RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
आँखों से पट्टियाँ खुलते ही जैसे ही रंगीली की नज़र अपने पैरों पर गयी.., एक अजीब सा मिश्रित एहसास जिसमें खुशी, ममता, उत्तेजना और सबसे बढ़कर माँ का दुलार शामिल था…!
अनायास ही उसकी आँखें नम हो उठी, जो माँ एक पल पहले अपनी बेटी की खुशी से जलने लगी थी.., वही अब खुशी के मारे अपने आँसुओं को रोक नही पाई..,
उसने झुक कर अपने बेटे को अपनी छाती से लगा लिया.., माँ बेटे के मिलन में चार चाँद लगाते हुए सलौनी भी आकर उन दोनो से चिपक गयी…..!
अपने बच्चों का प्यार पाकर रंगीली भावुक हो उठी, उसकी आँखें छलक आई.., शंकर ने अपनी माँ की पलकों का खारा पानी पोन्छते हुए कहा – क्या हुआ माँ, अपने बेटे का तोहफा पसंद नही आया..?
रंगीली ने अपने प्यारे बेटे का माथा चूमते हुए कहा – नही बेटा, तेरा तोहफा तो लाखों में एक है भला पसंद क्यों नही आएगा,
शंकर – फिर तेरी आँखों में आँसू क्यों हैं..?
रंगीली – ये खुशी के आँसू हैं मेरे लाल.., आज तक इतना अच्छा तोहफा मुझे किसी ने भी नही दिया..,
तेरे बापू ने तो कभी चाँदी की पायल तक भी लाकर नही दी.., और आज मेरे बेटे ने सोने की पायल पहनाई हैं, मे अपनी खुशी सहन नही कर पाई इसलिए मेरे आँसू निकल आए…,
सलौनी ने महसूस किया क़ि मामला सेंटिमेंटल होता जा रहा है, उसे आज जो स्पेशल तोहफा अपने भाई से मिलने वाला है उसमें खलल पड़ता जा रहा है.., सो फ़ौरन उसने शंकर का शॉर्ट खींचकर निकाल दिया…!
वातावरण चेंज होने से शंकर का नाग अपना फन सिकोडता जा रहा था उसे उसने अपनी मुट्ठी में जकड लिया और उसे सहलाते हुए बोली – छोड़ ना भाई, तुम दोनो ये क्या बातें लेकर बैठ गये..,
दोनो माँ-बेटे उसकी मनसा समझकर मुस्करा उठे, शंकर ने हँसते हुए उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके कच्चे अनारों को मसल डाला…!
दर्द और आनंद की अनुभूति में सलौनी के मूह से एक मादक कराह फुट पड़ी…सस्सिईईई..आआहह…भाई…दर्द होता है.., धीरे कर ना…!
शंकर ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया और उसके बदन पर मात्र बची हुई उसकी पिंक कच्छी को भी निकाल बाहर कर दिया..,
अपनी बेहन की कोमल पतले-पतले होठों वाली हल्के-हल्के बालों से युक्त कुँवारी कमसिन योनि जिसके दोनो होठ आपस में जुड़े हुए थे.., बस 2 इंच लंबी एक पतली सी लकीर जैसी बनी हुई थी को देखकर शंकर का मन बाबला हो उठा…!
उसने उसे उसके होठों से चूमना शुरू करते हुए वो नीचे की तरफ आने लगा.., उधर रंगीली अपनी बेटी के साँचे में ढले हुए बदन को देख कर अपनी जवानी के दिनो में पहुँच गयी.., जब पहली बार लाला जी ने उसे इसी तरह नंगा करके भोगा था…!
वो उसकी चिकनी जांघों को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी मुनिया की तरफ ले जाने लगी.., उधर चूमते चाटते हुए शंकर उसके मम्मों तक जा पहुँचा..,
जैसे ही उसकी जीभ ने उसके कंचे जैसे कड़क बादामी निपल को छुआ.., ठीक उसी समय रंगीली की उंगलियों ने भी उसकी कुँवारी चूत के होठों को सहला दिया…!
दोनो अंगों पर एक साथ अटॅक होने से सलौनी आनंद से झूम उठी.., उसकी आँखें आनंद की वजह से बंद हो गयी.., अनायास ही उसका हाथ रंगीली के हाथ पर जा पहुँचा और बुरी तरह सिसकते हुए बोली….
सस्सिईईई….आआहह…म्माआ….ये क्याअ..किया..तूने.., तभी शंकर ने दोहरा अटॅक करते हुए एक हाथ उसके दूसरे अनार पर रखकर उसे ज़ोर से दबा दिया..,
सलौनी तो जैसे आसमानों में उड़ने लगी…, उसे दीन दुनिया की कोई फिकर नही रही.., उसका मन कह रहा था मानो ये लम्हा कभी ख़तम ही ना हो…!
लेकिन उस बेचारी अल्हड़ जवान छोकरी को क्या पता था कि ये तो अभी शुरुआत है.., आगे आगे और ना जाने कितने पड़ाव आने वाले हैं इस राह में….!
शंकर ने बारी-बारी से उसके निप्प्लो को जीब से चुभालाया, रंगीली निरंतर उसकी कच्ची कली की दरार को अपनी उंगली से खोलने की कोशिश कर रही थी.., दोनो माँ-बेटे के प्रयासों ने सलौनी के बदन को थरथराने पर मजबूर कर दिया…!
उसकी कमर ऑटोमॅटिकली उपर को उठने लगी.., और बंद आँखों से अपने मूह से मादक सिसकियाँ निकलने लगी…!
धीरे धीरे शंकर उसके पेट को चूमता हुआ उसके अद्वितीय योनि प्रदेश तक जा पहुँचा.., रंगीली ने उसका रास्ता सॉफ करते हुए अपना हाथ वहाँ से हटा लिया..और खुद शंकर के पिच्छवाड़े की तरफ पहुँच गयी…!
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