non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 12:25 PM,
#72
RE: non veg kahani एक नया संसार
ऐसे ही एक दिन उसकी हरकतों की वजह से हंगामा हो गया। अपने बाप की तरह ही उसकी नीयय अपनी चाची करुणा पर बिगड़ी हुई थी। करुणा की बेटी दिव्या भी जवान हो रही थी, हलाॅकि अभी वह स्कूल में पढ़ती थी किन्तु आज की जनरेशन ज़रा एडवाॅस होती है, ये अपनी ऊम्र से पहले ही जवान हो जाते हैं। खेला खाया शिवा चाची की बेटी दिव्या को भी हवस भरी नज़रों से देखता था। चाची के गदराए व खूबसूरत जिस्म का वह शुरू से ही दिवाना था। किन्तु कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि वह अपने चाचा अभय के गुस्सैल स्वभाव के चलते डरता था, दूसरी बात उसकी चाची करुणा भी ऐसी वैसी औरत नहीं थी जिससे वह अपने इरादों में कामयाब हो पाता। उससे जितनी हो सकती थी उतनी कोशिश वह फिर भी किया करता था। मतलब चाची के पास उठना बैठना तथा उनके द्वारा दिये गए हर काम को खुशी खुशी करना। उनसे हॅसना बोलना, बातों के बीच यदा कदा मज़ाक भी कर लेना। करुणा ज्यादातर दिन में अकेली ही होती थी, उसके साथ उसका बारह साल का दिमाग़ से डिस्टर्ब बेटा शगुन रहता था। उसका पति और बेटी दिव्या सुबह स्कूल चले जाते थे, फिर शाम चार बजे के आस पास ही आते थे। सुबह दस बजे से चार बजे तक करुणा अकेली ही घर में रहती थी। हलाॅकि दिन भर वह कोई न कोई काम करती ही रहती थी ताकि उसका समय पास हो जाए।

एक दिन की बात है, उस दिन गुरूवार था। अभय व दिव्या रोज़ की तरह स्कूल गए हुए थे। शिवा की आदत थी कि वह करुणा के घर तभी जाता था जब उसका चाचा और चाचा चाची की बेटी स्कूल चले जाते थे। उसे अपनी चाची करुणा की दिनचर्या का बखूबी पता था। वह जानता था कि चाचा और दिव्या के स्कूल जाने के बाद ही करुणा नहाने जाती थी बाॅथरूम में। बाहर मेन गेट बंद रहता था किन्तु अंदर से कुंडी नहीं लगी होती थी। करुणा कुंडी नहीं लगाती क्योंकि उसे पता होता था कि शिवा आएगा। ख़ैर, रोज़ की तरह ही शिवा उस दिन भी अपने निर्धारित समय पर पहुॅचा। दरवाजे को हल्के से खोल कर वह अंदर दाखिल हो गया। अपनी चाची के नहाने के समय पर वह इसी लिए आता था कि वह किसी तरह अपनी चाची को बाथरूम में नहाते हुए देख सके। हलाॅकि ऐसा कभी हुआ नहीं था बल्कि वह हमेशा अपने मनसूबों में नाकामयाब रहा था। यानी उसकी चाची कमरे से अटैच बाथरूम में जाने से पहले अपने उस कमरे का दरवाजा बंद करके अंदर से कुंडी लगा देती थी। शिवा को अपनी चाची को नहाते देखने के लिए पहले चाची के कमरे में जाना पड़ता फिर बाथरूम में। जबकि दरवाजा ही बंद रहता था इस लिए वह कुछ कर ही नहीं सकता था। वह अपनी चाची से कह भी नहीं सकता था कि आप अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मत किया कीजिए।

मगर कहते हैं न कि होनी अटल होती है। यानी जिस वक्त जो होना होता है वो होकर ही रहता है। कहने का मतलब ये कि करुणा बाथरूम में नहाने जाने से पहले आज अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करना भूल गई, या यूॅ कहिए कि नियति के चलते उससे ये भूल हो गई।

शिवा जब भी आता था तो सबसे पहले ये ज़रूर चेक करता था कि उसकी चाची ने दरवाजा अंदर से बंद किया है या नहीं। हलाकि वह जानता था कि चाची दरवाजा खुला रखने की ग़लती कभी नहीं करती हैं, फिर भी वह अपनी तसल्ली के लिए एक बार ज़रूर चेक करता था। आज भी उसने ऐसा ही किया, और दरजाजा जब उसकी उम्मीद के विपरीत उसके द्वारा दिए गए हल्के से दबाव में बेआवाज़ तथा बिना किसी विरोध के खुलता चला गया तो वह पहले तो हैरान हुआ मगर जल्द ही उसका मन मयूर खूशी से नाचने भी लगा। वह दबे पाॅव कमरे में दाखिल हुआ। उसकी धड़कने एकाएक बढ़ गई थीं जिसके धक धक करने की हर थाप उसे अपनी कनपटियों में बजती महसूस हो रही थी।

कमरे में पहुॅचते ही उसने देखा कि बेड पर उसकी चाची के वो कपड़े रखे हैं जिन्हें उसकी चाची नहाने के बाद पहनने वाली थी। शिवा ने आगे बढ़ कर उन कपड़ों को ग़ौर से देखा। साड़ी ब्लाउज पेटीकोट व ब्रा पैन्टी सब बड़े सलीके से रखे हुए थे। शिवा की नज़र ब्रा और पैन्टी पर पड़ी। उसने बिना कुछ सोचे समझे तथा बिना एक पल गवाॅए अपना हाॅथ बढ़ा कर बेड से चाची की लाल रंग की ब्रा को उठा लिया। ब्रा अच्छी क्वालिटी की थी, उसके कप देख कर शिवा की आॅखों में अजीब सी चमक आ गई। उसने ब्रा को अच्छी तरह से उलटा पलटा कर देखा। 36D पर नज़र पड़ते ही वह अजीब तरह से मुस्कुराया और फिर उस ब्रा को अपनी नाॅक के पास लाकर उसे सूॅघने लगा। ब्रा की सुगंध ने अपना असर दिखाया और शिवा की आॅखें एक अजीब सी खुमारी से बंद होती चली गई। उसका रोम रोम रोमाॅच से भरता चला । कुछ देर इसी तरह वह ब्रा को सूॅघता रहा फिर उसने अपनी आॅखें खोली और ब्रा से नज़र हटा कर उसने बेट पर पड़ी चाची की पैन्टी की तरफ देखा। तुरंत ही उसने पैन्टी को उठा लिया और उसे भी उलट पलट कर देखने लगा 38 साइज पर नज़र पड़ी तो एक बार फिर वह अजीब तरह से मुस्कुराया और फिर सीघ्र ही पैन्टी के उस भाग को अपनी नाॅक के पास लाकर सूॅघने लगा जिस भाग में उसकी चाची का योनि भाग होता है। पैन्टी के योनि भाग को सूॅघते ही उसकी आॅखें पुनः बंद होती चली गई। वह अपनी नाॅक से ज़ोर ज़ोर से साॅसे खींचने लगा। तभी वह किसी आहट से बुरी तरह चौंका, उसने तुरंत अपनी आॅखें खोल कर इधर उधर देखा किन्तु कहीं कोई नहीं था, बस कानों में कमरे से अटैच बाथरूम में पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
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