RE: Gandi Sex kahani भरोसे की कसौटी
और धीरे से बोली,
“उसकी फ़िक्र तुम न करो अभय... मैंने उसका इंतज़ाम कर लिया है |”
मैं बुरी तरह से चौंका,
“क्या सच?? प... पर... पर कैसे?? क्या इंतज़ाम कर लिया है आपने ... चाची..??”
चाची – “किया है ना कुछ... तुम अभी इन सब बातों की फ़िक्र मत करो.. समय आने पर खुद पता चल जाएगा |”
मैं – “पर दीप्ति........”
मेरे कुछ और कहने के पहले ही चाची ने अपना सिर उठाया और मेरी ओर देखते हुए अपनी एक ऊँगली मेरे होंठों पर रख दी और एक रहस्यमयी कातिलाना मुस्कान लिए धीरे से बोली,
“श्श्श्श....... शांत...बिल्कुल शांत..... मैंने कहा न, मैंने इंतजाम कर लिया है... उस इंस्पेक्टर की चिंता मुझ पर छोड़ कर तुम सिर्फ मेरी चिंता करो... और मेरी दो बातों को अपने दिमाग में बिल्कुल फ़िट कर लो...
पहला, अपनी चाची पर भरोसा करना सीखो... और दूसरा, जब हम इस तरह से साथ हों तो मुझे मेरे नाम से नहीं बल्कि चाची कह कर पुकारो... बड़ा किंकी लगता है... हाहाहा....”
मैं हतप्रभ सा उनकी ओर देखता रहा... कुछ समझ नहीं रहा था उस वक़्त... तभी चाची थोड़ा उठ कर अपने बगल में एक छोटे से टेबल/स्टूल पर रखे एक ग्लास को उठा कर मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली,
“लो .. अब एक अच्छे बच्चे की तरह फटाफट इसे पी जाओ...|”
मैं – “ये क्या है चाची?”
चाची – “दूध..”
मैं – “दूध?!! अभी?? ... पर क्यों..?!!”
मेरे इस सवाल पर चाची शर्माते हुए मेरे पूरे शरीर को अच्छे से एक बार सर से लेकर पाँव तक देखी, कुछ सेकंड के लिए उनकी नज़रें चादर के नीचे बन रहे मेरे लंड के उठाव पर टिकी रही ...फ़िर मेरी ओर, मेरी आँखों में झांकती हुई , मेरे सिर को सहलाते , बाएँ कान के ऊपर बिखरे सर के बालों को अपनी उँगलियों से बड़े प्यार से कान के पीछे करते हुए, होंठों पर कातिलाना मुस्कान लिए बोली,
“क्योंकिss....... मुझे..... एक राउंड और चाहिए... ”
मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ..... “व्हाट”??!
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इधर शहर में ही, दूर कहीं किसी वीराने में... एक नदी के किनारे,
एक लम्बा सा आदमी... भुजाएं काफ़ी बलिष्ट सी मालूम पड़ती है उसकी... ताकतवर होगा...
एक बड़ा और काफ़ी गहरा गड्ढा खोदा...
और फ़िर एक बड़ी सी काली प्लास्टिक उस गड्ढे में डाल दिया ...
प्लास्टिक में कुछ लपेटा हुआ था.. देखने से आदमीनुमा जैसा कुछ लग रहा था .. मानो किसी आदमी को लपेटा गया हो |
प्लास्टिक को बड़ी मशक्कत से गड्ढे में डालने के बाद उस आदमी ने जल्दी से गड्ढे को भर दिया ... भरने के बाद कुदाल-फावड़ा ले कर एक ओर बढ़ा.. अभी कुछ कदम चला ही होगा कि रात के सन्नाटे में ‘च्युम’ की सी एक धीमी आवाज़ हुई... और इसी के साथ ही उधर वह आदमी किसी कटे पेड़ की भांति ज़मीन पर गिर गया |
हेडलाइट्स ऑफ़ किये एक कार आ कर रुकी उस आदमी के पास... एक आदमी उतरा.. ओवरकोट और हैट पहने.. साथ में एक बड़ी सी प्लास्टिक और चादर लिए. जल्दी से उस गिरे हुए आदमी को पहले चादर में, फिर उस प्लास्टिक में लपेटा.. फिर किसी तरह उठा कर अपने कार की डिक्की में डाला... साथ ही कुदाल वगेरह भी डिक्की में डालने के बाद कार स्टार्ट कर एक ओर तेज़ी से बढ़ गया |
क्रमशः.......................
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