RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
आज भी काम निपटाने के बाद सुषमा सीधी शंकर के साथ ही उपर चली गयी और जल्दी से एक राउंड लगाकर वो नीचे आकर सो गयी..,
सलौनी को उस रात ठीक से नींद नही आई.., बेचारी सारी रात अपने भाई के सपने देखते देखते गीली होती रही, अपने नाज़ुक अंगों से खेलती रही..,
सुबहा जल्दी उठकर सलौनी जब अपनी माँ के पास पहुँची.., उसे विश्वास था कि उसकी माँ उसे देखते ही जन्म दिन की मुबारकबाद ज़रूर देगी जैसे हर बार देती थी..,
लेकिन रंगीली ने उसे देखकर भी अनदेखा सा करते हुए अपना व्यवहार सामान्य रखते हुए अपने रोजमर्रा के कामों में लगी रही..!
रसोई घर में काम कर रही अपनी माँ के गले से लटकते हुए सलौनी ने उसे याद दिलाने की गरज से कहा – माँ.., तुझे पता है आज क्या है,,?
रंगीली ने मुस्कराते हुए एक बार उसे प्यार से देखा.., उसके सिर पर हाथ फेर्कर बोली – हां.., आज एतवार है.., क्यों इसमें क्या खास बात है..?
फिर उसकी भारी भारी पलकों को देखते हुए बोली – अरे तुझे क्या हुआ सलौनी.., क्या रात को ठीक से सोई नही..? तेरी आँखें ऐसे सूजी-सूजी सी क्यों हैं..?
सलौनी तूनकते हुए बोली – उउहह..हहुऊन्ण..मे तो ठीक हूँ.., पर लगता है तू बहुत भुलक्कड़ होती जा रही है..!
रंगीली – क्यों..? मे क्या भूल रही हूँ भला…?
सलौनी मूह बनाते हुए बोली – तुझे सच में नही पता आज क्या है..?
रंगीली – अरी तो बता ना क्या है आज.., मुझे तो कुच्छ याद नही..!
सलौनी ने बिगड़ते हुए उसे छोड़ दिया.., और मूह बनाते हुए बोली – जा मे नही बताती.., मे भैया से पूछती हूँ, शायद उसे याद हो.., पर वो कल रात आया कि नही..?
रंगीली – आया तो होगा.., मुझे भी नही मिला, शायद उपर सो रहा होगा.., बेचारे के पास काम भी तो बहुत हैं करने को.., सोने दे उसे, जब जाग जाए तो पुच्छ लेना…,
पर जब तुझे पता ही है तो बताती क्यों नही कि आज क्या खास दिन है…?
सलौनी रूठते हुए बोली – नही बताउन्गी.., किसी को भी नही बताउन्गी.., और पैर पटकते हुए वो वहाँ से चली गयी.., उसके पीछे रंगीली के होठों पर एक शरारती मुस्कान खिल उठी..,
ना जाने क्यों आज उसे सलौनी को सताने में बड़ा मज़ा आया था..,
सलौनी भुन-भुनाती हुई सीधे उपर चली गयी.., जहाँ खुले आसमान के नीचे एक बनियान और लोवर में चादर ताने उसका प्यारा भाई गहरी नींद में सोया पड़ा था…!
रात को सुषमा के साथ हुए आधे अधूरे सेक्स ने उसके लंड को ठीक से खाली भी नही होने दिया था, इस वजह से वो शॉर्ट के बावजूद भी अपनी जगह पर चादर को उठाए खड़ा आसमान को ताक रहा था…!
छत का नज़ारा देखते ही सलौनी का गुस्सा फुर्रर..हो गया.., ज़मीन पर पड़े लंबे चौड़े बिस्तर पर सो रहे शंकर के पास जाकर बैठ गयी और टक-टॅकी लगाकर उसके खड़े लंड को जो चादर को तंबू की तरह अपने सिर पर उठाए खड़ा था उसे निहारने लगी…!
उसकी जांघों के बीच कुच्छ कुच्छ होने लगा.., अपना हाथ वहाँ ले जाकर उसने सलवार के उपर से ही अपनी मुनिया को सहला दिया…!
शंकर के उपर पड़ी चादर को उसने अलग हटा दिया.., लोवर को वो सरका कर उसे जगाना नही चाहती थी.., सो धीरे से उसने शंकर के शॉर्ट के उपर से ही उसके खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया…!
लंड को मुट्ठी में लेते ही सलौनी का पूरा बदन रोमांच से भर उठा.., उसे पता ही नही चला कब उसकी मुट्ठी उसके लंड पर कस गयी.., और वो उसे उपर नीचे करने लगी…!
नींद कितनी ही गहरी हो, जब इतने नाज़ुक हिस्से को कोई कसकर पकड़कर हिलाए तो खुलना स्वाभाविक है.., शंकर ने आँखें खोलकर जब देखा तो बगल में अपनी प्यारी गुड़िया को देख कर उसका दिल बाग बाग हो गया…!
अपनी अधखुली आँखों से ही उसने उसे अपनी बाहों में भरकर अपने उपर खींच लिया…!
सलौनी अरे..अरे ही करती रह गयी.., तब तक तो शंकर ने उसे अपने उपर खींच ही लिया.., और उसके सुंदर मुखड़े को अपने हाथों मे लेकर उसके माथे को चूम लिया…!
उसका लंड ठीक सलौनी की कच्ची कली के मूह पर अड़ा हुआ था जिसका एहसास होते ही सलौनी की साँसें फूलने लगी.., चूत गीली हो उठी..,
शंकर की बाहों में मचलते हुए उसके उपर से उठने का उपक्रम करने के बहाने उसने एक दो बार अपनी मुनिया को उसके सख़्त लंड से रगड़ दिया…!
उसकी हरकत इस पर शंकर मन ही मन मुस्करा उठा.., सलौनी उसकी गिरफ़्त से छूटने का निरर्थक प्रयास करते हुए बोली…, छोड़ ना भाई.., मुझे तेरी ये बात बिल्कुल अच्छी नही लगती…!
मे सामने दिख गयी तो कैसा झूठा लाड दिखा रहा है.., वैसे कल से जनाब के दर्शन ही नही हुए हैं.., वैसे तुझे तो याद होगा ना कि आज क्या है..?
उसकी बात सुनकर शंकर एक क्षण में ही समझ गया.., कि शायद माँ ने इसे सताया होगा.., तो क्यों ना मे भी इसे कुच्छ देर सताऊ.., ये विचार करते ही बोला…!
मुझे तो याद होगा मतलब.., क्या याद होगा मुझे..?, कहीं कुच्छ रखकर भूल गयी है तू जो याद नही आ रहा..?
सलौनी तुनक कर उसकी छाती पर मुक्का मारते हुए बोली..
उउहणन..उउहणन.., तू भी भूल गया कि आज क्या खास दिन है.., कोई मुझे प्यार नही करता.., माँ को भी याद नही है.., और तू भी…
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