RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर मूह बाए एक तक बस मामी को ही देखे जा रहा था जो सीधे पल्लू में गुजराती स्टाइल में पिंक कलर की सिल्क साड़ी में थी.., पल्लू
उन्होने ऐसे ही अपने कंधे पर बस टाँग रखा था जो उनकी एक तरफ की चुची से होता हुआ कंधे पर पड़ा था…!
व शेप गले का स्लीव्लेस्स कसा हुआ ब्लाउस जिसमें से उनकी 34डी की मस्त सुडौल कसी हुई चुचियाँ बाहर उबलने को तैयार थी..,
वक्षों की सुडौलता इस बात से आँकी जा सकती थी कि इतने कसे हुए ब्लाउस के बावजूद भी उनके बीच की गहरी घाटी काफ़ी चौड़ी थी.., वरना तो अमूमन इस उमर की औरतों की चुचियों के बीच कसे हुए ब्लाउस में पिलपिले वक्ष आपस में जुड़कर मात्र एक दरार जैसी बनाते हैं…!
शंकर सोफे पर बैठते हुए बोला – अरे मामी जी आपने तो इतने सारे सवाल एक साथ पुच्छ लिए.., मे तो ये भी भूल गया कि आपका पहला सवाल क्या था..?
पर हां मे किसी ट्रेन व्रैन से नही आया, अपनी जीप से ही आया हूँ, और अच्छे से सही सलामत आपके सामने हूँ….!
ऊहह…मे समझी अकेले की वजह से ट्रेन से ही आए होगे…, खैर और सूनाओ वहाँ पर सब ठीक से हैं…? तुम्हारे आने से लोग दुखी तो हुए होंगे.. है ना…?
उनका इशारा सुषमा की तरफ था…, लेकिन शंकर इस बात से अंजान था सो बोला – हां थे तो सभी.., मेरी माँ, लाला जी.., क्योंकि उनके सारे काम मेरे ही ज़िम्मे थे ना.., पर दो साल के बाद फिर से सही कर लूँगा…!
मामी ने अपना पल्लू सही करते हुए एक नौकरानी को आवाज़ लगाई – अरी चंपा…ज़रा इधर आ तो…!
अगले ही पल उस महल जैसी कोठी के ना जाने कों से कोने से दौड़ती हुई चंपा नाम की नौकरानी उनके सामने हाज़िर हो गयी.., और सिर झुका कर बोली – जी मालकिन..
उसने सिर झुकाए हुए ही अपनी तिर्छि नज़र शंकर पर डाली जो उसे किसी हिन्दी फिल्मों के हीरो जैसा लगा.., शंकर को देखकर चंपा के मूह
में पानी आगया…!
शंकर ने भी चंपा का सरसरी नज़र से मुआयना कर डाला.., 25-26 साल की गठीले बदन की चंपा हल्के साँवले रंग की बड़ी बड़ी छाती.., मोटे
मोटे चूतड़.., और सबसे खास बात उसकी थोड़ी (चिन) पर 5 काले बिंदु गूदे हुए थे…!
वो कुच्छ कुच्छ सुनील शेट्टी की फिल्म गोपी किशन की चंदा (गोपी की वाइफ शीबा) जैसी थी.., सॉरी.., ये फिल्म उस जमाने की नही है सो ये शंकर का आंकलन नही मेरा है…हहहे…
कुल मिलकर अगर शंकर की जगह मेरे जैसा चोदु भुक्कड़ होता तो उस चंपा पर हाथ सॉफ…सॉरी लंड साफ करने की ज़रूर सोच लेता..,
लेकिन शंकर के लिए तो छप्पन भोग सजे हुए रहते थे हर जगह तो उसने बस उसे सरसरी तौर पर ही देखा…!
वर्षा देवी – अरी चंपा.., ये शंकर है, आज से हमारे साथ ही रहेंगे.., इनके खाने पीने और सभी तरह का ख्याल रखने की ज़िम्मेदारी तेरी है..,
अब ज़रा इनके लिए अच्छा सा नाश्ता बनाके ला…!
चंपा ने नज़र भर शंकर को देखा और उसकी तरफ मुस्कान बिखेरती हुई जी मालकिन कहकर रसोई घर की तरफ चली गयी….!
अभी वो रसोई तक पहुँची भी नही थी कि मामी बोली – रुक मे भी आती हूँ.., आज अपने हाथों से शंकर के लिए नाश्ता मे बनाती हूँ, बर्ना ये कहेगा की मामी को मेहमान नवाज़ी करना भी नही आता है…,
शंकर उन्हें रोकते हुए बोला – अरे मामी जी आप बैठिए.., मे कोई ऐसा वीआइपी नही हूँ, गाओं का गँवार आदमी हूँ, चंपा जो बनाएगी ख लूँगा, प्लीज़ आप मेरे लिए तकलीफ़ मत करिए…!
लेकिन मामी ने शंकर की एक नही सुनी…, उनका बस चलता तो वो उसके एक इशारे पर उसके नीचे बिच्छने को भी तैयार थी…, सो उठकर रसोई की तरफ चल दी…!
इस तरह की सारी में पहली बार शंकर की नज़र मामी के पिच्छवाड़े पर पड़ी.., और बस उसका मूह फटा का फटा रह गया…!
सच में क्या जीयोमॅट्रिकल शेप थी मामी के बदन की.., जितना आगे से सीना निकला हुआ था उससे कहीं ज़्यादा मामी की गान्ड का उभार था..,
सामने से जो कर्ब नीचे से उपर को बनता था, पीछे से जस्ट उसका उल्टा.., चौड़ी सपाट पीठ उसके बाद कमर का ढलान, पीठ हल्की सी
अंदर, उसके ठीक नीचे एक कर्ब पीछे को उठता चला गया और एक परफेक्ट गोलाई लिए हुए जंगों के जोड़ पर जा मिला…!
सीधे पल्लू की जो की नाभि के नीचे कस्के बँधी हुई साड़ी में मामी का कर्ब एकदम से उजागर हो रहा था..,
जिसे देखकर शंकर का लॉडा भी तारीफ किए बिना नही रह सका और अपने पिटारे में ही उसने मामी की गान्ड को सलामी दे डाली….!!!!
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