RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मेरा 11" लंबा और 4” व्यास का लण्ड एकदम लोहे की रोड की तरह पैंट में तन गया था। मैंने लण्ड माँ की साड़ी के ऊपर से माँ की गाण्ड से सटा दिया। ट्रेन तूफानी रफ़्तार से दौड़े चली जा रही थी, जिससे की हमारा डिब्बा एक लय में आगे-पीछे हो रहा था। उसी डिब्बे की लय के साथ मेरा लण्ड भी ठीक माँ की गाण्ड के छेद पर ठोकर दे रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
माँ जैसी भरे-पूरे शरीर की 40 साल से बड़ी उमर की औरतें सदा से ही मुझे बहुत आकर्षित करती थी। फिर माँ तो साक्षात सौंदर्य की प्रतिमूर्ति थी। ऐसी औरतों के फैले हुए और उभार लिए हुए नितंब मुझे बहुत आकर्षित करते थे। मैं माँ जैसी ही भारी भरकम गाण्ड वाली औरत की कल्पना करते हुए कई बार मूठ मारा करता हूँ। आज भी शायद सपने में ऐसा ही सुखद संयोग बन रहा था।
जिस प्रकार सपने में मेरा लण्ड माँ की गाण्ड पर ठोकर दिए जा रहा था, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मैं माँ की गाण्ड ताबड़तोड़ मार रहा हूँ। तभी ट्रेन को एक जोरदार झटका लगता है और मेरा सपना टूट जाता है। धीरेधीरे में सामग्य स्थिति में आने लगा। मुझे नाइट लैंप की रोशनी में मेरा कमरा साफ पहचान में आने लगा। लेकिन आश्चर्य मेरे लण्ड पर किसी गुदाज नरम चीज का अभी भी दबाव पड़ रहा था।
कुछ चेतना और लौटी तो मुझे साफ पता चला की मेरा छोटा भाई अजय जो मेरे साथ ही सोया हुआ था, सरक कर मेरी कंबल में आ गया है और वो अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पर दबा रहा है। मेरा लण्ड बिल्कुल खड़ा था। मैं बिल्कुल दम साधे उसी अवस्था में पड़ा रहा। अजय मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड का दबाव देता फिर गाण्ड आगे खींच लेता और फिर दबा देता। एक लयबद्ध तरीके से यह क्रिया चल रही थी। अब मुझे पूरा विश्वास हो गया की अजय जो कुछ भी कर रहा है वो चेतन अवस्था में कर रहा है। थोड़ी देर में मेरे लिए और रोके रहना मुश्किल हो गया तो मैंने धीरे से अजय की साइड से कंबल समेटकर अपने शरीर के नीचे कर ली और चित्त होकर सो गया।
सुबह का वक़्त था और मेरा दिमाग बहुत तेजी से पूरे घटनाक्रम के बारे में सोच रहा था। आज से पहले कभी भी माँ मेरी काम-कल्पना (फैंटेसी) में नहीं आई थी। वैसे कालेज लाइफ से ही लंबा, सुगठित, अथलेटक शरीर होने से लड़कियां मुझ पर मर मिटती थी लेकिन मैंने अपनी ओर से कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। मेरी स्टोर की आकर्षक सेल्स गर्ल्स पर जहाँ दूसरे पुरुष मित्र मरे जाते हैं वहीं उन लड़कियों के लिफ्ट देने के बावजूद भी मैं उनसे केवल काम का ही वास्ता रखता हूँ।
हाँ सुन्दर नयन नक्श की, आकर्षक ढंग से सजी धजी, विशाल सुडौल स्तन और नितंब वाली भरे बदन की प्रौढ़ (40 वर्ष से अधिक की) महिलाएं मुझे सदा से ही प्रभावित करती आई है। मेरी माँ में ये सारे गुण जो मुझे आकर्षित करते हैं, बहुतायत से मौजूद हैं। जब से माँ चंडीगढ़ आई है और अपने शरीर के रख रखाव पर पूरा ध्यान देने लगी है, तब से लगातार ये सारे गुण दिन प्रतिदिन निखर-निखर कर मेरी आँखों से सामने आ रहे हैं। तो आज सुबह के इस सुखद सपने का कहीं यह अर्थ तो नहीं की मेरी माँ ही मेरे सपनों की रानी है?
इस सपने का तो यही मतलब हुआ की मेरी माँ राधा देवी ही मेरी काम कल्पनाओं की रानी है। मैं माँ को चाहता हूँ, माँ मेरे अवचेतन मन पर छाई हुई है। मैं उसके मस्त शरीर को भोगना चाहता हूँ। फिर मैंने माँ का खयाल अपने दिमाग से निकल दिया और अपने छोटे भाई अजय के बारे में सोचने लगा।
अजय जिसे में ज्यादातर 'मुन्ना' कहकर ही संबोधित करता हूं, आखिरकार 'गे' (नेगेटिव होमो, यानी की लौंडा, मौगा, गान्डू या गाण्ड मरवाने का शौकीन) निकला।
तो अजय का इतना नाजुक, कोमल, चिकना, शर्मिला होने का मुख्य कारण यह है। आज तक मुझे अजय की । लड़कीपने की जो आदतें कमसिनी लगती आ रही थीं, वे सब अब मुझे उसकी कमजोरी लगने लगी। यहाँ आने के बाद अजय के भोलेपन में और शर्मीलेपान में धीरे-धीरे कमी आ रही है। पर अभी भी वो मुझसे बहुत शंका संकोच करता है। इस बात का पूरा ध्यान रखता है की उससे भैया के सामने कोई असावधानी ना हो जाय।
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