Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 02:55 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सुबह जब सब लोग नाश्ते की टेबल पर बैठे, तो शंकर को नदारद पाया, तब सुषमा ने सलौनी को बोला – देखना सलौनी शंकर रात घर आया है या नही.., हो तो उसे नाश्ते के लिए बोलना…!

सलौनी मुन्डी हिलाकर उसे देखने उसके रूम की तरफ चल पड़ी, यहाँ आकर उसके रंग ढंग ही बदल गये थे, अब कोई उसे नही कह सकता था कि ये वही गाओं की भोली-भाली, चंचल, चुलबुली सलौनी है..!

कसे हुए टाइट फिट सूट में वो साँवली सलौनी बाला, बॉलीवुड की हेरोयिन मुमताज़ को भी मात दे रही थी.., सच में कपड़ों के बदलने से ही आदमी हो या लड़की/ औरत.., उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता है…!

कसे हुए सूट में वो अपनी सुडौल लकिन अविकसित गान्ड की गोलाईयों को मटकाती हुई अपने भैया को देखने चल दी…,

दरवाजे को धकेलते हुए सलौनी आँधी तूफान की तरह शंकर के कमरे में घुसी.., सामने एक बड़े से पलंग के बीचो-बीच, एकदम चित्त अवस्था में शंकर बेसूध पड़ा सो रहा था…!

शायद इस समय वो कोई हसीन ख्वाब में था.., तभी तो उसका पप्पू पाजामे को उठाकर एक बड़ा सा तंबू बनाए झूम रहा था…!

उस पर नज़र पड़ते ही उस नव-यौवना सलौनी के होश गुम हो गये.., वो अपने आने का मक़सद भूलकर बस उसके रह-रहकर ठुमके लगा रहे पलामे में बने तंबू में ही खो गयी..!

आहिस्ता आहिस्ता चलकर सलौनी शंकर के बेड तक जा पहुँची, फिर धीरे से उसके बगल में जाकर बैठ गयी..,

पहले उसने अपने भाई के सुंदर से मासूम चेहरे पर नज़र डाली जहाँ उसे जमानेभर की मासूमियत के अलावा बस एक मुस्कान नज़र आई जो शायद किसी हसीन ख्वाब के कारण थी…!

फिर उसकी नज़र उसके कसरती बदन से फिसलती हुई सीधी उसके तंबू पर जा अटकी जो अभी भी उसी पोज़िशन खड़ा कभी-कभी हल्के हल्के झटके दे रहा था..,

उसकी इन हरकतों ने सलौनी पर जादू सा कर डाला, वो एकटक उसी में खो गयी, उन्माद उसके तन बदन में भरने लगा, किसी कठपुतली की तरह उसका कांपता हुआ हाथ उसके तंबू की तरफ जाने लगा…!

दर्र और उत्तेजना के मिले जुले भाव उसके चेहरे पर साफ-साफ नज़र आ रहे थे, ना चाहते हुए भी उसने अपने हाथ की उंगलियाँ पाजामे के उपर से ही उसके लंड से छुआ दी..,

इतने भर से ही सलौनी के सारे बदन में कामुकता की एक लहर सी दौड़ गयी.., जिसका सीधा असर उसकी अनछुई मुनिया पर पड़ा.., उसके अनछुए होंठ फड़-फडा उठे…!

गोलाईयों के दानो में सुर-सुराहट होने लगी.., उसका मन किया कि उसे और छुये, अपनी मुट्ठी में लेकर फील करे.., लेकिन भाई के जागने के डर से वो ऐसा नही कर पा रही थी..!

फिर भी मन नही माना और उसने डरते हुए अपने हाथ से उसकी मोटाई नाप ही ली.., लेकिन भय के कारण उसने फ़ौरन अपना हाथ वापस खींच लिया..,

अपनी कोमल भावनाओं पर अंकुश लगाकर उसने धीरे से अपने भाई के कंधे से पकड़ कर हिलाया…, भाई..भाई…उठ…कब तक सोएगा…!

लेकिन वो तो दीन दुनिया स बेख़बर अपने ही हसीन ख्वाबों की दुनिया में था.., सपने में ही उसने सलौनी को पकड़कर अपने उपर खींच लिया.., उसे बाहों में भरते हुए नींद में ही बड़बड़ाया…, आ ना माँ.., अब क्यों सता रही है..उउन्न्ं..

अंजाने में ही सही, उसके भाई ने उसे अपने सीने में भींच लिया था जिससे उसके अनछुए कुंवारे अनार शंकर की कठोर छाती से दबकर रह गये…!

रगड़ से उसके अंनारदाने कड़क हो उठे, अंजाने में ही उसकी एक जाँघ भाई के लंड से रगड़ गयी.., सलौनी का रोम-रोम इस मादक एहसास से झन-झना उठा…!

लेकिन फिर जैसे ही उसने उसके शब्दों पर गौर किया.., वो उसकी बाहों से निकलने के लिए कसमासाई.., अपने मन में बुदबुदाते हुए बोली – इसने माँ का नाम क्यों लिया..?

क्या सपने में भी ये माँ के साथ…, ये सोचते ही सलौनी के चेहरे की मुस्कान गहरी हो उठी..,


उसमें एक अजीब सी हिम्मत पैदा होने लगी और उसने अपनी जाँघ को उसके लंड पर रगड़ दिया.., जो उसकी असली मंज़िल से कुछ ही फ़ासले पर था…!

भाई के कड़क लंड को जाँघ से रगड़ने मात्र से ही सलौनी की मुनिया पसीज उठी.., उसकी पतली-पतली अनछुई फांकों के बीच चिप-चिपाहट होने लगी…!

तभी उसे ख्याल आया, कि वो तो उसे बुलाने आई थी.., कहीं ज़्यादा देर हो गयी तो सुप्रिया दीदी उपर ही ना आ जाए ये सोचकर ना चाहते हुए भी उसने एक बार अपनी कमर को झटका देकर उपर उठाया…!

अब उसकी मुनिया की दरार ठीक शंकर के लंड के टोपे पर थी, एक बार उसे दबाकर अपनी कोरी चूत को उसकी खुश्बू का एहसास कराया जो बड़ा ही अनूठा था.., जिसे अब वो अपने अंदर तक लेना चाह रही थी…!

लेकिन वक़्त की नज़ाकत को देखते हुए उसने अपना मन मसोसकर अपने आप को शंकर की गिरफ़्त से आज़ाद किया और उसे झकझोर कर जागने पर मजबूर कर दिया…!

शंकर अपनी आँखें मलते हुए बिस्तर पर बैठ गया, सामने सलौनी को देखकर बोला – क्या है गुड़िया.., क्यों परेशान कर रही है.., सोने दे ना.

सलौनी – कब तक सोता रहेगा..? 10 बज गये.. सब लोग नाश्ते पर तेरा इंतेजार कर रहे हैं.., जल्दी से तैयार होकर नीचे आ…!

शंकर – क्या..? 10 बज गये..? बाप रे.., तू चल मे 15 मिनिट में नीचे आता हूँ.., इतना कहकर उसने पलंग से नीचे जंप लगा दी..,

उसका 8” लंड फुल फॉर्म में खड़ा ही थी.., सो जंप के साथ साथ उसने भी पाजामे उपर नीचे जंप लगा दी.., ये देख कर सलौनी ने अपनी हसी रोकने की कोशिश में अपने मुँह को दबा लिया…!

लेकिन फिर भी उसकी हसी निकल ही गयी.., और खिल-खिलाती हुई कमरे से बाहर भाग गयी..,
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