RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने उसे कसकर अपने सीने से चिपका लिया, फिर उसे अपनी गोद में खींचकर उसके पतले-पतले रसीले होठों को चूमकर बोला – जाना तो पड़ेगा, याद है तूने क्या प्रॉमिस किया था…?
सलौनी अपने भाई के सीने को चूमते हुए बोली – वो तो ठीक है लेकिन उसके लिए ये ज़रूरी तो नही कि मे आप लोगों से दूर चली जाउ…!
तभी रंगीली बोल पड़ी – अरे ये तुम दोनो किस बहस में पड़ गये.., ये समय इन बातों का नही है.., रात बहुत हो गयी है, जल्दी से अपना कार्य क्रम शुरू करो..,
भाई मुझसे तो अब बिल्कुल सबर नही हो रहा.., मे देखना चाहती हूँ, कैसे एक भाई अपनी ही छोटी और प्यारी बेहन की सील तोड़कर उसे कमसिन कली से फूल बनता है.., ये कहते हुए उसने सलौनी के सिर से ओढनी उतारकर एक तरफ रख दी…!
रंगीली खुद भी आज मात्र लहंगे और चोली में ही थी.., उसके पुष्ट दूधिया उरोज कसी हुई चोली से बाहर उबले पड़ रहे थे..,
शंकर चोली के उपर से ही उसकी मद-मस्त भारी भारी चुचियों को मसल्ते हुए बोला – जो हुकुम मेरे आका, ये खाते हुए उसने अपने तपते हॉत सलौनी के होठों से चिपका दिए.., और बड़े प्यार से उनका रस्पान करने लगा..,
सलौनी भी अपने भाई का साथ देते हुए आज की रात को यादगार बनाने में उसका सहयोग देने लगी.., किसिंग करते हुए शंकर की उंगलियाँ उसकी चोली के बटनो में उलझ गयी.., और देखते ही देखते उसने सारे बटन खोल दिए…!
छोटी सी पिंक ब्रा में क़ैद उसके कच्चे अनारों को देख कर नीचे उसका लंड तुनकि लगाने लगा.., जो नीचे सलौनी की छोटी सी लेकिन उभरी हुई मुलायम गान्ड से दबा हुआ अपनी हरकतें दिखा रहा था…!
रंगीली ने शंकर की टीशर्ट को निकाल दिया, और अपनी चुचियों को उसकी सख़्त पीठ से रगड़ते हुए उसने सलौनी के लहंगे का नाडा खींच दिया..,
सलौनी ने अपनी गान्ड को हल्की सी जुम्बिश देकर उसने लहंगे को टाँगों से निकाल बाहर कर दिया.., अब वो मात्र एक छोटी सी ब्रा और उसी कलर की पैंटी में रह गयी..,
नीचे मात्र अकेले शॉर्ट में शंकर का 8” लॉडा उसकी गुद-गुदि गान्ड के बीच गदर मचाए हुए था…, फूलकर मुट्ठी भर साइज़ का हो चुका था…!
एक बार उसकी ब्रा में क़ैद कच्चे अनारों को अपनी मुत्ठियों में लेकर उसने ज़ोर्से सहला दिया.., सलौनी के मूह से एक सिसकारी निकल गयी.., फिर उसने उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए…!
उसकी गेंदें उच्छल कर आज़ाद हवा में लहरा उठी.., जीभ से उसके निपल सहला कर उसने उसे अपनी गोद से उतारकर पलंग पर बिठा दिया..!
सलौनी उसे सवलाया नज़रों से देखने लगी.., उसने आँखों के इशारे से रुकने को कहा.. और अपने तकिये के नीचे से एक छोटा था डिब्बा निकाला..,
डिब्बे में रखी सोने की चैन और और उसमें लटके हीरे के पेंडुलम को देख कर माँ-बेटी दोनो को आँखें हीरे के मानिंद चमक उठी..,
शंकर ने वो चैन अपनी उंगलियों मे फँसाकर उसे सलौनी के गले में पहना दिया…!
दोनो अनारों के बीच की घाटी में वो चम-चमाता हीरे का पेंडुलम उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था…!
शंकर उसे अपने हाथ में लेकर दोनो को दिखाते हुए बोला – कैसा लगा ये तोहफा..?
जहाँ उस तोहफे को देख कर सलौनी की खुशी का कोई ठिकाना नही था, अपने भाई के नंगे बदन से चिपकते हुए अपनी कच्ची चुचियों को उसके बदन से रगड़ते हुए बोली –
थॅंक यू भैया.., बहुत अच्छा है..,
रंगीली ने भी उसे अपने हाथ में लेकर देखते हुए बोली – बहुत ही खूबसूरत है.., गुड़िया के गले में आकर और ज़्यादा खूबसूरत लग रहा है…,
फिर ना जाने क्यों अचानक ही उसके चेहरे के भाव बदलने लगे.., भले ही उसका बेटा अपनी बेहन के लिए जन्म दिन का तोहफा लेकर आया था.., लेकिन नारी सुलभ कहीं ना कहीं उसे अपनी बेटी से ही जलन का एहसास होने लगा…!
इतने दिनो से अपनी माँ के इतने अंतरंग रहने के कारण शंकर उसके मन की बात को भाँप गया.., और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए बोला…
क्या हुआ माँ, लगता है तुझे ये तोहफा पसंद नही आया..?
रंगीली ने झेन्प्ते हुए कहा – नही..नही.. बहुत अच्छा है.., तू ऐसे क्यों बोल रहा है..?
शंकर – नही बस ऐसे ही पूछ लिया.., चल तू यहाँ बैठ, ये कहकर उसने उसे पलंग के एक सिरे पर बिठा दिया.., और सलौनी का दुपट्टा लेकर उसकी आँखें बाँधने लगा…!
रंगीली – ये अब तू क्या करने वाला है मेरे साथ..हां..?
शंकर – कुच्छ नही बस तू कुच्छ देर अपनी आँखें बंद रख.., फिर उसने उसकी आँखों पर दुपट्टा बाँधकर.., एक और डिब्बा अपने तकिये के नीचे से निकाला जिसमें एक जोड़ी सुन्दर सी सोने की पायल थी…!
उनपर नज़र पड़ते ही सलौनी की आँखें खुशी से चमक उठी.., अभी वो चीख कर अपनी खुशी का इज़हार करने ही वाली थी थी शंकर ने उसे चुप रहने का इशारा किया और अपनी माँ के दोनो पैर पकड़कर पलंग के नीचे लटका दिए…!
खुद नीचे बैठकर उसके एक पैर को अपने घुटने पर रखा.., लहंगे को उसने रंगीली की जांघों तक चढ़ा दिया.., जिन जांघों की सुंदरता का वो दीवाना था, उन्हें नंगा देख कर उसका लंड बुरी तरह से हीन-हीनाने लगा…!
शंकर ने अपनी माँ की मांसल गोरी-गोरी जांघों को चूम लिया.., अपनी जीभ से उसकी सुडौल मांसल जांघों से चाटते हुए वो नीचे तक उसके पैरों तक चूमता चला गया..,
रंगीली बस इस कामुक एहसास को अनुभव करते हुए सोचने लगी कि आख़िर ये शैतान आज उसके साथ करने क्या वाला है.., तभी शंकर ने अपनी माँ के सुन्दर पैरों को बारी-बारी से चूम लिया..,
रंगीली के पैरों में पहले से ही चाँदी की पुरानी सी पायल पड़ी हुई थी जो कभी लाला जी ने उसे पहनाई थी.., उन्हें उसने खोल कर एक तरफ रख दिया.., और अपने हाथों से दोनो नयी सोने की पायलों को पहनाकर उन्हें चूम लिया…!
रंगीली के गोरे-गोरे मुलायम पैर उन सुंदर सोने की पायल पाकर चम-चमा उठे…, फिर उसने सलौनी को माँ की आँखों की पट्टी हटाने का इशारा किया…!
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