RE: Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना
मैं: फ़िर भी दीपू भैया, आपको तनु से पूछना तो था...।
दीपू: अरे यार.... यह तो तुमको भी पता है कि अगर लड़की से सब बात पूछते रहे तो लडकी जीवन भर कुँवारी ही रह जाएगी दर्द
के डर से। लडकी की बूर को भी चोदा जाता है तब भी उसको दर्द सहना ही होता है पहली बार। (पहली बार गन्दे शब्द)
मैं: फ़िर भी पिछवाड़ा.... तो बहुत ही दर्द.... क्या तनु, दोनों दर्द एक ही तरह का था। (तनु शर्म से लाल हो गई) बोलो तनु?
तनु: दर्द तो होता है, पर.... पीछे ये इतना जल्द करेंगे, अंदाजा नहीं था।
दीपू: अरे रानी अब तुम परेशान मत होओ। जैसे बूर चुदाते अब कोई परेशानी नहीं होती, वैसे ही गाँड मरवाते हुए भी अब दर्द कम
होता जाएगा और ३-४ बार के बाद तुम अपने भी गाँड़ को खोलना जान जाओगी। अब तो हर लडकी को अपना दोनों छेद देना
ही पड़ता है मर्दों को। वो हमारी मम्मियों का जमाना था जब गांड़ कभी-कभार मारा जाता था। अब तो सब लड़की की गाँड़ भी
रेगुलरली मारी जाती है, जैसे उनकी बूर चोदी जाती है।
मैं: छोड़ो तनु यह सब बात अब.... तुम ना एक बार बोरोलिन लगा लो थोड़ा चुपड़ कर। मेरे शेविंग बौक्स में रखा है बोरोलिन।
दीपू: हाँ, वो चमड़ी तन गई होगी ज्यादा सो छिल गयी होगी। बोरोलिन लगाने से आराम हो जाएगा। वैसे तुम अब चिंता मत करो,
अब सिर्फ़ बूर ही चोदूँगा इस महीने। अब गाँड की बारी अगले महिने ही आएगी।
तनु भी चुपचाप उठी, पहले मेरे शेविंग बौक्स से बोरोलिन निकाला और फ़िर अपने कमरे की तरह चली गई। थोड़ी देर में बोरोलिन के ट्यूब के साथ ही लौटी और फ़िर चाय के खाली प्याले को लेकर लौट गयी। हम दोनों भी अब उसके पीछे-पीछे नीचे आ गये। आज मुझे दिन भर पापा के साथ कई तरह के काम करने थे तो सुबह करीब ग्यारह बजे निकलने के बाद घर लौटते-लौटते करीब पाँच बज गए। तनु अपने पति के साथ ५.३० की शो में फ़िल्म देखने चली गई थी। मेरे नहीं रहने से दीपू भैया बोर हो रहे थे तो वो फ़िल्म देखने चले गये हैं। वो दोनों करीब साढे नौ बजे घर लौटे। तनु अब ज्यादा खुश और फ़्रेश लग रही थी। वैसे भी उसको फ़िल्म देखना पसंद था। उसने एक गुलाबी लेगिंग्स के साथ प्रिंटेड पीली कुर्ती पहन रखी थी जो उसके गदराये बदन पर खुब कसा हुआ था और उसमें से लाल ब्रा की झलक हम सब को मिल रही थी। मैं यह देख कर हौरान हो रहा था कि कल तक जो तनु अपने उभरों को छूपाती चलती थी अपने ढीले कपडों में, ब्रा की झलक देना तो दूर की बात है... शादी होते ही कैसे सेक्सी दिवा बन कर अपने बदन की नुमाईश करने लगी थी। हद तो यह कि अब मम्मी को भी इस सब में कुछ गडबड़ नहीं दिख रहा था, वर्ना मुझे याद है कि यही तनु जब एक बार टीशर्ट पहनी थी और ऊपर का बटन बन्द नहीं की थी तो कैसे मम्मी ने उसको डाँटा था। आज तनु इस तरह से अपने उभारों को हल्की पारदर्शी कुर्ती और कसी हुई लेगिंग्स में प्रदर्शित कर रही थी। वो जब बैठी तब मेरी नजर उसकी जाँघों और चुतडों के देख रहा था कि पैन्टी किस रंग की पहनी है इसने। लाख कोशिश के बाद भी मुझे कुछ दिखा नहीं, तो मैं समझा कि वो बिना पैन्टी के ही है अभी। (हालाँकि मैं गलत था, जो मुझे बाद में पता चला।) बेटी की शादी हो गयी थी तो मम्मी भी अब बेफ़िक्र थी, अब तनु अपना बदन दिखाए या छुपाए... सब अब उसके पति की जिम्मेदारी थी। मेरी घूरती नजर बार-बार तनु की छाती पर जा रही थी और दो-एक बार ऐसा भी हुआ कि तनु ने यह नोटिश भी किया, पर वो भी बस मुस्कुरा कर रह गयी। सुबाह की बात-चीत ने उसको मेरे साथ अब थोडा कंफ़र्टेबल कर दिया था। मम्मी ने उनके आते ही खाना लगाना शुरु कर दिया। खाने के बाद हम सब ने साथ में कौफ़ी पी और फ़िर करीब दस बजे दीपू भैया मेरे साथ ऊपर अपने कमरे में चल दिये, जबकि मम्मी किचेन साफ़ करने में लग गई। सीढी पर चलते हुए दीपू भैया ने फ़ुसफ़ुसाते हुए पूछा।
दीपू: तब..., क्या सोचा तुमने?
मैं: किस बारे में?
हम अब उनके और तनु के कमरे में आ गये थे।
दीपू: वही.... तनु को चोदने के बारे में?
मैं: पर भैया.... अगर वो...
दीपू: अरे क्या अगर-मगर कर रहे हो भाई? उसके आँख पर पट्टी रहेगी और मैं उसके हाथ भी बाँध दूँगा, यह कह कर की अंग्रेजी-
स्टाईल में सेक्स करना है। फ़िर तो वो अपनी पट्टी हटा भी नहीं पाएगी....और तुम बेहिचक उसको चोद लेना। मैं भी देख लूँगा,
जब लडकी चुदती है तो उसकी चूत कैसे खुलती है।
मैं: पर अगर... मैं कुछ बोल गया तो...।
दीपू: फ़िर तो... तुम जानो, वैसे ज्यादा लफ़ड़ा नहीं है क्योंकि तनु को भी पता रहेगा न कि इसमें उसके पति की मर्जी है।
मैं: ठीक है दीपू भैया, पर आप भी उसको कुछ ऐसे समझाना कि वो ज्यादा बात-चीत ना करे।
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