RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लंड और शंकर के बीच द्वंद छिड़ गया था.., उसे वो कैसे भी करके शांत करना चाहता था.., कहीं ऐसा ना हो मामी ही यहाँ देखने चली आयें
कि मे इतनी देर से क्या कर रहा हूँ, सो वो उठकर अपने कमरे के अटॅच्ड बाथरूम में घुस गया..,
उसने नल खोलकर देखा.. जिसमें थोड़ा थोड़ा करके पानी आ रहा था..,
शंकर ने आज तक कभी मूठ नही मारी थी.., ज़रूरत ही नही पड़ी उसे.., उपर से माँ की शिक्षा.., उसे आज भी याद है जब उसकी माँ ने
कहा था.., बेटा मूठ मारने से लंड की नसें कमजोर पड़ने लगती हैं…,
सो उसने मग्गे में पानी लेकर अपना पाजामा और अंडरवेर उतारकर पानी की धार अपने लंड के सुपाडे पर डालने लगा…!
काफ़ी मसक्कत के बाद वो भेन्चोद कुच्छ शांत हुआ…!!!
कपड़े ठीक करके कमरे में आया.., दो-चार लंबी लंबी साँस लेकर अपने मन की वासना को शांत किया और फिर ड्रॉयिंग रूम की तरफ चल दिया…!
लेकिन कहते हैं ना..” जहाँ जाएगा भूखा वहीं पड़ेगी सूखा” शंकर जैसे तैसे करके अपने लंड को समझा बुझाकर कमरे से निकला था कि सामने के सेकने ने उसके सोए हुए शेर पर पत्थर ही दे मारा…!
सामने ड्रॉयिंग रूम के लंबे चौड़े सोफे पर मामी घुटनों तक सारी चढ़ाए हुए अपनी टाँगें पसारे बैठी थी.., सारी का पल्लू एकदम अलग थलग पड़ा था.., ब्लाउस के उपर के दो बटन खुले हुए…!
उनके पीछे खड़ी हुई चंपा उनके कंधे की मालिश कर रही थी.., मामी की आँखें बंद थी.., और चंपा का ध्यान पूरी तरह उनकी गर्दन और कंधों की मालिश पर…!
शंकर के होश गुम.., साँस लेना ही जैसे भूल गया वो.., वहीं एक जगह जड़ होकर रह गया, उसकी नज़र सामने चल रहे सीन पर उपर से
नीचे और फिर नीचे से उपर भ्रमण करने लगी…,
मामी के उपर झुकी हुई चंपा की चोली में कसी हुई चुचियाँ जो दो बड़ी बड़ी गेंदों जैसी चोली से बाहर निकली पड़ रही थी..,
थोड़ा नीचे नज़र पड़ते ही मानो जन्नत सामने हो.., मामी के दो बड़े बड़े दूध जैसे गोरे दशहरी आम जैसे स्तन.., ब्लाउस से लगभग आधे बाहर
निकले हुए, उनकी सफेद ब्रा में क़ैद कबूतरों की तरह बाहर आने को फड-फडा रहे थे…!
और नज़र नीचे करते ही.., मामी की घुटनों तक की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियाँ.., एकदम मक्खन के माफिक…!
देखते ही उसका लंड पाजामा में तुनकि मारने लगा.., अंडरवेर के बावजूद उसने..बड़ा सा तंबू बना दिया…!
शंकर वहीं खड़ा असंजस की स्थिति में था.., आगे बढ़ुँ या ना बढ़ुँ.., चंचल मन जिसका द्वार हैं दोनो आँखें जो कह रही थी.., कि देख बेटा..,
इस जन्नत के दर्शन बार बार नही होते…,
लेकिन लंड की दशा देखकर उसे बड़ी शर्म सी महसूस होने लगी.., साला ऐसी हालत में अगर तू वहाँ गया.., ये दोनो घोड़ियाँ वैसे भी इसे लेने की जुगत में हैं.., इन्हें झट से मौका मिल जाएगा…!
और ऐसा नही भी हुआ तो मामी क्या सोचेंगी.., कि देखो कैसा दिल फेंक लौंडा है.., ज़रा ज़रा सी बात पर इसका खड़ा हो जाता है…!
लिहाजा उसने वहाँ से सटकने में ही अपनी भलाई समझी, वो पलते पलते भी उसकी आँखें उस हसीन नज़ारे को देखने का लालच नही छोड़ पाई…,
ध्यान उसका अभी भी उन दोनो की मदमस्त जवानी में ही उलझा था और वो कमरे में लौटने के लिए पलटा…!
नतीजा ! गॅलरी की साइड में रखे एक गमले से टकरा गया.., पैर की ठोकर बड़ी जोरदार लगी.., गमला ज़मीन पर उलट गया और उसके पैर के अंगूठे में दर्द की एक तेज लहर सी दौड़ गयी…!
गमले के गिरने की आवाज़ से उन दोनो का ध्यान भंग हुआ.., देखा तो शंकर एक पैर को हवा में उठाकर दर्द से बिल-बीलाता हुआ एक पैर पर नाच रहा था…,
मामी ने अपना पल्लू सही किया और लपक कर एक सेकेंड में ही दोनो उसके पास जा पहुँची.., दोनो ने आजू बाजू से उसके दोनो बाजू थाम लिए और मामी बोली –
क्या हुआ शंकर ..? पैर में चोट लग गयी क्या..? कैसे लगी..? और ये गमला कैसे गिर गया…?
एक साथ इतने सवाल.., जिनका शंकर के पास एक का भी कोई माकूल जबाब नही था…, उपर से पैर में भयकर दर्द…, वो अपने दर्द पर काबू करते हुए बोला – कुच्छ नही मामी जी हल्की सी ठोकर लग गयी गमले में.., मे देख नही पाया.., नयी नयी जगह है ना इसलिए…!
हाए राअम.. तुम इससे हल्की सी चोट कहते हो.., इतना भारी गमला तुम्हारी ठोकर से उलट गया.., और तुम इससे मामूली सी चोट समझ रहे
हो.., चल चंपा.., इससे सोफे तक ले चलो.., वहीं बिठाकर देखते हैं क्या हुआ है इसके पैर को…???
शंकर के लाख मना करने पर भी वो नही मानी.., दोनो ने दोनो तरफ से उसके बाजुओं को अपनी अपनी गर्दन से होते हुए कंधों पर रखा और उसे सहारा देते हुए सोफे की तरफ चल दी…,
चंपा शंकर से थोड़ी ज़्यादा छोटी थी लेकिन मामी की हाइट अच्छी ख़ासी थी, वो उसके कनपटी तक आ रही थी, वहीं चंपा उसके सीने तक ही थी.. इस वजह से शकर का भार चंपा के उपर ज़्यादा पड़ रहा था…!
उसे सहारा देकर लेजाते हुए अचानक चंपा की नज़र उसके पाजामा में बने हुए तंबू पर पड़ी.., जो पैर के दर्द की वजह से थोड़ा कम तो हुआ लेकिन इतना नही कि उसे नॉर्मल पोज़िशन में कहा जा सके…!
वो एक मिनिट में ही सारा माजरा समझ गयी.., कुच्छ देर पहले तक वो भी तो अपनी मालकिन के गोरे-गोरे सुडौल स्तनों को देख देख कर उत्तेजित हो रही थी फिर शंकर तो फिर भी भरा पूरा मर्द है…,
ज़रूर वो हम दोनो को देखकर मज़े ले रहा होगा इसलिए बेखयाली में उसे ये ठोकर लगी है…,
ये विचार आते ही चंपा के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी और शंकर को सोफे पर बिठाते हुए बोली – लागत है शंकर भैया का ध्यान कहीं और था मालकिन वरना इतना बड़ा गमला कैसे नही दिखा……?
मामी – तू चुपकर, क्या निरि बाबरियों जैसी बात करती है.., ये वक़्त ऐसी बातों का है ज़रा देख इसका पैर, चोट ज़्यादा तो नही है.., डॉक्टर को बुलाउ क्या…?
अरे नही मामी जी क्यों आप इतना परेशान होती हैं, मामूली सी चोट है.., कुच्छ देर गीला कपड़ा बाँध के रखूँगा सही हो जाएगी.., आप चिंता ना करो…शंकर ने सहज भाव से कहा…,
मामी – चिंता कैसे ना करूँ बेटा.., आज पहले दिन आते ही तुम्हें चोट लग गयी.., चंपा ज़रा गरम तेल की मालिश ही कर्दे…!
चंपा – अरे मालकिन हम तो बहुत कुच्छ कर सकत हैं…, पर ये शंकर भैया करने दें तब ना.., वैसे ऐसी चोटन के लिए गीला कपड़ा ही ठीक
रहेगा.., हम अभी गीला कपड़ा लाबत हैं..,
ये कह कर उसने एक शरारत पूर्ण मुस्कान शंकर पर डाली और उठकर गीला कपड़ा लेने चली गयी….!!!
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