RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
बर्दाश्त की सीमा मेरी भी पार कर चुकी थी.. मैं अब रुकने वाला नहीं था ... पूरी तल्लीनता और ज़ोरों से फिंगरिंग करने और निप्पल चूसने लगा | इधर चाची का भी जोर मेरे सिर पर बढ़ता जा रहा था और मेरे सिर को अपने चूची से ऐसे दबाए हुए थी मानो आज वो मेरा निश्चय ही दम बंद कर मारने वाली है | मेरे दोहरे आक्रमण के मार से चाची अब धीरे धीरे अपने चरम पर पहुँचने लगी ... उनका शरीर अकड़ने लगा ... वो ज़ोरों से आहें भरने लगी और साथ ही बिस्तर पर किसी जल बिन मछली की भाँति तड़पने लगी | मैं निप्पल को छोड़ अब पूरे स्पीड से चूत के दाने को मसलने और उँगलियों को अन्दर बाहर करने लगा |
चाची – “आह्ह्ह्हsssss....... अभयययययssssssss.... आअह्ह्ह्हह्ह्हssssssss....ऊऊउम्म्म्मममममssssss....”
अभय – “ओह्ह्ह्हssss....दीप्तिssssss......चाचीईईईsssssssssss.....पूर्ण संतुष्ट किये बिना नहीं छोडूंगा ......आह्ह्ह: ....”
चाची – “आआआआह्ह्ह्हहहssss.....औरररररssss.... थोड़ाssssss........ज़ोरररररsss... सेsssss... आह्ह्हssss.. ओह्ह्हssss....नहींईईssss....आम्म्ममम्मssss.... धीरेरेरेsssss........ करोssssssss....”
चाची की आवाज़ की तीव्रता बढती जा रही थी ... इतनी बढ़ गई थी की कहीं उनकी आवाज़ कमरे से बाहर न चली जाए यही सोच कर मैंने चाची के होंठों से अपने होंठ लगा दिया | इससे आवाज़ निकलनी तो बंद हो गई पर अब एक दबी हुई सी “ऊऊउम्म्म्ममममssssssssss…..” निकल रही थी |
चाची की ऐसी हालत देख कर मुझे एक और शरारत सूझी ... मैं ऊँगली करना छोड़ कर उठ बैठा ... मेरी इस हरकत से चाची ने आँखें खोल कर मेरी ओर आश्चर्य से देखी.. मैं होंठों पर एक बदमाश वाली स्माइल लिए चाची को देखते हुए उनके पैरों को पकड़ कर फैला दिया और खुद दोनों पैरों के बीच आ कर बैठ गया .. फिर खुद को थोड़ा पीछे करते हुए धीरे धीरे चाची की चूत पर झुकने लगा ... चाची मेरी इन हरकतों को आश्चर्य से बड़े ध्यान से देख रही थी और मुझे अपने टांगों के बीच झुकते देख वो मेरा आशय समझ गई और शर्म और शरारत भरी एक मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए अपने टांगों को खुद ही और अधिक फैला दी.. और इधर मैं उनके मखमल सी टाँगों के बीच इतना झुक चूका था कि मेरे होंठ अब चूत के होंठों से जा मिले... थोड़ी देर तक चूत के ऊपरी और आस पास के हिस्से को सूँघता रहा .... और जब मन थोड़ा आगे बढ़ने को हुआ तब जीभ निकाल कर बड़े धीरे और स्नेहयुक्त तरीके से चूत के होंठों पर फिराने लगा | जैसे ही जीभ का अग्रभाग चूत से टकराया , चाची “इइइइइइस्सस्सस......आहहहहह.......” की आवाज़ के साथ तड़प सी उठी और आनंद के गोते लगाते हुए अपनी आँखें बंद कर ली ...|
प्रेम से चूत के आस पास के भाग को चाटते हुए दो उँगलियों से चूत के फांकों को अलग किया और जीभ को थोड़ा अंदर घुसाते हुए चूत के दीवारों को चाटने लगा | अब तो चाची का परम उत्तेजना के मारे बुरा हाल था | मेरे सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर दोनों जांघों के बीच दबा दी और जांघों को मेरे सिर के पीछे से ले जा कर क्रिसक्रॉस कर के उनका गिरफ़्त भी बढ़ा दी | और मैं तो पूरी लगन से चाची के ‘चूत-रस’ का पान करने के लिए जीभ से ही चुदाई आरम्भ कर दिया |
चाची – “ऊऊउम्म्म्ममममममआह्ह्ह्ह..... अभ.....अभय्यय्य्य....... अ....अब.....न....नहीं....... नहीं.... रुक्क.... सकती.....आअह्ह्ह्ह.... ”
चाची तड़प उठी पर मेरे पास कुछ देखने सुनने का समय नहीं था.... मैं तो चिपका पड़ा था .... रसभरी चूत से ... चाट चाट कर चूत को पनिया दिया मैंने ... किसी तरह मैंने सिर को चूत पर से उठा कर बोला, “हाँ, तो मत रोको न ... होने दो जो हो जाना चाहिए...” इतना कह कर दुबारा चूत चुसाई के कार्य में लग गया |
चाची का पूरा शरीर कांपने लगा .. बेड पर लेटे लेटे कसमसाते हुए वो मेरे सिर को और भी अधिक ताकत से अपने चूत पर टिकाने लगी.. अपने सर से लेकर कमर तक के हिस्से को वो ऊपर की ओर उठाती और फिर एक झटके से नीचे करती ... कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा ...
फिर अचानक,
चाची – “ऊह्ह्ह्ह....ओह्ह्ह..... आआऊऊऊऊ...............!! आअह्ह्ह्ह..... मैं... म...म... मैं... अ...अ...ब....अब.... छुट.... छूट ....आह्ह..... वाला.... है.........आअह्ह्ह्ह”
और इसी के साथ “फ्च्च्च” के आवाज़ के साथ चाची का एक बहुत ही ज़बरदस्त ओर्गास्म हो गया | पूरा का पूरा ‘चुतरस’ मेरे पूरे चेहरे पर फ़ैल कर लग गया | चिपचिपा सा.... चाची अब लंबी गहरी साँसों के साथ धीरे धीरे शांत हो होने लगी.... और.. और मैं.... मैं अब भी चूत के होंठों से अपने होंठ लगाए “चूतरस” का पूरे मनोयोग से सेवन कर रहा था .................
*************************************************************
चाची निढाल सी बेड पर पड़ी रही. और मैं बड़ी तल्लीनता से चूत चाटे जा रहा था | इस वक़्त अगर कोई वहाँ कमरे में होता तो मुझे देख कर यही कहता की बेचारे को चूत की बड़ी प्यास लगी है ... क्योंकि मुझे तो चूत के पास से हटने का मन ही नहीं कर रहा था | काफ़ी देर तक ‘लप लप’ की आवाज़ से चूत को अच्छे से चाटने के बाद जब थोड़ा मन भरा, मैं उठ कर चाची के बगल में जा कर लेट गया और चाची के चेहरे को बड़े प्यार और अपनेपन से देखने लगा | चाची आँख बंद की हुई थी | कसम से, बहुत ही प्यारी लग रही थी | बिना ब्लाउज के नंगे पड़े भीगे चूची और निप्पल, ज़ोर से दाबने के वजह से कहीं कहीं से लाल हो गयी थी | पूरे पेट और नाभि पर भी मेरे चाटने से हलके लार समेत निशान बन गये थे | कमर तक उठे हुए पेटीकोट मामले को और गर्म बना रहे थे |
मैं कुछ देर तक चाची को ऊपर नीचे देखता रहा | फ़िर आगे बढ़ कर दीप्ति (चाची) का एक चूची को पकड़ा और धीरे धीरे सहलाते हुए दबाने लगा | चाची अब भी आँख बंद कर लेटी थी, चूची पर दबाव पड़ते ही ‘उऊंन्ह्ह’ से कराह दी | पर मैं बिना परवाह किये चूची को दबाता और चूमता रहा | कुछ देर ऐसे ही करते रहने के बाद उन्हें बाँहों में भरते हुए लिपकिस करने लगा | चूत के होंठ चूसने के बाद मैं अब मुँह के होंठ चूसने में व्यस्त हो गया |
पर इसमें भी ज़्यादा देर तक नही रह सका | जल्दी से बरमुडा को उतार फेंका और अपने फनफनाते खड़े लंड के सुपारे पर थूक लगाने लगा | फिर चाची की चूत पर ढेर सारा थूक लगाया और अपने लंड के सुपारे को चूत के मुहाने पर लगा कर हल्का सा दबाव बनाने लगा | चाची ज़रा सा आँख खोली और मुझे अपने चूत पर लंड रगड़ते देख कर मुस्करा दी और फिर से आँखें बंद कर आने वाले सुख की परिकल्पना में खो गई
|