RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
एक हफ्ते बाद हॉस्पिटल ने उसे छुट्टी दे दी, 24 घंटे की देखभाल के लिए एक नर्स को रखकर वो उसे घर ले आए.., अपने अपाहिज बेटे को देख देख कर सेठानी अपनी ग़लतियों को सोच सोच कर अंदर ही अंदर घुटती रहती थी…!
उनका व्यवहार एक दम से बदल चुका था.., अब वो किसी से उँची आवाज़ में बात करना तो दूर, किसी से कुच्छ काम के लिए भी नही कहती थी…!
घर की सारी ज़िम्मेदारी सुषमा ने रंगीली के कंधों पर डाल दी थी.., जिसे वो बखूबी निभा रही थी.., अपने मधुर और मिलनसार व्यवहार से घर का काम-काज पहले से बेहतर होने लगा था…!
भाई के आक्सिडेंट की खबर सुनकर दोनो बहनें भी उसे देखने आई थी.., उसकी हालत देखकर बहनों को भी बहुत दुख हुआ.., लेकिन भगवान के फ़ैसले के आगे किसी का बस तो नही चलता…!
प्रिया तो दो-चार दिन रुक कर अपने घर चली गयी क्योंकि उसका अपना भी कारोबार था जिसे वो खुद संभालती थी.., उसका बहुत मन था की एक बार शंकर उसकी चूत की खुजली मिटा दे…!
लेकिन एक तो समय ऐसा नही था कि वो उससे मिलकर अपने दिल की बात कह पाती, उपर से थोड़ा उसे अब अपनी प्रतिष्ठा का भी ख्याल होने लगा था…!
सुप्रिया ने कुच्छ दिन वहीं रुकने का फ़ैसला किया.., जिससे वो अपने प्रियतम के साथ कुच्छ दिन गुज़ार सके…!
लेकिन अब शंकर के उपर कारोबार की ज़िम्मेदारियों के साथ साथ फाइनल परीक्षा का भी भार था.., जिससे वो उसे इतना समय नही दे पा रहा था जितना वो सोचके आई थी…!
वो खुद भी एक समझदार लड़की थी, शंकर की व्यस्तता भली भाँति समझती थी, लेकिन फिर भी शंकर उसके लिए थोड़ा बहुत समय निकाल ही लेता था…!
अब उसे हवेली में कहीं आने जाने से रोकने वाला तो था नही.., एक तरह से पूरी हवेली पर माँ-बेटे का एक छत्र राज था.., वो कभी कभार सुषमा और सुप्रिया दोनो को एक साथ चोद देता था…!
ऐसे ही वो तीनो एक रात सुप्रिया के कमरे में थे.., दोनो ननद भौजाई शंकर के दोनो तरफ नितन्ग नंगी उसके कसरती बदन से सटी हुई पलंग पर पड़ी थी..,
शंकर भी बिना कपड़ों के किसी अरब शेख की तरह उन दोनो के बीच पड़ा उनके मादक बदन से खेल रहा था.., उसका लॉडा तन्कर कमरे की छत की तरफ मूह उठाए खड़ा था..,
सुप्रिया उसके गरम लौडे को मुट्ठी में लेकर अपनी चूत की फांकों पर रगड़ते हुए बोली – उउम्म्मन्णन…भाभी.., कितना गरम हो रहा है ये.., बहुत याद आती है इसकी…!
अब मेरा यहाँ से जाने का मन नही होता.., मे सोच रही हूँ, श्याम से कहकर यहीं पर कोई कारोबार शुरू करवा दूं, कम से कम शंकर से दूर तो नही रहना पड़ेगा…!
आप की तरह मे भी जब मन करे अपने प्यारे शंकर के लंड को अपनी चुत में लेकर इसकी प्यास बुझा सकूँगी…!
सुषमा ने अपनी प्यारी ननद की गोल-गोल चुचियों को मसल्ते हुए कहा – थोड़े दिन और रूको ननद जी.., शंकर का फाइनल हो जाने दो.., फिर इन्हें बिज्निस मॅनेज्मेंट का कोर्स करने के लिए किसी अच्छे कॉलेज में भेज दूँगी…!
मेने सब सोच रखा है.., इस ज़मीन जयदाद और सूदख़ोरी के कारोबार को छोड़ कर यहीं अपने छोटे से शहर में एक फुड पार्क शुरू करेंगे.., तुम भी उसमें पैसा लगा देना और बिज़्नेस के बहाने यही पर रहना…!
सुषमा की बात सुनकर सुप्रिया खुश हो उठी.., शंकर के उपर से पसारकर उसने सुषमा की एक चुचि को मूह में भरकर चुस्का मारते हुए कहा – वाह भाभी.., क्या सही सोचा है आपने…!
फिर हम तीनों ही मिलकर हमेशा मज़े ले सकते हैं…, शंकर उन दोनो की बस बातें सुनकर मज़े ले रहा था.., उसने सुषमा की गान्ड की दरार में उंगली फिराते हुए कहा…!
लेकिन भाभी इसमें तो काफ़ी वक़्त तक मुझे बाहर रहना पड़ेगा.., फिर इतने दिन यहाँ का काम-काज कॉन संभालेगा…?
सुषमा उसकी उंगली को अपनी गान्ड के छेद पर महसूस करके गरम हो उठी.., अपनी टाँगें चौड़ा कर शंकर के दोनो तरफ की और अपनी रसीली चूत को उसके लंड पर सेट करके उसके उपर सवार हो गई…
धीरे…धीरे… शंकर के गरम दह्कते लंड को अपनी चूत के अंदर लेते हुए बोली - सस्स्सिईइ…आअहह…मेरे रजाअ…यहाआँ..तो जैसे चल रहा है.., कुच्छ दिन और चलता रहेगा.., तुम ज़रूर जाओगे…
हाईए…री…उउफ़फ्फ़…मज़ा आगेया… यौंही सिसकते हुए वो उसके लंड की सवारी करती हुई अपनी कमर को आगे पीछे करके चुदने लगी…!
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