RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
प्रिया के पीछे सॅट कर खड़े होकर अपने लौडे को उसकी मखमली गान्ड पर दबाते हुए उसने उसके सुडौल उरोजो को मसल्ते हुए कहा…, जैसी आपकी मर्ज़ी..
चुचियों की मिंजाई से प्रिया सिसक पड़ी.., आअहह…सस्सिईइ…बेड पर चलो ना…
शंकर ने अपना हाथ नीचे करके उसके पेटिकोट के नाडे को खींच दिया और ब्लाउस के बटन खोलते हुए बोला..,
बेड पर आपकी मुनिया का रस अच्छे से पीने नही मिलता, ये कहते हुए उसने उसके ब्लाउस और ब्रा को भी एक तरफ उछाल दिया..!
दूध जैसी गोरी, गोल-मटोल इलाहाबादी अमरूद जैसी प्रिया की गदराई चुचियों को देख कर शंकर बौरा उठा, और वो उनके उपर भूखे कुत्ते की तरह टूट पड़ा…!
एक को चूस्ता, दूसरी को हाथ से मींजता, कभी उसके निपल को उमेठ देता.., फिर दूसरी को चूस्ता और पहली के साथ खेलने लगता..!
प्रिया बस अपना मुँह छत की तरफ उठाए बुरी तरह सिसक रही थी.., आअहह…सस्सिईइ..
शंकर.. मेरे राजा… ख़ाआ जाऊ…इन्हें उउऊयईी…माआ.., निपल ज़ोर्से मत खींचूओ..,
कुछ देर बाद वो उसकी टाँगों के बीच बैठ गया, मिनी पैंटी में प्रिया की चूत की फूली हुई फाँकें पैंटी से बाहर दिखाई दे रही थी,
उत्तेजना और वासना के वशीभूत उसकी मुनिया इतनी लार टपका चुकी थी कि उसकी छोटी सी पैंटी उसके कामरस से गीली हो चुकी थी,
शंकर ने एक बार उसकी गीली मिनिया को पैंटी के उपर से ही चूम लिया.., फिर अपने बड़े से हाथ में उसकी माल पुआ जैसी चूत को भर लिया..,
मारे उत्तेजना के प्रिया दोहरी हो गयी और उसने शंकर के बालों को पकड़ कर उसका मुँह अपनी चूत पर दबा दिया..,
शंकर ने अपना मुँह उठाकर प्रिया की तरफ देखा जो अपने एक हाथ से अपनी ही चुचि को मसल रही थी, उसकी पैंटी में उग्लियाँ फँसा कर आँखों में देखते हुए शरारत भरे लहजे में बोला…!
इजाज़त हो तो इस दो इंच के कपड़े को भी निकाल दूँ दीदी..,
प्रिया इतनी आतुर हो चुकी थी कि उस’से एक-एक पल निकालना मुश्किल हो रहा था, सो नागिन की तरह फुफ्कार्ते हुए बोली – नाटक मत कर मदर्चोद, जो करना है जल्दी कर..,
यहाँ मेरी चूत में आग लगी पड़ी है, और भोसड़ी का पुछ्ता है, पैंटी उतारू क्या.., भेन्चोद तुझे कब्से इजाज़त लेने की ज़रूरत पड़ गयी.., जल्दी कर अब बैठा क्या देख रहा है मेरी तरफ…!
शंकर भी पूरे मज़े लेने के मूड में था, उसने पैंटी उतारने की वजाय एक तरफ को करदी, और अपनी बीच की उंगली जड़ तक उसकी रसीली चूत में पेल दी…!
सस्सिईईई…..आआहह….इसी से चोद…, हां चाट ले मेरा राजा भीयया..शाबास बेटा आआईय… ये क्या किया री…, मुम्मय्यी….मेरी चुत्त……गायईयी…, क्लिट को पपॉर्ते ही प्रिया की चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे शंकर पूरा चट कर गया…!
अच्छी से झड़ने के बाद प्रिया ने राहत की साँस ली, शंकर को खड़ा करके उसके होंठों को चूम कर बोली….
सही में बहुत जालिम है रे तू.., कैसा औरत को अपनी उंगलियों पर नाचता है.., कहाँ से सीखी ये कला..,,हान्न्न…!
शंकर उसकी चुचियों को मसलते हुए बोला – वो बाद में बताउन्गा, पहले अब आप मेरे लौडे की थोड़ी सेवा करो, वरना ये मेवा नही खिलाएगा आपकी मुनिया को…!
शंकर की बात सुनते ही प्रिया फ़ौरन अपने पंजों पर बैठ गयी, उसकी जीन्स खोलकर नीचे खिसका दी, तब तक शंकर ने अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी..!
अंडर वेअर में फुफ्कार मार रहे उसके लौडे को प्रिया ने हाथ से मसलते हुए कहा – मेरी मुनिया पर नही तो कम से कम अपने इस मूसल पर ही रहम कर लिया कर बेहन के लौडे..,
कैसा अंदर ही अंदर फडफडा रहा है बेचारा, ये कहते हुए उसने उसे अंडरवेर से बाहर निकाल लिया..,
खुली हवा में साँस लेते ही शंकर का घोड़ा पछाड स्प्रिंग लगे गुड्डे की तरह फुदक कर प्रिया के होंठों से जा लगा, जिसे उसने बड़े प्यार से दुलार कर चूम लिया..,
सुरमुई सुपाडे को खोलकर अपनी जीभ की नोक से उसे चाटा.., शंकर के मुँह से आअहह… निकल गयी..,
प्रिया ने उसकी तरफ देख कर उसके गरम दहक्ते लंड को अपने मुँह में भर लिया.., उत्तेजना के वशीभूत होकर शंकर के मुँह से अनाप शनाप निकलने लगा..
आअहह…चूस ले मेरी पालतू कुतिया.., साअली बहुत भूखी है तू मेरे लंड.., उउफ़फ्फ़.., क्या मस्त चुस्ती है साली किसी रंडी की तरह..,
प्रिया आश्चर्य से उसकी तरफ देखते हुए बड़े मज़े ले-लेकर उसके लौडे को चूसे जा रही थी, उसे शंकर की गालियाँ बड़ी सुहानी लग रही थी..,
जब शंकर को लगने लगा कि अब कंट्रोल रखना मुश्किल होता जा रहा है, सो उसने अपने लॉड को प्रिया के मुँह से बाहर खींच लिया और उसे गोद में उठाकर बेड पर लाकर पटक दिया…!
प्रिया की चूत फिर से रस छोड़ने लगी थी, शंकर ने देर ना करते हुए उसकी जांघों को अपनी मजबूत जांघों पर चढ़ाया, अपने रोड जैसे सख़्त हो चुके लंड को उसके छेद पर रखा और एक करारा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
आआययययी….मुम्मय्यी…मर गयी.., हरअमजाड़े…कुत्तीए…आअरराां…सी.. डाल..ना….., उउउफ़फ्फ़.. मार डाला भेन्चोद..,
आधे से ज़्यादा लंड एक झटके से अपनी चूत में लेकर प्रिया बिल-बिला उठी..,
शंकर ने वहीं रुक कर उसके होंठ चूस लिए, फिर उसकी चुचियों को सहलाते हुए
वाकी का लंड भी पेल दिया..,
दर्द से प्रिया का सिर पीछे को हो गया, अपनी छाती आगे निकाल कर वो कराह उठी.., आहह..शंकर.., मर गयी रे..,
शंकर फिर से उसके होंठ चूसने लगा.., कुछ देर ठहर कर उसने धीरे-धीरे अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए..,
अब प्रिया भी लय में आती जा रही थी.., शंकर के धक्कों में तेज़ी आते ही वो भी अपनी मक्खमली गान्ड उपर उछाल-उछाल कर चुदने लगी..,
सस्सिईई…आअहह…उउम्म्मन्णन…और तेज हान्ं.. और ज़ोर्से.. फाड़ इसे.. शनकाररर.. हुन्न्ं…ले मेरी जान…और ले..झेल मेरे लंड को..रान्नीी…,
ऐसे ही कुछ गरमा गरम शब्दों से होटल का वो शानदार आलीशान सूट गूँज रहा था…, कोई किसी से कम नही पड़ना चाहता था…!
ऐसा लग रहा था जैसे ये चुदाई कभी ख़तम होने वाली नही है..,
आधे घंटे के उस घमासान युद्ध के बाद तूफान थमा, जिसमें प्रिया तीसरी बार अपना पानी छोड़ रही थी,
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