RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
चार साल बीत गया और इसी बीच तनु के इंटर का इम्तिहान खत्म होते ही उसके शादी के लिए लडकी की खोज शुरु हो गयी। हमारी तरफ़ बीस की उमर तक लडकी की शादी हो जानी आम बात थी। लोग इंटर पूरा करते ही लड़की के लिए दूल्हा देखने लगते थी और उसके बी०ए० होते-होते उसकी शादी कर देते थे। अब चूँकि बब्लू मेरा दोस्त था और जब उसके भैया का बैंक में नौकरी लग गया तो उसके घर तनु के लिए रिश्ता जाना लाजमी था। बब्लू के भैया थोडा पढाकू टाईप थे, सो ज्यादा मीन-मेख नहीं हुआ और तनु की शादी उनके साथ फ़ाईनल हो गयी। शादी से दो महिने पहले हमदोनों को भी डिग्री मिल गयी और हमारे घर में खुशियाँ दोगुणी हो गयीं। इस बार जब बब्लू मेरे घर आया तब वो मेरा दोस्त ही बन कर आया था, पर उसके तेवर अब नये किस्म के थे। जिस तनु के बदन को याद कर-करके उसने न जाने कितनी मूठ मारी थी वो तनु अब उसकी भाभी बन रही थी। उसने तो मेरे सामने ही तनु से मजाक शुरु कर दिया। आज की तनु अब १८ साल की एक जवान लड़की थी, और उससे ऐसे ही मिली जैसे वो बचपन में अपने भैया के दोस्त से मिलती थी, पर बब्लू ने एक झटके में उसको शर्माने पर मजबूर कर दिया, "क्या तनु... अब तक तो सही समय आया था तुमको लाईन मारने का, अभी तक तो मैं तुम्हारे ही ख्याल में रहता आया हूँ, अब भैया से शादी के बाद जरा अपने देवर को भी कभी-कभार लाईन दे देना। पराठा खिलाना भैया को खूब मन भर, मुझे बस जरा दिखा दिया करना"। तनु समझी नहीं, पर मैं समझ गया, यह "पराठा" हमदोनों का कोड-वर्ड था लडकी के तिकोने झाँट के लिए। तनु के चेहरे पर नासमझी के भाव थे, वो बोली, "इसमें क्या बात है, मैं पराठा बहुत अच्छा पकाती हूँ।" अब बब्लू बोल उठा, "अरे भाभी जी, आपके पराठे तो भैया ही चाटेंगे....हमें तो आप बस डेयरी मिल्क भी दिखा दोगी तब भी दिन बन जाएगा, पराठा एक बार दिखा दी तब तो जिनदगी बन जाएगी।" उसने जिस तरह से "डेयरी मिल्क" कहते हुए तनु की चूचियों को घूरा, वो पूरी तरह से समझ गयी थी कि उसका इशारा किस तरफ़ है। उसने अपने दुपट्टे को संभाला और मुस्कुराते हुए वहाँ से खिसक ली। शादी में दो महिने थे और दोनों ही परिवार में तैयारी चल रही थी।
अब एक बार फ़िर से हम दोनों दोस्तों के प्राईवेट बातों का विषय मेरी बहन तनु बन गयी थी। इन चार सालों में हमने कई लडकियों को चोद लिया था और हम अब ज्यादा खुल कर तनु के बदन के बारे में बातें करने लगे थे। मैंने तो अब बब्लू की छोटी बहन बब्ली, जो अब दसवीं में थी, के बारे में भी बोलना शुरु कर दिया था और गाहे-बगाहे उसके गालों को सहला भी दिया करता था। पर हमारा रिश्ता ऐसा था कि कोई कुछ खास शक भी नहीं करता था। एक दिन तो बब्लू ने अपनी बहन बब्लू की एक पैन्टी ही लाकर मुझे दे दिया और एक तरह से चैलेंज करते हुए कहा, "क्या बेटा, तू कभी ऐसी हिम्मत कर सकता है?" अगले ही दिन मैंने भी तनु की पैन्टी चुरा कर बब्लू को दे दी और उस दिन हम दोनों ने एक-दूसरे की बहनों की पैन्टी को अपने-अपने लन्ड पर लपेट कर मूठ मारा और तभी तय हुआ कि किसी उपाय से तनु की सुहागरात देखी जाए। शादी में अब १४ दिन बचा था, जब हमने तय किया कि हम उसके बेडरूम में छोटे-छोटे वाय-फ़ाई से जुडनेवाले कैमरे लगाएँगे और बब्लू अपने लौपटौप पर उस रात को रिकार्ड करेगा। आनन-फ़ानन में चार कैमरे हमने एक ई-कौमर्स साईट से मँगवाया। ये कैमरे शर्ट की बटन जितने छोटे थे और साथ के सौफ़्टवेयर से उनको जूम भी किया जा सकता था और करीब ३० डिग्री तक अलग-अलग दिशा में मोड़ा भी जा सकता था। हमने उन्हें खुब अच्छे से चेक कर लिया और फ़िर एक दिन बब्लू ने तीन कैमरे को उसको भैया के रूम में सेट कर दिया, एक बिस्तर के ठीक ऊपर पंखा में (यह पंखा वैसे भी चलने वाला नहीं था जाडे में), एक बेड की एक साईड पर और एक ड्रेसिंग टेबूल पर। एक कैमरा उसने बाथरूम में लगा दिया था। यह सब सेटिंग शादी के चार दिन पहले पूरा करने के बाद हमने सब कैमरों से अलग-अलग रिकार्डिंग की और फ़िर जरूरत के हिसाब से उनको थोडा इधर-उधर करके पूरी तरह से संतुष्ट हो लिए किए अब तनु की सुहागरात की पूरी लाईव रिकार्डिंग खूब अच्छे से हम कर सकेंगे। हमदोनों ने अपने इंजीनियरिंग की डिग्री की पूरा क्षमता तनु के सुहागरात की फ़िल्म बनाने में लगा दी थी।
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