RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने अपना दिमाग़ दौड़ाया.., वॉशिंग मशीन होनी तो बाथरूम में ही चाहिए, और ये कामन बाथरूम ही है, तो फिर शायद यही होगी.., ये
सोचकर उसने चंपा से पूछा - ये क्या है चंपा..?
चंपा – यही तो है उऊ..मशीन जेमा कपड़ा धुलत हैं…!
शंकर समझ गया कि ये साली जान-बूझकर यहाँ खड़ी उसके लंड को देखना चाहती है सो वो उसे टरकाने की गरज से बोला – तुम जाओ, मे इसमें कपड़े डाल दूँगा, तुम बाद में आकर धो लेना..,
चंपा शंकर की बात सुनकर एक बार तो अच-कचा गयी.., लेकिन उसने तो ठान रखा था कि वो शंकर के इस आलीशान शरीर के दर्शन बिना
कपड़ों के करना चाहती है सो बड़ी ढीठता से बोली –
आप समझ काहे नही रहे हैं.., हमारे पास उतना समय नही है ना.., आप कपड़े दीजिए हम आइ मा डाल कर मशीन चलाई देव.., जब तक आप नहाएँगे तब तक कपड़ा भी धूल जाईब… लाइए अब दे भी दीजिए….
शंकर उसकी बात सुनकर निरुत्तर सा हो गया.., अब उसे कोई और बहाना नही सूझ पा रहा था.., यहाँ आए हुए उसे चन्द घंटे ही तो हुए थे..,
और पहले ही दिन उसे एक नौकरानी के सामने अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे…!
चंपा किसी भूखी बिल्ली जैसे कि दूध के बर्तन पर नज़र गढ़ाए इस आशा में बैठी रहती है कि कैसे भी करके इसका दूध मुझे पीने को मिल
जाए.., कुच्छ ऐसी ही नज़रों से वो टक-टॅकी लगाए शंकर को देख रही थी…!
शंकर के पास अब और कोई चारा नही था.., सो उसने अपने दोनो हाथों से टीशर्ट को पकड़कर अपने शरीर से अलग करने लगा…!
जैसे जैसे टीशर्ट उसके शरीर से अलग हो रही थी, वैसे वैसे उसका एकदम सुर्ख, गोरा कसरती बदन चंपा की आँखों के सामने उजागर होता
जा रहा था..,
जिसे वो कपड़ों के अंदर से ही देख कर लार टपका रही थी.., वो अब चन्द पलों में उसके सामने बेपर्दा होने जा रहा था…!
जैसे ही शंकर के 6 पॅक उसके सामने नुमाया हुए.., चंपा के मूह से एक आहह.. निकल गयी…, वो बस एक टक आँखें गढ़ाए शंकर को ही
देखे जा रही थी…!
शंकर ने अपनी टीशर्ट निकालकर एक तरफ रख दी.., उसे चंपा की नज़रों से शर्म सी महसूस हो रही थी….लेकिन और कोई चारा भी तो नही था..,
उसने एक नज़र चंपा की तरफ डाली जो सिर्फ़ एक टक उसी को निहार रही थी.., शंकर ने शर्म के मारे अपनी दोनो बाजुओं को अपने सीने
पर कसकर जोड़ लिया.., इस वजह से उसकी बाजुओं के कठोर मसल्स और ज़्यादा टाइट होकर उभर आए…!
उसकी बाजुओं की मछलियो को देख कर चंपा के मूह से स्वतः ही फुट पड़ा – आअहह…वाह कैसा मस्त कसा हुआ बदन है भैया आपका..,
मे ज़रा इससे छूकर देखूं…? ये कहते हुए वो एक कदम उसकी तरफ बढ़ी…
शंकर पीछे होते हुए बोला – नही.., और अपना मूह उधर करो.., मुझे पॅंट उतारनी है…!
चंपा वहीं ठिठक गयी और बोली – काहे.., चड्डी नही पहने हैं का…?
शंकर उसे कैसे कहता कि उसका बाबूराव किस हालत में है और बेचारी चड्डी किस हद तक उसे रोके रखने में नाकाम है फिर भी वो बोला– पहनी तो है लेकिन मे आज तक किसी औरत के सामने खाली चड्डी में नही आया.
चंपा ने हँसते हुए कहा – बहुत शरमाते हैं…, अच्छा ठीक है मे तब तक मशीन ऑन करती हूँ, आप पॅंट उतारकर मेरी तरफ फेंक दीजिएगा…!
शंकर ने खीजते हुए कहा – हां ठीक है, तुम अपना काम करो.., अब यहाँ मेरे सिर पर खड़ी मत रहो..,
चंपा ने उसकी टीशर्ट उठाई, कुच्छ और कपड़े लिए और मशीन में डालकर उसकी पवर ऑन करते हुए तिर्छि नज़र से शंकर की तरफ देखा
जो अपनी पॅंट की जीप नीचे खींच रहा था…!
चंपा कनखियों से उसी पर नज़र गढ़ाए हुए थी.., कि अब वो अपनी पॅंट नीचे करेगा.., कैसा होगा नीचे का उसका बदन.., लेकिन तभी शंकर ने ऐसा कुच्छ किया जिसकी चंपा को कतयि उम्मीद नही थी…….!!!
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