RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
मैने अपने हाथों से उसकी गुदाज़ कमर को स्थिर कर अपने लंड से उसकी चूत मारना प्रारंभ कर दिया. इस बार मैं लंड दस-बारह ठोकरों के बाद उसकी चूत में अपना लंड से सटासट तेज़ और ज़ोर से धक्के मारने लगा. उसकी सांस अनियमित और भारी हो गयी. उसकी सिस्कारियों से कमरा गूँज उठा. मेरी शक्तिशाली कमर की मांसपेशियां मेरे विशाल लंड को उसकी चूत में बहुत ताकत से धकेल रहीं थी. मेरे लंड का हर धक्का उसके पूरे शरीर को हिला रहा था. उसकी नीचे लटकी छोटी छोटी चूचियां बुरी तरह से आगे पीछे हिल रही थीं.
"आह, मास्टर जी, मुझे चोदिये. अँ...अँ..ऊं..ऊं..उह ..उह..और चोदिये मास्टर जी मेरी चूत में अपना लंड ज़ोर से डालिए. मेरी चूत झाड़ दीजिये," उसके मूंह से वासना के प्रभाव में अश्लील शब्द अपने आप निकल कर मुझ को और ज़ोर से चूत मारने को उत्साहित करने लगी.
मैने कभी बहुत तेज़ छोटे धक्कों से, और कभी पूरे लंड के ताकतवर लम्बे बेदर्द धक्कों से उसकी चूत का निरंतर मंथन अगले एक घंटे तक किया. वो कम से कम दस बार झड़ चुकी थी तब मैने उसकी चूत में अपना लंड दूसरी बार खोल कर वीर्य स्खलन कर दिया. दूसरी बार भी मेरे वीर्य की मात्रा अमानवीय प्रचुर मात्रा में थी.
वो बहुविध रति-निष्पत्ति से थकी अवस्था में मेरी आखिरी ठोकर को सह नहीं पाई और वो मूंह और पेट के बल बिस्तर पर गिर पडी. मेरा लंड उसकी चूत से बाहर निकल गया.
उसको मेरे मुंह से मनोरथ भंग होने की कुंठा से गुर्राहट निकलती सुनाई पड़ी. मैंअब अपनी कामवासना से अभिभूत था और अपनी बहन समान लड़की का किशोर नाबालिग शरीर मेरी भूख मिटाने के लिए ज़रूरी और मेरे सामने हाज़िर था.
मैने बड़ी बेसब्री से उसको पीठ पर पलट चित कर दिया. उसकी उखड़ी साँसे उसके सीने और उरोज़ों से ऊपर को नीचे कर रहीं थी.
मैने उसकी दोनों टांगों को उसकी चूचियों की तरफ ऊपर धकेल दिया. वो अब लगभग दोहरी लेटी हुई थी. मैने अपना अतृप्य स्पात के समान सख्त विशाल लंड उसकी खुली चूत में तीन धक्कों से पूरा अंदर डाल कर वहशी अंदाज़ में चोदने लगा. मैं ने उसकी चूत को बेदर्दी से भयंकर ताकत भरे धक्कों से चोदना शुरू कर दिया. मैं उसकी कुंवारी, नाज़ुक चूत का लतमर्दन से विध्वंस करने का निश्चय कर चुका था. उसकी सिस्कारियां और मेरी जांघों के उसके चूतड़ों पर हर धक्के के थप्पड़ जैसी टक्कर की आवाज़ से कमरा गूँज उठा.
मैने उसके दोनों उरोज़ों को अपने हाथों में ले कर मसल-मसल कर बुरा हाल कर दिया. उसको अपनी चड़ती वासना के ज्वार में समझ कुछ नहीं आ रहा था कि कहाँ मैंउसको ज्यादा दर्द दे रहा था - अपने महाकाय लंड से उसकी चूत में या अपने हाथों से बेदर्दी से मसल कर उसकी चूचियों में.
अब वो अपने निरंतर, लहर की तरह अपने शरीर को तोड़ रहे चरम-आनन्द के लिए वो दोनों पीड़ा का स्वागत कर रही थी.
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