RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
उस कमसिन हसीना की चुदाइ करके मैं एक तरफ लेट गया और मुझे कब नींद आ गई मुझे पता भी नही चला
सुबह मेरी आँख मीना के जगाने से खुली तो देखा सुबह के सात बज चुके थे .मीना चाय का कप लिए खड़ी थी मैं फटाफट उठा हाथ मुँह धोया और फिर मीना से चाय का कप लेकर चाय पीने लगा .
चाय पीने के बाद मैंने मीना पर एक भरपूर नज़र डाली मीना इस समय स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी उसने पिंक कलर का शलवार सूट पहन रखा था उसे देखते ही मेरा नागराज अंगड़ाइया लेकर फूँकारने लगा मैने मीना की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से चिपका लिया और उसका माथा गाल कई कई बार चूम डाले. फिर तो मुझ पर जैसे दीवानगी सी सवार हो गयी. मैं मीना को सब जगह चूमता चला गया उसके गाल, गला गर्दन और फिर हमारे होंठ कब एक दूसरे के होंठों से जुड़ गये पता ही न चला.
‘कुंवारी कन्या के अधरों का प्रथम रसपान का स्वाद कितना अलौकिक कितना मधुर होता है.’ ये मैंने उस दिन जाना.
मीना कोई विरोध नहीं कर रही थी वरन वो भी मेरे संग बहती सी चली जा रही थी की जहां नियति ले जाये वहीं चले चलें जैसी मनःस्थिति थी हम दोनों की.
जो कुछ हो रहा था वो जैसे स्वयं ही, बिना हमारे कुछ किये ही हो रहा था. मैंने कब मीना के उरोज दबोच लिए और उन्हें कब मसलने लगा मुझे खुद याद नहीं.
'' आहह मास्टर जी धीरे … इत्त्ति जोर से नहीं; दुखते हैं.” मीना कांपती सी आवाज में बोली. तो मुझे होश सा आया तो मैंने देखा कि मेरा हाथ मीना के कुर्ते के अन्दर उसकी ब्रा के भीतर उसके नग्न स्तनों को मसल रहा था … गूंथ रहा था …मसल रहा था. उसके फूल से कोमल स्तन मेरी सख्त मुट्ठी में जैसे कराह से रहे थे. मुझे अपनी स्थिति का भान हुआ तो मैंने अपना हाथ उसकी ब्रा से बाहर निकाल लिया.
मैंने देखा तो मीना की नज़रें झुकी हुयीं थीं. मैंने उसे फिर से अपनी बांहों में भर लिया और उसका निचला होंठ चूसने लगा. साथ में मेरा एक हाथ उसकी जांघों को सहलाए जा रहा था.
अब मीना भी चुम्बन में मेरा साथ देने लगी थी और उसकी पैर स्वयमेव खुल से गये थे. मेरा हाथ उसकी जांघों के जोड़ पर जा पहुंचा और अपनी मंजिल को सलवार के ऊपर से ही छू लिया और धीरे से मसल दिया.
पुरुष के हाथों की छुअन का असर, उसकी तासीर लड़की के जिस्म पर जादू के जैसा असर दिखाती है. विशेष तौर पर अगर उसके स्तनों या चूत को छेड़ दिया जाए तो.
मीना की चूत पर मेरा हाथ लगते ही वो मोम की तरह पिघल गयी और मीना ने चुम्बन तोड़ कर अपना सिर मेरे कंधे पर झुका दिया. मेरी उंगलियाँ शलवार के ऊपर से ही उसकी चूत से खेलती रहीं, मसलती रहीं, चूत की दरार में घुसने का प्रयास करती रहीं पर सलवार के ऊपर से ऐसा हो पाना संभव ही नहीं था. हां मीना की झांटों का झुरमुट मुझे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था.
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