचकाने लगी, ये देख कर भोला के धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी..
लाजो की चूत किसी बहती नदी में परिवर्तित हो गयी, वो लगातार रस छोड़ने लगी..,
फुच्च..फुच्च..धाप..धाप्प की आवाज़ के साथ दोनो चुदाई का मज़ा लूटने लगे, लगभग 20 मिनिट के बाद दोनो के बदन अकड़ने लगे और फिर झड कर एक दूसरे से चिपक गये…!
बड़ी देर तक वो दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, कुछ थकान कम होने के बाद भोला उसके उपर से बगल में लुढ़क गया और उसके बदन पर हाथ फेरते हुए बोला –
बड़ी मस्त औरत है तू लाजो, तेरे साथ चुदाई करने में मज़ा आ गया.., लाजो भी उसके मुरझाए हुए लौडे को अपने हाथ में लेकर बोली – तुम भी कुछ कम नही हो…
तुम्हारा ये पप्पू तो मेरे मन को भा गया है, ये कहकर वो उठ बैठी और उसे चूम लिया…!
भोला ने बगल में रखे राबड़ी के डिब्बे को उसे थमाते हुए कहा – ले अब अपने हिस्से की राबड़ी खा ले..!
लाजो ने उसे पकड़ते हुए कहा – अभी थोड़ा रूको, मे भी इसे स्पेशल तरीक़े से ही खाउन्गी..
भोला उसके मुँह को ताकते हुए बोला – मतलब तू मेरे बदन को चाटेगी..?
लाजो मुस्करा कर बोली – पूरे बदन को नही, बस इसके उपर रख कर, ये कहकर उसने उसके आधे खड़े हो चुके लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया..!
लाजो की बात समझते ही भोला रोमांच से भर उठा, उसका ढीला पड़ा हुआ नाग फिर से फन फैलाने लगा…!
उसके बाद लाजो ने उसके लंड को डिब्बे में ही डुबो दिया और बाहर निकाल कर उसके उपर से राबड़ी खाने लगी, चूस-चूस कर उसने लंड को चमका दिया, इतने से वो फिर से डंडे जैसा कड़क हो गया,
इस बार वो घोड़ी की तरह औंधी हो गयी, भोला ने पीछे से उसकी मखमली गान्ड सहलाते हुए अपना मूसल पीछे से उसकी सुरंग में पेल दिया…!
पूरा लंड जाते ही लाजो का मुँह उपर को उठ गया, वो गे की तरह रंभाते हुए चुदाई का आनंद लूटने लगी…!
सुबह के चार बजे तक उनका ये खेल जमकर चलता रहा, जब दोनो थक कर चूर हो गये,
दोनो की आँखों में नींद और थकान की खुमारी ज़ोर मारने लगी , तब जाकर लाजो ने उससे विदा ली और अपनी हवेली लौट आई…!
इधर सुषमा ने लाला जी से पर्मिशन लेकर एक लेटर कॉलेज प्रिन्सिपल के नाम लिख कर शंकर को थमा दिया…
वो खुशी-खुशी कॉलेज गया, और लेटर देखते ही उसे ब्कॉम में तुरंत अड्मिशन मिल गया…
वजह थी लाला जी कॉलेज के दानियों की लिस्ट में बहुत उपर का स्थान रखते थे…
इस बात से सबसे ज़्यादा खुशी सलौनी को हुई, क्योंकि अब उसे अकेले स्कूल नही जाना पड़ेगा, उसका भाई उसे लेकर जानेवाला था, अब वो ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने भाई के नज़दीक रह सकती थी…!
शंकर यहीं रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करने वाला है, इससे लाला जी को भी कोई आपत्ति नही थी, वक़्त-बे-वक़्त वो उनके काम तो करता ही रहेगा, और पढ़-लिखकर वो उनके कारोबार को संभालने लायक भी हो जाएगा…!
कहीं ना कहीं उनके दिल में अपने खून वाली भावना तो थी ही, उपर से वो अभी से इतना समझदार और साहसी था, जिस कारण से लाला जी दिल से चाहते थे कि वो उनके कारोबार में सहभागी रहे…
बस दिक्कत थी तो उसे वो खुलेआम अपना नाम नही दे सकते थे…, जिसकी फिलहाल उन्हें कोई ज़रूरत भी महसूस नही हो रही थी…!
यौं तो शंकर इतना संस्कारी था, तो वैसे ही उसके कुछ खर्चे नही थे, फिर भी सुषमा उसकी जेब हमेशा भरे रखती थी, ये बात रंगीली भी अच्छे से जानती थी..!
कुछ दिनो बाद ही सुप्रिया के यहाँ से भी सुखद समाचार मिल ही गया, कि वो माँ बनाने वाली है, और गोद भराई में सबको बुलाया है…!
बस फिर क्या था.., माँ-बाप तो जा नही सकते थे, बेटी के यहाँ का पानी तक पीना हराम है, कल्लू भैया वैसे ही नकारा थे, तो सभी औरतों को लेजाने की ज़िम्मेदारी शंकर को ही उठानी पड़ी,
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