RE: Parivaar Mai Chudai अँधा प्यार या अंधी वासना
अपडेट 2 संजना वाटस्सॅप चावला साहब
यह सुनकर संजना का मुँह खुला का खुला रह गया और अपने पापा की तरफ देखने लगी. आनंद ने तन्हाई को तोड़ते हुए कहा, “पिछले एक साल से कहते कहते थक गया हूँ मगर यह शादी के लिए मानती ही नहीं!” आनंद ने गुस्स्से में संजना को तीर्छि नज़रों से देखा और हाथ से
अंदर जाने का इशारा किया, और इस बार संजना चुप चाप चली गयी.
तो चावला साहिब ने आनंद से कहा, “मुझे लगा कि तुम दोनों खुशी के मारे पागल हो जाओगे यह सुनकर कि मैं उसका हाथ अपने छोटे बेटे के लिए माँग रहा हूँ, क्यूँ के कौन ग़रीब एक करॉरपति के घर अपने बेटी को भेजना नहीं चाहेगा.”
आनंद ने उदास चेहरा बनाते हुए कहा, “यह बात नहीं साहिब, कौन नहीं खुश होगा आप के जैसे लोग के यहाँ अपनी बेटी देकर? मगर संजना बिलकूल ही शादी नहीं करना चाहती अभी. इस बात को लेकर कयि बार हमारी बहस हो चुका है. लड़ती है मुझसे, आप तो आज कल
के बच्चो को जानते ही हो साहिब, हमारा ज़माना नहीं रहा, यह जो चाहते हैं वोही करते हैं!”
चावला साहिब ने कहा, “साहिब इसकी ज़िंदगी में एक लड़का था. वो होता है ना बाय्फ्रेंड. जब यह कॉलेज में थी तो कुछ चक्कर था इसी लिए
तो मैं ने कॉलेज बंद करवाया इसका.”
चावला साहिब ने कहा, “यह कौन सी बड़ी बात है? इससे क्या फरक पड़ता है भाई? तुम बुलाओ उसको मैं बात करता हूँ.”
आनंद ने कहा, “नहीं साहिब जाने दो ना. छोड़ो इस बात को!”
तो चावला साहिब कुछ नाराज़ सा लगा और उठकर जाने लगा.
बाहर अपनी गाड़ी के पास खड़े चावला साहिब ने आनंद से कहा, “एक बार जाने से पहले बात तो करा दे अपनी बेटी से. मुझे आता है ऐसे मामले में बात निपटना. मगर आनंद खामोश खड़ा रहा. संजना सब सुन रही थी अंदर से तो बाहर खुद आ गई और आनंद उसको गुस्से भरी
नज़रों से देखने लगा. फिर चावला साहिब ने संजना से कहा, “अपना मोबाइल नंबर दे मुझे वक़्त आने पर मैं तुमसे बात करूँगा. तो संजना ने
नंबर दे दिया चावला साहिब को. और तुरंत मिस्कल्ल करने अपना नंबर दे दिया संजना को.
जब चावला साहिब चले गये तो संजना ने अपने बाप से कहा, “ झूट बोलने में तो माहिर हो आप. क्यूँ झूट बोला कि मेरा बाय्फ्रेंड था? झूठे पापा!”
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चावला साहिब कोई 5 किलोमीटर्स तक ड्राइव करते हुए पहुँचे थे कि उसकी मोबाइल बजी. उसने देखा कि संजना ने मेसेज भेजा है. “हाई” तो उसने रिप्लाइ किया “हाई” और ड्राइव जारी रखा. फिरसे मेसेज आया, “कहाँ तक पहुँचे हो आप?” तो चावला साहिब ने कार पार्क करके
सोचा छोटी सी चॅट करले इस लड़की से.
चावला साहिब: “अभी अभी तो निकला हूँ बस 5 या 6 किमी ड्राइव किया हूँ. क्यूँ क्या हुआ?”
संजना: “कुछ नहीं ऐसे ही आप ने नंबर दिया तो सोचा मेसेज कर लूँ थोड़ा सा हिहीही”
चावला साहिब को लगा लड़की बचकानी हरकतें कर रही है तो जवाब लिखा;
“देखो ड्राइव करते वक़्त तो मैं नहीं चॅट कर सकता घर जाने के बाद हम चॅट करेंगे ओके? आइ आम ड्राइविंग नाउ सो वी’ल्ल टॉक लेटर.
बाइ. टेक.केयर.”
और इतना कहकर चावला साहिब ड्राइव करने लगे जब संजना ने जवाब दे दिया, “ओके”
घर पहुँचने के बाद चावला साहिब की दिमाग़ में संजना बसी हुई थी. उसकी सुरीली आवाज़, उसकी लड़कपन, उसकी अदाए, उसका भोलापन, शुशीलता सब चावला साहिब को हैरान कर रहे थे. बहुत बरसों बाद आज चावला साहिब को ऐसा महसूस हो रहा था. क्या संजना में उसको अपनी बेटी पूजा दिखाई दे रही थी? क्या उस में उसको अपनी पत्नी की कुछ झलक दिख रही थी? या अपनी बड़ी बहू सानवी में कुछ
ऐसी अदाए या बात थी जो चावला साहिब को संजना में दिखी? क्यूँ वो उस भोली भाली लड़की के बारे में इतना सोच रहा था? चावला साहिब खुद को परेशान फील कर रहा था जब कार को गॅरेज में पार्क करके गॅरेज के दरवाज़े से जो सीधे किचन में खुलता है अंदर दाखिल हुआ तो
सामने सानवी को पाया जो मुस्कुराते हुए अपने ससुर का इस्तेक्बाल कर रही थी एक कप गरम चाइ के साथ.
चावला साहिब ने कहा, “अरे थॅंक्स बट नो, मुझे कुछ बहुत ठंडा पीने को मन कर रहा है, फ्रिड्ज में से कुछ खूब ठंडा मिलेगा?
सानवी, अपने नाक को टेढ़ा करते हुए एक मुस्कान में बोली, “क्या हो गया है आज सबको? सब चिल्ड ही माँग रहे हैं पीने को, आप की छोटी लाडली दीप्ति ने अभी अभी चिल्ड जूस माँगा. अब आप को भी चिल्ड पीना है जबके आप की फॅवुरेट तो गरम चाइ है; ओके ठीक है चिल्ड ही लाती हूँ आप बैठिए.”
चावला साहिब वहीं किचन में ही एक चेयर पर बैठ गये डाइनिंग टेबल के पास. अपना सर खुजाते हुए दीप्ति को आवाज़ दी साहिब ने, “किधर हो दीप्ति बेटा? छुपी हो क्या कहीं?”
फ्रिड्ज के पास से सानवी ने कहा, “वो कहाँ से दिखेगी आप को यहाँ इस वक़्त? टीवी के सामने बैठी है रिमोट हाथ में लिए और चॅनेल्स बदल बदल कर आनिमेशन्स देख रही है जूस पीते पीते”
और तब तक सानवी जूस लेकर पास आई और अपने ससुर को जूस देते और उसके चेहरे में देखते हुए पूछा, “कोई प्राब्लम है क्या पिता
जी? आप परेशान दिख रहे हो. कोई टेन्षन की बात हुई क्या ऑफीस में? आप ऑफीस ही गये थे ना?”
“नहीं नहीं मैं ऑफीस नहीं गया था, मैं अपने पुराने गाओं से वापस आ रहा हूँ अभी, 300 किमी ड्राइव किया ना इसी लिए शायद थक गया हूँ” ससुर ने जवाब दिया.
जानवी ससुर के पास बैठी और कहा, “तभी तो मैं सोचूँ जो आदमी पिछले 5 साल से अपने ऑफीस के काम सिर्फ़ ईमेल और वीडियो कॉन्फरेन्सिंग से करता है घर से ही तो आज ऑफीस क्यूँ गये हैं? तो गाओं का क्या हाल है पिता जी? सब खुशल मंगल है उधर? कुछ अपने
मिले वहाँ क्या?”
जिस वक़्त चावला साहिब ने सानवी के मुँह से (कुछ अपने) लव्ज़ सुने; तो उसको फिर उसी संजना की याद आई और दिल में एक टीस सा हुआ. तो वो सानवी के चेहरे में देखते हुए ढूँडने लगा कि क्या कोई ऐसी बात है उसमें जो संजना में छलक रही थी. और जब सानवी ने देखा के उसका ससुर उसके चेहरे में घूर रहे हैं तो पूछा, “क्या बात है पिता जी? आप सच में ठीक नहीं लग रहे आप को बुखार तो नहीं? देखूं?”
यह कहकर सानवी ने अपनी हथेली को अपने ससुर के गालों पर और गले पर लगाया उसकी टेंपरेचर चेक करने को. फिर कहा, नहीं फीवर
तो नहीं है मगर आप इतने परेशान क्यूँ हो? हुआ क्या? कोई मिला उधर क्या आप को? कुछ बात हुई होगी?”
चावला साहिब ने बात को टालते हुए कहा, “अरे नहीं रे, ऐसी कोई भी बात नहीं, मैं थक गया बहुत दिनों के बात इतना लंबा ड्राइव किया ना? हां उधर गाओं में एक पुराना दोस्त मिला, ग़रीब है बेचारा, फिर भी बेटी को पाल पॉस कर बड़ा कर दिया और लड़की शहर वाली लड़कियों
जैसी दिख रही है बिलकूल भी गाओं की छोरी नहीं दिखती मगर भोलापन वोही गाओं की है.”
सानवी ने फिर कहा, “आप भी ना पिता जी, इतने सारे ड्राइवर्स हैं कंपनी के, घर में भी ड्राइवर है तो आप ने क्यूँ ड्राइव किया इतने दूर तक? किसी भी एक ड्राइवर को कह देते वो ले जाता आप को…… और हां अच्छी बात है अगर आप के दोस्त ने अपनी बेटी की अच्छी देख भाल किया.”
तब तक दीप्ति उपर से नीचे स्टेर्स से उतरते हुए ज़ोरों से “दादा जी, दादा जी! चिल्लाते हुए अपने दादा की गोद में आ टपके” चावला साहिब ने उसको गले लगाते हुए गोद में लेकर “अरे मेरी गुड़िया, दादा की पूडिया, अभी से ही है यह तो बुढ़िया!” गुनगुनाने लगा. सानवी देखकर
हँसती जा रही थी.
और चावला साहिब दीप्ति को लेकर अपने कमरे में चले गये. सानवी सर हिलाते हुए बड़बड़ाई, “बच्चे के साथ पिता जी भी बिलकूल बच्चा बन
जाते है, बहुत प्यार है इन दोनों में”
अपने कमरे में चावला साहिब ने दीप्ति को बेड पर रखा क्यूंकी उसके मोबाइल में मेसेज की टोन बजी, और देखा तो संजना ने पूछा था, “आप अभी तक घर नहीं रीच हुए हो?”
चावला साहिब ने दीप्ति को तुरंत वापस अपनी माँ के पास वापस किया यह कहते हुए कि एक कान्फरेन्स चल रही है कंपनी वालों के साथ तो वो दीप्ति को उससे डिस्टर्ब मत करने दें. और जब चावला साहिब कान्फरेन्स करते थे तो अपने कमरे का दरवाज़ा हमेशा लॉक किया करते थे. तो वो वापस अपने कमरे में गये और बेड पर लेट कर वाट्सॅप पर संजना से चॅट करना शुरू किया.
चावला साहिब: “हां जी मैं घर आगया हूँ अब, अब हम बात कर सकते हैं. तो सूनाओ क्या हाल है?”
संजना: “हाल? अरे आप तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे कभी मिले ही नहीं, अभी कुछ देर पहले तो मिले थे हम. आप सेफ पहुँचे या नहीं यही पूछ रही थी”
चावला साहिब: “यू आर वेरी ब्यूटिफुल यू नो दट?”
संजना ने ब्लश वाली स्माइली के साथ कहा, “थॅंक यू बट मुझे नहीं लगता कि मैं सच मे ब्यूटिफुल हूँ, आप ऐसे ही कह रहे हो”
चावला साहिब: “अरे मेरी नज़रों से देखोगी तब ना पता चलेगा तुम्हें. अच्छा बताओ क्यूँ तुम्हारे पापा ने कहा कि तुम शादी नहीं करना चाहती?
क्या यह सच है?”
संजना: “नो यह झूठ है!”
चावला साहब: “तो फिर तुम्हारे पापा ने इनकार क्यूँ किया मेरी समझ में नहीं आई यह बात? वो बहाना बना रहा है, है ना?”
संजना रिप्लाइ नहीं कर रही थी… तो कुछ देर बाद चावला साहिब ने और मेसेज किया,
“हेलो यू देयर? जवाब क्यूँ नहीं दे रही हो?”
“हां यहीं हूँ. आप से यह सब बातें मिलकर करूँगी, मोबाइल पर बात समझाना मुश्किल लग रही है.
“क्यूँ? क्या तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड था सच में? अगर हाँ तो मुझे कोई फरक नहीं पड़ता ये आज कल आम बात है. और क्या अभी तक तुम
उस बाय्फ्रेंड के साथ हो? क्या तुम उस से प्यार करती हो और तुम्हारे पापा नहीं चाहते? बताओ तो बात क्या है?
संजना ने फिर कहा, “ये बातें मिलने पर करेंगे. अभी कुछ और बात करें क्या?
चावला साहिब ने कहा, “ तो अब क्या बात करनी है?”
संजना, “कुछ भी. आप अपने बारे में बताओ, मैं अपने बारे में बताउन्गी हिहिहीही”
चावला साहिब ने कहा, “बहुत बच्पना है तुम में संजना!”
संजना: “हां मुझे पता है. पापा भी यही कहते है. मैं हूँ ही ऐसी. मुझे बच्पना करना और बच्चों जैसे बिहेव करने में बहुत मज़ा आता है हिहिहिहीही”
चावला साहिब ने मुस्कुराते हुए लिखा, “ऐसे ही रहना हमेशा, तुमको बहुत ही सूट करती है तुम्हारी यह अदाए.”
संजना: “ह्म सूट करती है ना? तो ऐसे ही रहूंगी हमेशा मैं देख लेना जी”
“तुम्हारी आवाज़ सुनने को मन कर रहा है. बहुत प्यारा और मीठा बोलती हो, बिल्कुल सुरीली आवाज़ है, चलो बात करते हैं, सिर्फ़ कॉल करें
या वीडियो कॉल करें एक दूसरे को देख कर भी बात कर सकते हैं, क्या कहती हो?”
संजना ने टाइप किया, “स्शह नो, पापा ईज़ हियर वो हमें सुन लेगे और पूछेगे किससे बातें कर रही हूँ….. जब वो घर पर नहीं होंगे तब वीडियो कॉल करेंगे ओके?”
यह पढ़कर चावला साहिब को ऐसा फील हुआ कि वो एक नवजवान है और एक लड़की से चॅट कर रहा है जैसे एक बाय्फ्रेंड और गर्लफ्रेंड
अक्सर किया करते हैं…. चावला साहिब के जिस्म में एक अजीब सी रवानी दौड़ी और उसको कुछ अलग फील हुआ.
तो चावला साहिब ने पूछा, “इस वक़्त कहाँ हो घर के अंदर या बाहर?”
संजना: “अपने कमरे में हूँ”
चावला साहिब: “और उसी ड्रेस में हो जिस में थी जब मैं आया था?”
संजना: “हिहिहीही, ह्म अब थोड़ी देर में चेंज करूँगी”
चावला साहिब: “क्या तुम सिर्फ़ ड्रेस ही पहनती हो घर में? मेरा मतलब गाओं की लड़कियाँ तो ट्रडीशनल गाओं वाले ड्रेस पेहेन्ती हैं मगर तुम
तो एक शहर वाली लड़की की तरह ड्रेस हो, सिर्फ़ एक ड्रेस…….”
संजना: “मैं भी गाओं की ट्रडीशनल ड्रेस भी पेहेन्ति हूँ, कयि चोली और स्कर्ट भी हैं, पर जबसे कॉलेज जाना शुरू किया ना, तब से आदत हो गयी ड्रेस या टू-पीस पहनने की, पापा से ज़िद करके खरीदवाती हूँ, वो भी खुद खरीद के लाते है जब शहर जाते है तो. मगर आज जब मैं ने
आप को देखा तब जा कर ड्रेस पहनी थी जिस वक़्त आप अपनी कार से निकले, पापा से बात कर रहे थे तब ड्रेस चेंज किया वरना वोही चोली में थी मैं.”
यह सब पढ़कर चावला साहिब के जिस्म में एक गर्मी की रवानी दौड़ी…. उसको लगा कि फ्लर्ट कर रहे हैं दोनों…. अपने आप को संभालते और टॉपिक को बदलते हुए चावला साहिब ने लिखा, “तो बताओ मेरी बहू बनोंगी तुम?”
टू बी कंटिन्यूड..............
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