RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
अगली सुबह मेरी आँख खुली जब दीपू भैया मेरे कमरे में आए। मुझे जागते देख बोले।
दीपू भैया: गुड मौर्निंग, साले साहब।
मैं: गुड मौर्निंग, दीपू भैया... रात में तो बहुत हल्ला कर रहे थे आपलोग? सब साफ़-साफ़ यहाँ सुनाई दे रहा था, इस पार्टीशन से।
दीपू: तुम्हारी बहन ही चिल्ला रही थी यार...।
मैं: आप भी तो बेचारी पर पिल गये थे, सीधा-सीधा ही कर लेते, अब तो वो आपकी बीवी ही है।
दीपू: हाँ... यार, पर तुम्हारी बहन न बहुत ही सेक्सी है। उसको देख कर दिल मानता ही नहीं है।
मैं: अरे तो क्या हुआ? अब तो उसको आपके साथ ही जीवन बिताना है तो किसी और दिन कर लेते यह सब।
दीपू: अरे साले बाबू, आप तो अपनी बहन की पैन्टी चुरा कर मस्ती लेते रहे, और मुझे कह रहे हो कि मैं रुक जाऊँ... वाह भई।
मैं: अरे तो उसकी पैन्टी लेकर आप भी हिला लेते जीजाजी.... (मैं हँसने लगा था)
दीपू: तुम्हारे लिए तो मजबूरी थी फ़िर भी पैन्टी चुरा लाए, मेरे लिए क्या मजबूरी थी, मुझे तो लाईसेंस मिल गया है उसका।
मैं: हाँ, यह भी सही है.... पर बेचारी को दर्द बहुत हुआ था न, मुझे यहा~म सब सुन कर ही दया आ रही थी।
दीपू: अरे तो आ जाते न दया दिखाने। भाई के सामने ही बहन की गाँड मारने का नसीब सब का थोडे ना होता है।
मैं: धत्त... आप भी न, कैसे-कैसी बात कह देते हैं आराम से। आप तो ऐसे न थे?
दीपू: सब तुम्हारी बहन का कमाल है, मुझे तो सिर्फ़ उस लौंडिया की चूत ही दिखती है सब तरफ़।
मैं: छीः... ऐसे मत बोलिए दीपू भैया।
दीपू: अरे दोस्त.... मेरे दोस्तों ने कहा था कि बेटी को उसके मायके में जरूर चोदना चाहिए और वो भी बेहिचक कि घर पर उसके
माँ-बाप और घरवाले भी होंगे। घर के बाहर तो लड़की ऐसे भी चुदेगी, पर उसके घर पर जाकर उसको चोदना वो भी उसके सब
रिस्तेदार के रहते.... तभी तो पति का हक मिलेगा। बस यही सोच थी कि उसको यहाँ मैं ऐसे चोद रहा हूँ। इस कमरे में मम्मी-
पापा रहते, तब भी मैं ऐसे ही तनु को चोदता।
मैं: खैर, अच्छा है कि मम्मी-पापा का कमरा साथ में नहीं है। मेरा क्या है...? मैं तो.... आप जानते ही हैं।
दीपू: अच्छा साले, एक बात बताओ.... तनु का नंगा बदन देखे हो कभी?
(उनको कहाँ पता था कि मैं कैसे-कैसे इंतजाम से सब देखता हूँ)
मैं: नहीं.... कभी नहीं।
दीपू: अच्छा... फ़िर जब बहन की पैन्टी से खेलते थे, तब क्या ख्याल रहता था दिमाग में?
मैं: बस... ऐसे ही.... कि क्या, कैसा दिखता होगा बदन बिना कपडों के।
दीपू: हा हा हा.... मतलब, बहन को नंगा देखने की हसरत है... है ना? अरे अब तो सब खुल कर बताओ, अब क्या पर्दा?
(मुझे लगा कि अब समय आ गया है थोडा खुलने का)
मैं: आप कह सकते हैं? वैसे... अभी तनु क्या सो रही है?
दीपू: नहीं.... नीचे गयी है कि चाय ले कर आती हूँ। सुनो, अब दो रात और रहना है यहाँ और इन दोनों रात को मैं तो उसको रोज
ही चोदुँगा... यह तो तुम समझ ही सकते हो। तुमको मन है क्या?
मैं: मन है.....? मतलब?
दीपू: मतलब.... कुछ प्लान करके, दिखा देंगे तुमको तुम्हारे बहन की चुदाई और क्या? पर हाँ कहने से पहले सोच लेना, कहीं बहन
के नंगे सेक्सी बदन को देख कर दिल काबू में नहीं रहा तब क्या होगा?
मैं: यह तो है... पर दीपू भैया, मन तो है कि एक बार तनु का बदन देखूँ ठीक से..... बाद में तो पता नहीं उसका शरीर कैसा हो
जाएगा जब पूरा औरत बन जाएगी। अभी तो कम-से-कम लड़की जैसी ही है, सिर्फ़ स्प्ताह ही तो हुआ है उसका।
दीपू: चल ठीक है.... देखता हूँ। आज उसके आँख पर पट्टी बाँध कर उसको चोदूँगा, और तब तुम भी आ जाना भीतर। मैं जोर से
बोलूँगा - "मस्त माल, टंच माल" - और तुम कमरे में आ जाना। अगर बहन को चोदने का मन होगा तो नंगे ही आना, वर्ना
कपड़ा पहन कर आना।
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