Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 02:50 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने अपनी जीप रोड से नीचे उतारकर साइड में खड़ी करदी, सलौनी उसे थोड़ा रोड से हटके झुर्मुट के पीछे फारिग कराने ले गयी..,

मौका देख कर सुषमा ने शंकर के गले में अपनी बाहें डाल दी और वो उसके होंठ चूमकर बोली – तुम सच में बहुत अच्छे हो शंकर, मुझे ऐसे ही सहारे की ज़रूरत थी..,

शंकर ने उसके हाथ अपने गले से हटाने चाहे, लेकिन सुषमा ने उसे और ज़ोर्से उसे कस लिया, शंकर उसकी अधनंगी चुचियों को अपने हाथों से दबाते हुए बोला-

हम रोड पर हैं भाभी, कोई आ गया तो क्या सोचेगा.., सुषमा उस’से अलग होकर उसकी गोद में ही जा बैठी और उसके होंठों पर हमला बोलते हुए बोली-

मुझे किसी की परवाह नही है शंकर मेरे राजा, तुम मुझे प्यार करो.., ये सुनकर शंकर ने भी अपनी बाहें उसकी कमर के इर्द-गिर्द कस दी..,

सुषमा की मांसल गान्ड की गर्मी पाकर उसका कोब्रा पॅंट के अंदर फुफ्कारने लगा.., दोनो के शरीर किस करते हुए गरम होने लगे..,

तभी आगे से उन्हें एक खुली जीप आती दिखाई दी, जिसमें 5-6 लोग बैठे हुए थे, उसे देखते ही शंकर ने सुषमा को अपनी गोद से उठने के लिए कहा…!

इससे पहले की वो उसकी गोद से उठकर अपनी सीट पर बैठ पाती, तब तक सामने वाली जीप उनके पास तक आ गई, और शंकर की जीप के बराबर में आकर एक झटके के साथ रुक गयी…!

जीप के रुकते ही उसमें से दो आदमी जो तकरीबन 25-28 साल के रहे होंगे, शक्लो-सूरत से ही मक्कार किस्म के नज़र आरहे थे…!

जीप से कूदते ही वो दोनो तालियाँ बजाते हुए उनकी तरह आने लगे, उनमें से एक आदमी बोला – क्या रे लैला-मजनू, खुली सड़क पे ही रोमॅन्स चल रहा है..,

थोड़ा हमें भी शामिल करले यार…, कसम उड़ान छल्ले की मज़ा दुगना ना हो जाए तो कहना…!

उनलोगों की बात सुनकर जहाँ सुषमा बुरी तरह सहम गयी वहीं शंकर फ़ौरन जीप से नीचे कूदने के बाद बोला – अरे नही भाई ऐसा कुछ नही है, हम तो बस ऐसे ही बैठे थे…!

तब तक वो दोनो उनके बहुत करीब पहुँच चुके थे, सुषमा अभी जीप में ही थी.., वो शंकर के पास जाकर बोला – ओये लौन्डे हमें चूतिया समझता है,

डूर से ही हमने ताड़ लिया था, ये छमिया तेरी गोद में बैठी थी.., वैसे ये तेरी कॉन लगती है…!

उसकी बात सुनकर शंकर को भी तैश आ गया और गुर्राते हुए बोला – तुमसे मतलब, हम कुछ भी करें तुम कों होते हो किसी के काम में दखल देने वाले..!

शंकर की बात सुनकर दूसरा आदमी तैश में आकर बोला – रोहन पकड़ साले को, भेन्चोद कल का लौंडा हमें आँख दिखता है…, इसकी तो माँ…कििई…..

इससे पहले कि वो अपनी गाली पूरी कर पाता, शंकर ने आगे बढ़कर उसका गला अपनी हथेली में दबा लिया.., और भभक्ते स्वर में बोला – माँ की गाली देता है हराम जादे…!

वो आदमी अपने को शंकर की पकड़ से छूटने के लिए फड़फड़ाने लगा, लेकिन ये शंकर के हाथ की पकड़ थी, वो अपनी जगह से हिल भी ना सका, गला दबने से उसकी साँसें अटकने लगी…!

अपने साथी को यौं असहाय देख कर दूसरा जिसका नाम रोहन था, वो शंकर की तरफ झपटा, इस’से पहले कि वो उस तक पहुँचता, शंकर की लंबी टाँग हवा में घूमी, और फड़डाक़्कक से उसके थोबदे पर पड़ी…!

वो वही पीछे ज़मीन पर उच्छल कर गान्ड के बल जा गिरा, उसके होंठों से और नाक से खून रिसने लगा…!

अपने दो साथियों का ये हश्र देख कर वाकी के 4 लोग जो अभी भी जीप में ही थे, एक साथ कूदकर उनकी तरफ दौड़ पड़े…!
उन लोगों को ये कतई उम्मीद नही थी कि एक छोटी सी उम्र का लौंडा जिसकी अभी ठीक से दादी मूँछे भी नही निकली हैं, उनके दो आदमियों को चुटकी बजाकर धूल चटा देगा…!

उन सभी लोगों को एक साथ अपनी तरफ आते हुए देख कर सुषमा जो अभी तक शांति से जीप में बैठी तमाशा देख रही थी, डर से थर-थर काँपते हुए बोली-

शंकर वो सब लोग इधर आ रहे हैं…, अब क्या होगा..?

शंकर – कुछ नही होगा भाभी, आप चुप-चाप बैठो, चाहे कुछ भी हो गाड़ी से बाहर मत आना, मे इनसे निपटता हूँ…!

इससे पहले की सुषमा आगे कुछ बोलती, वो लोग शंकर के बेहद नज़दीक तक आ पहुँचे थे, शंकर उस आदमी को जिसका गला उसने दबा रखा था, वो अब लगभग बेहोसी की हालत में पहुँच चुका था…!

उसने उसे अपने दोनो हाथों से अपने सिर के उपर उठाया और उन लोगों के उपर उछाल दिया..

नतीजा वो उन चारों के उपर किसी अनाज के बोर की तरह जा गिरा.., उन चारों को इतने बड़े दुस-साहस की उस कम उम्र लड़के से कतई उम्मीद नही थी,

लाख संभलने के बावजूद वो लड़खड़ा गये, उनमें से एक-दो तो ज़मीन पर भी गिर पड़ा..!

उन्हें बिना मौका दिए शंकर उन लोगों पर पिल पड़ा, अपने फौलादी घूँसों से उनकी धुनाई शुरू कर दी.., वो लोग भी उस’से टक्कर लेते रहे, लेकिन शंकर उनपर 21 पड़ता दिखाई दे रहा था..!

जो भी उसके हाथ पड़ जाता वो उसे किसी खिलौने की तरह उठाकर दूर उछाल देता..!

सुषमा किसी मूक दर्शक की तरह भय और आश्चर्य के भाव अपने चेहरे पर लिए शंकर की वीरता को अपनी आँखें फाड़ कर देख रही थी…!

अब तक उसे शंकर किसी भी सूरत में उन 6 लोगों के मुक़ाबले में कम पड़ता नज़र नही आया था..,

शंकर उसे एक साधारण मानव ना होकर किसी देवदूत जैसा लग रहा था…!

उधर अब तक गौरी पॉटी करके फारिग हो चुकी थी, उसको लेकर सलौनी जैसे ही झुर्मुट के पीछे से रोड की तरफ आई, सामने का घमासान देखकर वहीं ठिठक गयी…!

गौरी को उसने अपनी टाँगों से सटा लिया जिससे वो ये देख कर मुँह से कोई आवाज़ ना निकल सके..,

उसे अपने भाई पर पूरा भरोसा था, और उसे सामने दिख भी रहा था कि वो उन लोगों पर भारी पड़ रहा है, खम्खा वो उनके बीच जाकर उसके लिए कमज़ोरी का कारण नही बन’ना चाहती थी…!

सो ये सोचकर वो गौरी को लेकर एक मोटे से पेड़ की आड़ में जा खड़ी हुई.., और वहीं से दम साधे अपने भाई का कमाल देखने लगी.., जो अभी तक उन सभी गुण्डों पर भारी पड़ रहा था…!
उन सभी लोगों के कहीं ना कहीं से खून बह रहा था, और अब वो पस्त पड़ते नज़र आ रहे थे,

उन बेचारों को क्या पता था, कि उन्होने जिस लड़के को अल्हड़ समझ कर पंगा ले लिए था वो एक आल्मास्ट सांड को भी परास्त कर चुका है…!

अब वो अपनी जान बचाकर भागने की फिराक में थे, एक-दो ने भागने की कोशिश भी की, लेकिन शंकर अब उन्हें भागने भी नही दे रहा था, जो भी उठने की कोशिश करता वो उसे ही फ़ौरन दबोच लेता…!

फिर कुछ ऐसा हुआ जिसका शंकर को गुमान भी नही था, उनमें से एक गुंडा किसी तरह नज़र बचाकर उसकी जीप के दूसरी तरफ आ गया,

अपनी जेब से रामपुरी चाकू निकाल कर उसने जीप में बैठी सुषमा की गर्दन पर रख दिया.., वो डर के मारे एकदम से चीख पड़ी – शंकरर्र….. बचाऊओ…!

सुषमा की चीख सुनते ही शंकर के हाथ पैर वहीं रुक गये, जिसका फ़ायदा उठाकर उनमें से दो लोगों ने उसे आजू-बाजू से पकड़ लिया..,

अब पासा पलट चुका था, उस गुंडे ने सुषमा को जीप से बाहर खींच लिया और उसकी गर्दन पर चाकू रख कर गुर्राया…,

बहुत हाथ-पैर चला लिए लौन्डे, अब अगर तूने अपने हाथ पैर हिलाए भी तो इस छमिया की मंडी धड़ से अलग पड़ी मिलेगी.., फिर अपने साथियों से बोला –

मारो साले को, हाथ पैर तोड़ दो मदर्चोद के.., बहुत दम-खम दिखा रहा था भेन्चोद…!

शंकर उनकी क़ैद में जकड़ा, सुषमा की जान की खातिर अपने हाथ पैर भी नही हिला पा रहा था, लेकिन ज़मीन पर थूकते हुए भभके स्वर में बोला –

थू है साले नामर्दो, एक असहाय औरत की आड़ लेकर अपनी मर्दानगी दिखना चाहते हो..,

उसकी बात सुनकर उनमें से एक गुंडे ने अपने घुटने का वार उसके पेट पर करते हुए कहा.., भेन्चोद साले.. तू हमारी सोच से कुछ ज़्यादा ही दमदार निकला…,
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