RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
दोपहर का काम ख़तम होते ही नौकर भी अपने-अपने घरों में जाकर आराम करने लगे, हवेली में चारों तरफ शांति च्छाई हुई थी..,
हवा के झोंके की आस में कमरे की खिड़की पर बैठी सेठानी अपनी ही सोचों में गुम बैठी थी, कि तभी उसे लाजो अपने कमरे से निकलकर आँगन में दिखाई दी..,
उसके हाथ में पीतल का एक डिब्बा था, और वो इधर-उधर नज़र दौड़ाती हुई बाहर जाने वाले दरवाजे की तरफ बढ़ी चली जा रही थी…!
सेठानी उसे आवाज़ देकर रोकने ही वाली थी कि उसके कूढ़ मगज में ना जाने कैसे ये बात आई, कि क्यों इसका पीछा करके पता लगाया जाए कि आख़िर ये जा कहाँ रही है..,
ये बात तो साबित हो गयी कि रंगीली ने जो बताया था वो सही है, वरना ये ऐसे चुपके-चुपके दबे पाँव बाहर की तरफ क्यों जाती…!
ये विचार करके सेठानी भी लपक कर अपनी खटिया से उठ बैठी और लाजो की नज़रों से खुद को बचाती हुई वो भी उसके पीछे पीछे हो ली…!
अपनी बहू को भोला के घेर में घुसते देख सेठानी का माथा ठनका.., साली कुतिया यहाँ इस पागल से चुदने आती है हरम्जादि..,
आज देख मे तेरा क्या हाल करती हूँ, साली रंडी की औलाद, गालियाँ बॅड-बड़ाती हुई सेठानी अभी अपने घर को मुड़ने वाली थी कि तभी उसके दिमाग़ ने फिर से काम करना शुरू कर दिया..!
देखूं तो सही ये साली कहाँ तक गिर सकती है, ऐसे ही लौट गयी तो ये कभी मेरी बात को लगने नही देगी, सॉफ मुकर जाएगी..,
इस हरम्जादि को रंगे हाथ पकड़ती हूँ तब मानेगी कुतिया.., ये सोचकर सेठानी भी भोला के घेर की तरफ बढ़ गयी…!
भाग्यबस सेठानी को घेर का मुख्य दरवाजा खुला ही मिल गया, जो जल्दबाज़ी में शायद लाजो ऐसे ही भिड़ा कर चली गयी थी…!
पहले उन्होने दरवाजे की झिर्री से आँख सटा कर अंदर का जायज़ा लिया, उन्हें बाहर कोई नही दिखा, वैसे भी ऐसी भीषण दोपहरी में खुले में कॉन होने वाला था..,
सामने ही एक कोठा सा था जिसमें से कुछ आवाज़ें आती सुनाई पड़ी..,
सेठानी चुपके से घेर का दरवाजा धकेल कर अंदर दाखिल हो गयी, दबे पाँव वो कोठे तक पहुँची, अंदर से आती आवाज़ों को सुनकर सेठानी के होश गुम हो गये..,
लाजो बुरी तरह सिसकते हुए कह रही थी.., आअहह….सस्स्सिईइ….भोला रजाअ.., और ज़ोर्से से चूसो इन्हें.., बहुत सताते हैं निगोडे..,
भोला – हाए मेरी रानी, तेरी ये मस्त भारी-भारी चुचियाँ देखकर मेरा जी करता है इन्हें कच्चा ही खा जाउ..,,,
लाजो – उउउफफफ्फ़.. तो खा जाओ मेरे राजा, रोका किसने है.., आआईय…म्माआ…, ज़ोर्से मत काटो.., निशान पड़ जाएँगे..,
ऐसी कामुक आवाज़ें सुनने के बाद किसी के भी खून में गर्मी पैदा हो सकती है, सेठानी भी अंदर चल रही रास लीला का आनंद लेने के लिए व्याकुल होने लगी..,
दरवाजे की झिर्री में आँखें सटा कर उन्होने जैसे ही अंदर का नज़ारा देखा, उनकी अधेड़ चूत भी सुरसुराने लगी..,
इस समय उसकी प्यारी बहू उपर से बिल्कुल नंगी थी.., और भोला नीचे से.., दोनो बैठे एक दूसरे से गुथे हुए थे..,
भोला उसकी चुचियों को मथ रहा था, चूस रहा था, वहीं लाजो उसके अजगर जैसे लंड को अपने दोनो हाथों में लेकर मुठिया रही थी..,
भोला के अजगर पर नज़र पड़ते ही सेठानी ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया, वरना उनके मुँह से चीख ही निकल पड़ती..,
हाअईए…राम…ये लंड है या कुछ और.., क्या लाजो बहू इसको पूरा ले जाती होगी..? लगता है हरम्जादि की चूत में कुछ ज़्यादा ही खुजली होती है.., तभी मोटे-तगड़े लंड की खोज करती हुई यहाँ तक आ पहुँची..,
ला अभी बताती हूँ, हरम्जादि कुतिया.., छिनाल को मेरा बेटा कम पड़ता है जो यहाँ इस पागल से चुदने आती है, मन ही मन बड़बड़ाती सेठानी अभी किवाड़ को धकेल कर अंदर आने की सोच ही रही थी, कि तभी लाजो ने भोला के अजगर को अपने मुँह में ले लिया..,
सेठानी के लिए ये किसी अजूबे से कम नही था.., उन्होने अपने जीवन में ये कभी नही सोचा था कि लंड को मुँह में भी लेकर मज़ा आता है..,
उन्होने घृणा से अपना मुँह बीसूर लिया.., राम..राम..कितनी बड़ी कुतिया है साली, बातो मूतने वाले लंड को मुँह में ही ले गयी.., हाए दैयाअ… ये तो इसे मज़े ले-लेकर चूस भी रही है..,
इतनी तन्मयता से अपनी बहू को लंड चूस्ते देख सेठानी सोचने पर मजबूर हो गयी, कहीं इसमें भी मज़ा तो नही आता..? वरना ये बुरा सा मुँह बनाने की बजाय इतना रस ले-लेकर नही चुस्ती…!
अभी वो अपने इसी कौतूहल में ही उलझी हुई थी कि भोला ने लाजो की साड़ी कमर तक चढ़ाई, और उसकी गान्ड को अपने मुँह पर रखकर उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर उसे कुत्ते की तरह चाटने लगा..,
लाजो ने लंड को मुँह से निकालकर अपना भाड़ सा मुँह खोल दिया.., चूत की फांकों पर जीभ के लगते ही वो कामुकता भरी सिसकी भरते हुए बोली…
सस्स्सिईइ….आआहह…चाटो राजा, और अच्छे से..चाटो मेरी चूत को.., हाए..अंदर करो ना…,
भोला ने उसकी गान्ड पर एक जोरदार चान्टा मारते हुए कहा – तू अपना काम कर साली कुतिया.., मुझे मत सिखा मुझे क्या करना है..,
एक आधे पागल नौकर के भाई को बहू के साथ गाली गलौच करते देख सेठानी को बड़ा अचंभा सा हुआ.., जबाब में उसकी बहू ने हस्कर उसका लंड मुँह में भरकर फिर से चूसने लगी..,
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