RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उधर हान्फ्ते हुए लाजो ने भोला के होंठों को चूस्ते हुए कहा – आअहह…भोला राजा.., क्या कमाल का लंड है.., अब भी इसे लेते हुए नानी याद आ जाती है मुझे.., लेकिन मज़ा भी उतना ही देता है..,
भोला ने उसकी गान्ड पर चट्टाककक..से एक थप्पड़ लगाया और बोला – तो अब बैठी क्यों है, गान्ड चलाती क्यों नही अपनी.., मुझे सबर नही हो रहा…!
लाजो ने मुस्कुरा कर अपनी गान्ड उपर उठाते हुए कहा – जो हुकुम मेरे आका..
जैसे ही भोला का लंड चूत से बाहर आया, उसके चूतरस से पूरा भीगा हुआ दिए की मद्धिम रोशनी में चम-चमा रहा था..,
बाहर निकलता लंड पीछे से रंगीली को ऐसा लग रहा था, मानो कोई नाग अपने बिल से नहाकर बाहर आ रहा है…!
अभी वो उसे ठीक से देख भी नही पाई थी कि लाजो ने अपनी गान्ड दबाकर उसे फिर से अपनी चूत में निगल लिया…!
रंगीली की चूत ये देखकर अपने आप पानी छोड़ने लगी, उसकी आँखें भारी होने लगी.., अब वो लाजो की जगह अपने आप को भोला के लंड पर सवारी करते हुए महसूस करने लगी..,
जैसे जैसे लाजो की आहें निकल रही थी, रंगीली की चूत उतनी बुरी तरह से तप रही थी…!
लाजो ने यथा संभव अपनी गान्ड को गति दे रखी थी.., लेकिन कब तक..?
उसकी चूत ने अपना कुलावा खोल दिया, जड़ तक जाते भोला के लंड ने उसकी चूत के श्रोत को खुलने पर मजबूर कर दिया.., वो अपनी गान्ड को भोला के लंड पर बुरी तरह से दबाकर झड़ने लगी..,
नीचे से भोला ने उसकी चुचियों को कस कर भींचते हुए उसके निप्प्लो को मरोड़ दिया..,
आआईयईई…भोला रजाअ…इतनी ज़ोर से नही.., लाजो कराह कर बोली…
भोला – साली अब बैठी क्यों है फिर, चल उतार नीचे, ये कहकर उसने उसे नीचे लुढ़का दिया.., और उसकी टाँगों को चौड़ा कर अपना रोड जैसा कड़क लंड उसकी चूत में पेल दिया…,
इसी के साथ रंगीली ने भी अपनी अपना लहँगा उपर करके 3-3 उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में डाल दी और उन्हें तेज़ी से अंदर बाहर भी करने लगी..,
वो अब इतनी गरम हो चुकी थी कि, कोशिश करने के बाद भी वो खुद को रोक नही पाई और एक दबी दबी सी सिसकी लेकर खड़े-खड़े ही झड़ने लगी…!
वो इतनी भूरी तरह से झड़ी, की अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल पड़ गया उसे, और अपनी चूत दबाकर अपने पंजों पर वहीं बैठ गयी..,
उधर भोला के लंड पेलते ही लाजो बुरी तरह से हीन-हिना उठी…
आआययईीी…मैयाअ. धीरे…राजा…फट गयी मेरी तो..,, भोला ने उसकी गान्ड पर चान्टे मारते हुए धक्कों की झड़ी लगा दी…
हुउन्ण…साली कुतिया..कैसे चिल्लाती है, जैसे पहली बार चुद रही हो.., ले खा मेरा मूसल.., साली रंडी..,
सस्सिईइ…पेलो राजा.., जितनी गान्ड में दम हो उतना पेलो…आअहह…मज़ा आरहा है..उउउफफफ्फ़…आअहह…ांनग्ज्ग…उउऊयईी…
हुउन्ण..हहुऊन्न्ं..ली..मेरी..कुतिया और ली…ले..ले मेरा बीज़, कहते हुए भोला ने अपना नाल उसकी ओखली में खोल दिया..,
भोला के लंड से निकले वीर्य की तेज बौच्हर अपनी बच्चेदानी के मुँह पर पाकर लाजो की चूत फूलने पिचकने लगी और उसके लंड को अपनी फांकों में कस कर वो भी झड़ने लगी…
झाड़ते हुए उसकी गान्ड का कत्थयि छेद भी कस कर बंद हो गया…,
लाजो औंधे मुँह बिस्तर पर पड़ गयी, और उपर भोला, किसी सांड की तरफ पड़ा हाँफने लगा…!
रंगीली को जब पता लगा कि अब इनकी चुदाई ख़तम हो चुकी है, कभी भी कोई भी इनमें से बाहर आ सकता है, सो उसने खड़े होकर अपनी चूत को पेटिकॉट से पोन्छा और दबे पाँव अपने घर की तरफ चल पड़ी…!
उस पूरी रात रंगीली ठीक से सो नही पाई, वो जैसे ही अपनी आँखों को बंद करके सोने की कोशिश करती, भोला का वो कड़ियल काला नाग लाजो की सुरंग जैसी चूत में अंदर बाहर होता दिखाई देने लगता…!
वो मन ही मन लाजो को गालियाँ निकलती, बार बार गीली हो रही अपनी मुनिया को पोंछती जा रही थी..,
साली रंडी कुतिया को मिला भी तो मेरे ही घर का लंड मिला, पर फिर ये सोच कर मन को शांत कर लेती, कि चलो आधे दिमाग़ वाले उसके जेठ के मज़े बहुत आ रहे हैं..
एक बड़े घर की लुगाई चोदने को मिल रही है, साथ में हलवा राबड़ी खाने को मिल रहे हैं.., लेकिन फिर जैसे ही उसके सेठ का मूसल याद आता, वो फिर से बैचैन हो उठती..,
क्या मुझे भी जेठ जी से मिलना चाहिए..? नही-नही, ये ठीक नही होगा, खम्खा उनके भजन में भंग पड़ेगा, उनका जैसा चल रहा है, चलने देती हूँ,
मेरे लिए मेरा बेटा ही ठीक है.., अपनी खम्खा की लालसा के लिए अपने पति से तो बेवफ़ाई कर ही चुकी हूँ, अब बेटे से नही.., वरना मुझमें और इस छिनाल लाजो में फरक ही क्या रह जाएगा….!
लेकिन अगर लाजो के पैर भारी हो गये तो..? मेरी सारी योजना मिट्टी में मिल जाएगी...!
तो फिर अब क्या किया जाए, जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे…!
फिर कुछ विचार करके मन ही मन एक निर्णय लिया, और निश्चिंत होकर वो सो गयी..,
अभी वो कुछ ही घंटे सो पाई थी, क़ि सुबह की चहल-पहल ने उसे उठने पर मजबूर कर दिया..,
अपना सुबह का काम धंधा ख़तम करके उसने लाला जी के लिए नाश्ता तैयार किया और लेकर उनकी बैठक में जा पहुँची..,
रंगीली को देखते ही उनकी मन की कली खिल उठी, वैसे जबसे लाजो ने भोला के लौडे की सवारी शुरू की थी, वो अपने ससुर से दूर-दूर ही रहने लगी थी..,
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