Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 06:30 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सलौनी को इस तरह से हस्ते हुए देख कर शंकर ने अपने लौडे पर ध्यान दिया तब जाकर उसे उसके हस्ने का कारण समझ में आया..,

वो बुरी तरह से अपने आप में ही शर्मा गया.., ये सोच कर कि ये सब उसकी छोटी बेहन ने देखा होगा, उसे मन ही मन बहुत ग्लानि सी फील हुई..,!

फ्रेश होकर करीब आधे घंटा बाद जब वो नीचे आया, तब तक श्याम और उसके पिताजी दोनो अपने शो रूम पर जा चुके थे.

नाश्ते के दौरान कुछ इधर उधर की बातें होती रही.., फिर उन सबने कोई फिल्म देखने का प्लान बनाया और तय हुआ कि शाम का शो वो किसी अच्छी सी मूवी देखने जाएँगे…!

नाश्ते के बाद कुछ देर और आपस में गॅप शॅप होती रही फिर कुछ देर बाद सुप्रिया की सासू-माँ अपने कमरे में चली गयी..,

सलौनी गौरी को लेकर लाउन्ज में चली गयी और वो दोनो टीवी देखने में मशगूल हो गयी..,

बच्चियों के जाते ही सुप्रिया ने अपनी भाभी को छेड़ते हुए कहा – और भाभी कैसी चल रही है आप दोनो की खाट कबड्डी..?

सुषमा ने उसकी जाँघ दबाते हुए कहा – अरे ननद रानी, अब कहाँ हो पता है कुछ, ये निगोडा पेट इतना बाहर आ आगया है, तो बस ऐसे ही थोड़ा बहुत मन बहला लेते हैं.., कभी-कभार…!

सुप्रिया उसका हाथ पकड़कर बोली – चलो मेरे कमरे में बैठ कर बात करते हैं, क्यों शंकर चलें या तुम्हें प्रिया दीदी ने तलब किया है आज भी…!

शंकर अपनी नज़रें नीची करके झेन्प्ते हुए बोला – नही आज तो नही बुलाया है क्यों.., आपको कोई खबर भिजवानी हो तो चला जाता हूँ..,

सुप्रिया सुषमा को आँख मारते हुए बोली – देखा भाभी.., ये प्रिया दीदी के पास जाने के लिए कैसे-कैसे बहाने ढूंढता है..,

हां भाई क्यों नही.., आख़िर में इसके लिए तो वो एक तरह से माल पुआ की दावत जैसी हैं.., है ना शंकर, इतना बोलते-बोलते वो हस्ते हुए अपनी चेयर से उठकर शंकर के पीछे जा पहुँची और पीछे से उसकी गर्दन में अपनी मरमरी बाहें डाल दी…!

सुप्रिया की टीज़िंग भारी बातें सुनकर सुषमा कहाँ पीछे रहने वाली थी.., सो वो भी उसे छेड़ते हुए बोली - शंकर भैया की तो आज कल पाँचों उंगलियाँ घी में और सिर कढ़ाई में है..,

और फिर जब राबड़ी सामने हो तो सुखी भाजी किसे अच्छी लगेगी.., मे तो वैसे भी बेडौल हो गयी हूँ, हां तुम्हारे मामले में राबड़ी नही तो रस मलाई तो कह ही सकते हैं..!

शंकर भली भाँति इन दोनो के मज़ाक को समझ रहा था., सो उसने सुप्रिया का बाजू पकड़कर उसे अपनी गोद में बिठाकर उसकी सुडौल तनी हुई चुचियों को ज़ोर्से मसल दिया…!

आआईयईई…म्माआ…क्या करते हो, इतने ज़ोर्से भी कोई करता है भला.., चलो मेरे कमरे में चलते हैं…, क्यों भाभी.., आप भी चलो.., तीनों मिलकर मज़े करते हैं.!

सुषमा – नही तुम लोग जाओ, मे यहीं बच्चों के पास ही रहती हूँ, कहीं हमें ढूँढते हुए वो दोनो उपर ना जा पहुँचें…!

शंकर ने सुप्रिया को किसी बच्ची की तरह अपनी गोद में उठा लिया और उसे लेकर उपर की ओर बढ़ गया.., पीछे से सुषमा अपना मन मसोसकर रह गयी…!

शंकर ने उसको ले जाकर उसके लंबे चौड़े पलंग पर पटक दिया.., और खुद उसके उपर आते हुए कुहनी टिका कर उसके बगल में लेट गया..!

एक हाथ से उसकी मिडी को सरकाते हुए उसकी मखमली जांघों को सहला कर बोला – और मेरी जान, खुश तो हो यहाँ…!

सुप्रिया ने उसके होंठ चूम लिए.., फिर उसके सिर उठा रहे लंड को सहलाते हुए बोली – यहाँ वैसे तो किसी बात की कोई कमी नही है मेरे लिए..,

लेकिन तुम्हारे इसकी बहुत याद आती रहती है…!

शंकर ने उसके गाउन को खिसका कर कमर तक चढ़ा दिया, अपनी एक उंगली उसकी गान्ड की दरार में फेरते हुए बोला – तो कुछ ऐसा करो ना जिससे ये दूरियाँ हमेशा के लिए ख़तम हो जायें…!

सुप्रिया ने अपनी नंगी टाँग शंकर के उपर चढ़ा दी.., एक हाथ उसकी टीशर्ट के अंदर डालकर उसकी चौड़ी छाती को जिसपर अब थोड़े थोड़े बाल उगना शुरू हो रहे थे उन्हें सहलाते हुए अपनी जाँघ का दबाब उसके लंड पर बढ़ाकर बोली –

ये तुम सही कह रहे हो.., डेलिवरी हो जाने के बाद ऐसा कुछ करती हूँ जिससे हमारे बीच की दूरियाँ हमेशा के लिए मिट जायें…!

शंकर ने उसके वन पीस गाउन को उतार दिया.., बिना ब्रा के उसके कसे हुए अनार जिनके शिखर पर दो अंगूर के दाने चिपके थे उन्हें अपनी हथेली से मसल दिया…!

सस्सिईइ…आआहह…रजाअ..इन्हें थोड़ा चूसो ना.., इतना कहकर उसने खुद ही अपने हाथ में लेकर अपनी एक चुचि को उसके मुँह में ठेल दिया..,


शंकर ने उसके अनारदाने को अपने होंठों में दबाकर दूसरे अनार को हाथ में पकड़कर मसल्ने लगा…!

सुप्रिया मज़े के मारे बिस्तेर पर किसी मछलि की तरह तड़पने लगी.., अपनी एडियों को बिस्तेर पर रगड़ते हुए उसने शंकर के बालों को अपनी मुट्ठी में कस लिया और उसके मुँह को अपनी चुचि पर दबाकर सिसकने लगी…..!

इस दौरान सुप्रिया ने शंकर की टीशर्ट भी निकाल दी, शंकर चुचियों को छोड़कर उसके पतले से पेट को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा, जहाँ दो मखमली जांघों के बीच एक छोटी सी पैंटी के अंदर कसी हुई उसकी मंज़िल उसका इंतजार कर रही थी…!

सुप्रिया की पैंटी आगे से गीली होने लगी थी.., दो मोटे-मोटे उभारों के बीच पतली सी दरार देख कर उसने अपनी एक उंगली दरार में उपर से नीचे तक घुमाई…!

सस्सिईइ…आअहह…शंकर…, पैंटी निकाल कर करो प्लीज़…, अब रहा नही जा रहा मुझसे.., उउफ़फ्फ़..म्माआ…., सुप्रिया मादक सिसकी लेकर बोली…!

शंकर ने मुस्करा कर उसकी पैंटी भी निकाल बाहर कर दी.., फिर और नीचे खिसक कर अपनी जीभ से उसकी चूत की फांकों को चाट लिया…!

सस्सिईइ…हाईए…ममायीयी…, अब देर ना करो मेरे बलम.., जल्दी से अपना मूसल इसमें डालकर कुटाई करो.., चिंतियाँ सी काट रही हैं इसमें…!

शंकर ने अपनी एक उंगली उसके सुराख में डालकर गीलापन चेक किया.., सुप्रिया ने अपनी जांघों को कस कर उसके हाथ को दबा लिया…!

उसने दूसरे हाथ से उसकी जांघों को एक दूसरे से जुदा किया.., अपना लोवर उतारकर वो उसकी टाँगों के बीच आ गया..,
गीली चूत पर हाथ से सहला कर अपने दहक्ते सुपाडे को उसकी चूत के छेद पर सेट करके एक तगड़ा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!

लंड गीली चूत में सर-सरा कर आधे से ज़्यादा उसकी चूत में सरक गया.., सुप्रिया के मुँह से एक दर्द युक्त मादक कराह निकल गयी…!

आअहह…राज्ज्जाअ…धीरी…, मेरे पेट में धमक लगती है.., उउउफफफ्फ़..कितना कस गया है..,

शंकर ने उसकी मादक कराह सुनकर अपने लौडे को सुपाडे तक बाहर निकाला और एक बार फिरसे एक जबरदस्त धक्का लगा कर पूरा लंड उसकी संकरी गली में डाल दिया…!

सुप्रिया मज़े और दर्द के कारण दोहरी हो गयी.., होंठों को भींचकर उसने शंकर के सिर के बालों को जकड लिया…!

शंकर उसकी चुचियों के साथ खेलने लगा.., थोड़ी देर ठहर कर उसने उसे चोदना शुरू किया…, कई महीनों के बाद लंड का स्वाद ले रही उसकी मुनिया खुशी के मारे लार छोड़ने लगी…!

उसकी फांकों ने शंकर के लौडे को एक तरह से जप्त कर लिया था.., कमरे में फुच्च..फुच्च..ठप..ठप की आवाज़ें गूंजने लगी…!

नीचे से अपनी कमर उचका-उचका कर ज़्यादा से ज़्यादा अंदर तक लंड लेने की कोशिश करती सुप्रिया के मुँह से जबरदस्त कामुकता से भरी सिसकियाँ निकल रही थी..

सस्सिईइ…आअहह…उउउफ़फ्फ़…चोदो मेरे राजा.., फाड़ डालो मेरी चूत को…हाए रामम..मायारीयैयी…कितना मज़ा देते हो तुमुउन्न्न…उऊयईी…मे तो गाइइ री…कहकर…सुप्रिया ने अपना काम रस छोड़ दिया..,

वो उसके सीने में जोंक की तरह चिपक कर झड़ने लगी.., शंकर के धक्कों में कमी आ गयी… लेकिन बंद नही किए…!

आअहह…शंकर.., रूको थोड़ा.., मे तुम्हारे उपर आ जाउ..?

मुस्करा कर शंकर ने उसकी पीठ के नीचे हाथ लगाकर अपने से चिपकाया और लंड अंदर डाले डाले ही उसे अपने उपर ले लिया…!

थोड़ा रुक कर सुप्रिया उपर से उसके लंड पर कूदने लगी.., नीचे से शंकर भी ताबड-तोड़ धक्के मारने लगा..,

सुप्रिया लगातार झड रही थी.., शंकर ने उलट-पलट कर उसको आधे घंटा तक जमकर चोदा.., आख़िर में कुतिया की तरह चोदते हुए उसने अपने लंड का अमृत उसकी चूत को पिला दिया…!

थक कर वो दोनो एक दूसरे की बाहों में सीमटे सो गये..!

शाम को उन्हें मूवी देखने जाना था.., सो कुछ देर बाद शंकर अपने रूम में चला गया..,

शाम को 6-9 बजे वाला शो देखना था, शंकर 5 बजे फ्रेश होकर पहले उसने सुप्रिया को तैयार होकर नीचे आने को कहा..,

फिर नीचे आकर वो सीधा सुषमा के रूम में जा घुसा…!
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