RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
जब माँ अपने बेटे का प्यार पा सकती है तो बेहन क्यों नही.., माँ-बेटे से पवित्र रिश्ता इस दुनिया में और कोई हो ही नही सकता.., जब वो इस तरह के संबंध बना सकती है तो मे क्यों नही..!
दोनो एक ही बाइक से पढ़ने जाते थे, सलौनी 12थ में पढ़ रही थी.., शंकर का भी ग्रॅजुयेशन का ये फाइनल एअर था..,
बरसात का मौसम था.., आसमानों में हर समय काले काले बदल छाये रहते थे.., काली काली घटाओं का कुछ ठिकाना नही कब बरसने लगें…!
ऐसे ही एक दिन जब वो पढ़के लौट रहे थे कि जोरदार बारिश शुरू हो गयी.., सलौनी के मन की मुराद पूरी हो गयी जो वो अपने भाई के साथ बारिश का मज़ा लेने के ख्वाब बुनती रहती थी…!
वो पीछे से उसके बदन से जोंक की तरह चिपक गयी.., उसकी कड़क कठोरे अनछुई गुदाज चुचियों जो अब किसी टेनिस की बॉल के आकार को भी पार कर चुकी थी, की चुभन अपनी पीठ पर होते ही शंकर की भावनायें बदलने लगी…!
उसपर भी मस्ती की खुमारी छाने लगी, और पॅंट में उसका घोड़ा पछाड़ सिर उठाने लगा…!
सलौनी ने पीछे से उसे कसकर जाकड़ लिया और हल्के हल्के झटकों के बहाने वो अपनी चुचियों के कड़क निप्प्लो को उसकी कठोर पीठ से रगड़ने लगी…!
सुरसूराहट के मारे शंकर के हाथ काँपने लगे.., अपने मनोभावों पर काबू रखने की कोशिश करते हुए वो बोला…
ये क्या कर रही है गुड़िया.., ठीक से बैठ ना.., इतनी ज़ोर्से क्यों जकड लिया है मुझे..?
सलौनी उसके चौड़े चाकले कंधे पर अपना गाल रगड़ते हुए बोली – देख नही रहा है सामने से कितनी तेज बौछार पड़ रही है.., अपने आप को तेरे पीछे बचा सकती हूँ तो बचु नही क्या..?
शंकर – तो ऐसे हिल क्यों रही है.., बारिश में बाइक स्लिप हो गयी तो हम दोनो किसी खेत में पड़े दिखाई देंगे.. समझी…!
सलौनी तूनकते हुए बोली – मुझे नही पता.., गिरते हैं तो गिरने दे.., मुझसे ये बौछार सहन नही हो रही, मुझे तेरे साथ चिपकने में बहुत अच्छा लग रहा है..,
शंकर भी अब सलौनी के मनोभावों को समझने लगा था.., लेकिन अपनी तरफ से वो उसे ज़्यादा नज़दीक आने नही देता था..,
इस समय भी वो उसके मन की बात खूब अच्छे से समझ रहा था…!
उसे समझाते हुए बोला – ठीक है बचना चाहती है तो बच ले मे मना नही कर रहा, बस ठीक से मुझे पकड़ कर शांति से तो बैठ.., बाइक हिलती है..,
रोड भी ठीक नही है जगह जगह गड्ढों में पानी भर गया है.., किसी गहरे गड्ढे में बाइक उच्छल कर गिर पड़ेगी..!
सलौनी थोड़ा और चिपक कर उसे आगे से अपने हाथों को उपर नीचे करने के बहाने अपने हाथ उसके पेट तक ले गयी.., जो धीरे-धीरे करके उसकी जांघों के बीच तक पहुँच गये…!
पॅंट में शंकर के उभार को महसूस करते ही उसकी छुपी हुई वासना अपना फन फैलाने लगी..,
लंड के बेहद नज़दीक सलौनी के हाथों का स्पर्श होते ही शंकर के बदन में कंपकंपी सी होने लगी.., वो किसी तरह से अपने आपको कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था…!
तभी सलौनी ने अपना एक हाथ ठीक उसके लंड पर रख कर उसे दबाते हुए कंपकपाते स्वर में बोली – ये क्या है भैया…?
शंकर ने बिना कोई जबाब दिए उसके हाथ को वहाँ से हटाने की गर्ज से अपना हाथ उसके हाथ के उपर रखा..,
तभी बाइक सड़क के एक गहरे से गड्ढे में चली गयी.., एक हाथ से वो उसका बॅलेन्स नही बना पाया.., नतीजा वो लहराते हुए संकरी सी सड़क से नीचे खेत में उतर गयी..,
इससे पहले कि वो उसमें ब्रेक लगाकर कंट्रोल कर पाता कि उसके व्हील कच्ची गीली मिट्टी में धँस गये और वो दोनो पानी भरे खेत में बाइक से गिरकर एक दूसरे में गुड-मूड हो गये…!
बाइक के एक साइड में पलटने से शंकर का एक पैर बाइक के नीचे फँस गया.., उसके उपर सलौनी पड़ी हुई थी.., ठीक उसके सामने…!
दोनो के चेहरे एक दूसरे के बेहद करीब, दोनो की गरम साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी.., दोनो के कपड़े पानी से सराबोर जो अब खेत की गीली मिट्टी लगने से कीचड़ के हो गये थे…!
सलौनी के बेहद कठोर उभार शंकर के सीने से दब गये थे, इस वजह से वो सामने से उसके कुर्ते के गले से अपनी पुष्ट छबि शंकर की आँखों में अमृत घोलने का काम कर रहे थे…!
सलौनी की मुनिया उसके लंड के पर्वत शिखर पर टिकी हुई थी.., दोनो ही निरि देर तक अपनी वर्तमान स्थिति से अन्भिग्य बस अपने अंदर उठ रहे वासना के तूफान के बाशिभूत बस यूँ ही पड़े रहे…!
सबसे पहले शंकर ने ही अपने आपको संभाला उसके बाजुओं को पकड़ कर उसने सालौनी को अपने उपर से उठाना चाहा..!
लेकिन उसने उठने की वजाय वो नीचे की तरह पलट गयी, जबरन अपनी बाहों में जकड़कर शंकर को अपने उपर कर लिया,
शंकर ने अपने आपको उसके बंधन से छुड़ाते हुए कहा – छोड़ ना गुड़िया.., उठने दे मुझे.., देख क्या हाल हो गया है कपड़ों का…!
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