RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने राहत की साँस ली.., कल्लू के शरीर को हाथों में उठाया.., और बाइक पर बैठकर अपने आगे टाँगों पर उसे रख कर जैसे तैसे कस्बे के हॉस्पिटल तक ले गया.., जहाँ डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी…!
ये फ़ैसला वो अकेला नही ले सकता था.., उसने लाला जी को बताना ठीक समझा.., हॉस्पिटल के फोन से लाला जी को फोन किया.., सारी बातें बताई…!
हवेली में कोहराम मच गया.., आनन फानन में लाला जी ने किसी तरह गाओं से गाड़ी चलाने वाले किसी ड्राइवर को तलाशा.., शंकर की जीप लेकर वो हॉस्पिटल पहुँचे
साथ में सुषमा और सेठानी भी लग ली.., जल्दी जल्दी उसे जीप में डालकर शहर ले गये और एक बड़े से हॉस्पिटल में कल्लू का इलाज शुरू हुआ…..!
ऑपरेशन थियेटर में कल्लू का ऑपरेशन चल रहा था, और बाहर ये सब लोग बैचैनि में भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि किसी तरह कल्लू ठीक हो जाए…!
तभी सेठानी का ममत्व हिलोरे मारते हुए बेचारे शंकर पर फट पड़ा…उसे उल्टा सीधा कहते हुए बोली – ज़रूर इस हराम जादे ने ही टक्कर मारी होगी उसे…!
इस बार लाला जी का संयम भी जबाब दे ही गया और उन्होने एक भरपूर तमाचा सेठानी की कनपटी पर जड़ दिया…, सेठानी अवाक मूह फाडे अपने गाल पर हाथ रखे लाला जी को बस देखती ही रह गयी…!
शर्म नही आती तुझे…, कैसी औरत है तू लाख बुराई अपने बेटे की छुपाते छुपाते तूने उसे इस हालत में लाकर खड़ा कर दिया…!
अरे अहसान मान इस लड़के का जो हर बार हमारे बच्चों को बचाता रहा है.., पहले भी यही उसे कॉलेज के लड़कों से बचा कर लाया, प्रिया को सांड से बचाया और आज फिरसे इसकी जान बचाई है…!
बैगरत औरत ज़रा सोच अपने कूड्मागज से.., आज ये समय पर वहाँ नही पहुँचता तो जानती है क्या होता…?
और फिर तेरी मंद बुद्धि में इतनी छोटी सी बात भी नही घुसी.., कि अगर ये उसे टक्कर मारता तो खुद ही हॉस्पिटल क्यों ले जाता, मरने नही छोड़ देता वहीं…!
दिनो रात नशे में धुत्त तेरा ये नालयक बेटा.., नशे में टकरा गया होगा पुलिया से.., अरे हमें तो इसके पैर धोकर पीने चाहिए.., जो हमारा कुच्छ ना होते हुए भी घर की सारी ज़िम्मेदारीओं को सगे से बढ़कर सभाल रहा है..,
अब अगर आइन्दा तूने शंकर या इसकी माँ के बारे में कुच्छ भी ग़लत कहा या सोचा भी.., तो समझ लेना मुझसे बुरा कोई नही होगा, भूल जाउन्गा कि तू मेरी पत्नी है..
ये कहते हुए सेठ जी अपनी आँखों में पानी लिए हुए एक तरफ को बढ़ गये…!
लाला जी के वहाँ से जाते ही सुषमा शंकर के आगे हाथ जोड़कर बोली – धन्यवाद शंकर भैया.., आज तुमने इन्हें एक बार फिर बचा लिया.., मे तुम्हारा ये एहसान कभी नही भूलूंगी..!
इधर जीवन में पहली बार लाला जी के इस करारे थप्पड़ ने सेठानी की आँखों पर बँधी अंधी ममता रूपी पट्टी को खोल दिया.., उसे पहली बार एहसास हुआ कि लाला जी कितनी सही बात कह रहे थे…!
आज शायद कल्लू अभी तक जिंदा है तो शंकर की बदौलत.., ये सोचते ही उन्हें अपने आपसे घिन सी होने लगी.., हिम्मत जुटाकर वो शंकर की तरफ बढ़ी और जाकर उसके पैरों में गिर पड़ी…!
शंकर ने फ़ौरन पीछे हटते हुए कहा- अरे मालकिन ये आप क्या कर रही हैं, ये तो मेरा फ़र्ज़ था, भगवान के लिए मेरे पैर मत पडो…!
घुटनों के बल आकर, सेठानी ने शंकर की कमर की कौली भर्ली और उससे लिपटकर फुट-फूटकर रोने लगी……..!
कल्लू बच तो गया, लेकिन उसकी रीड की हड्डी टूटने की वजह से उसका नीचे का धड़ बेकार हो चुका था, वो अब हिलने डुलने के लायक भी नही रहा था..,
उपर के दाए हिस्से को भी पेयरॅलाइस कर दिया था.., मूह टेडा होकर ज़ुबान ऐंठ चुकी थी.., बोलने की स्थिति में भी नही था.., बिस्तर में ही खाना पीना हगना मुतना वो भी दूसरों की मदद से…!
|