RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
सेठानी का कहा मानकर मैने उसकी बुर के अंदर अपना लौहे समान सख्त लंड और भी अंदर घुसेड़ दिया. मेरा लंड उसकी कौमार्य की सांकेतिक योनिद्वार की झिल्ली को फाड़ कर और भी अंदर तक चला गया.
छोकरी की दर्द से भरी चीख से सारा कमरा गूँज उठा. वो रिरिया कर मुझ से अपना लंड बाहर निकालने की प्रार्थना कर रही थी. उसके आंसूओं की अविरल धारा उसके दोनों गालों को तर करके उसकी गर्दन और उरोज़ों तक पहुँच रही थी. उसने सुबक सुबक कर रोना शुरू कर दिया.
मैंने कठोर हृदय से उसकी सुबकाई और छटपटाहट की उपेक्षा कर अपने यंत्रणा के हथियार को उसकी दर्द से भरी बुर में कुछ इंच और भीतर धकेल दिया. उसे अपनी बुर से एक गरम तरल द्रव की अविरल धारा बह कर अपनी गांड के ऊपर से बिस्तर पर इकट्ठी होती महसूस हुई.
उसके प्रचुर आंसू उसकी नाक में से बहने लगे. उसका सुबकता चेहरा उसके आंसूओं और उसकी बहती नाक से मलिन ही गया था. वो हिचकियाँ मार कर ज़ोर से रो रही थी. मैने उसके रोते लार टपकाते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर उसकी चीखों को काफी हद तक दबा दिया. उसे लगा की उसकी बुर के दर्द से बड़ा कोई और दर्द नहीं हो सकता. उसे किसी भी तरह विष्वास नहीं हो रहा था कि सिर्फ मेरा लंड अंदर जाने के इस दर्द के बाद कैसे मैं उसे चोद पाउन्गा. उसके दिल में भावना आ चुकी थी की वो दर्द के मारे बेहोश हो जाएगी.
उसका सुबकना हिचकी मार-मार कर रोना जारी रहा, पर मैंने अपने मुंह से उसका मुंह बंद कर उसके रोने की ध्वनि की मात्रा कम कर दी थी. मैंने कस कर उसे अपने नीचे दबाया और अपना लंड उसकी थरथराती हुई बुर में से थोड़ा बाहर निकाल कर अपनी शक्तिवान कमर और कूल्हों को भींच कर अपना लंड पूरी ताकत से उसकी तड़पती कुंवारी बुर में बेदर्दी से ठोक दिया. उसका सारा बदन अत्यंत पीड़ा से तन गया. मैने अपने भारी वज़न से उसके छटपटाते हुए नाबालिग शरीर को कस कर दबाकर काबू में रखा. उसके गले से घुटी-घुटी एक लम्बी चीख निकल पड़ी. वो 'गौं-गौं' की आवाज़ निकालने के सिवाय, निस्सहाय मेरे वृहत्काय शरीर के नीचे दबी, रोने चीखने के सिवाय कुछ और नहीं कर सकती थी. उसकी कुंवारी बुर की मैने अपने, किसी असुर के लंड के समान बड़े लंड से, धज्जियां उड़ा दी.
वो दर्द से बिलबिला रही थी पर उसकी आवाज़ मैने अपने मुंह से घोंट दी थी. उसके नाखून मेरी पीठ की खाल में गढ़ गए. उसने मेरी पीठ को अपने नाखूनों से खरोंच दिया.
वो मुझसे अपनी फटी बुर में से मेरे महाकाय लंड को बाहर निकालने की याचना भी नहीं कर सकती थी. यदि इसको ही चुदाई कहते हैं तो उसने मन में गांठ मार ली कि जब मैं उसे इस यंत्रणा से मुक्त कर दूँगा तो उसके बाद सारा जीवन वो बुर नहीं मरवायेगी .
उसे ज्ञात नहीं कि वो कितनी देर तक रोती बिलखती रही. उसके आंसू और नाक निरन्तर बह रही थी. काफी देर के बाद उसे थोडा अपनी स्तिथी का थोड़ा अहसास हुआ. वो अब रो तो नहीं रही थी, पर जैसे लम्बे रोने के बाद होता है, वैसे ही कभी-कभी उसकी हिचकी निकल जाती थी. मेरा मुंह उसके मुंह पर सख्ती से चुपका हुआ था. उसकी बुर में अब भी भयंकर दर्द हो रहा था. उसे लगा कि जैसे कोई मूसल उसकी बुर में घुसड़ा हुआ था.
मैने धीरे से उसके मुंह से अपना मुंह ढीला किया, जब उसके मुंह से कोई दर्दनाक चीख नहीं निकली तो मैने अपना मुंह उठा कर कहा, " बेटा, तुम्हारी कुंवारी बुर बहुत ही तंग है. सॉरी, यदि बहुत दर्द हुआ तो."
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