non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:02 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
मेरी इस बात से नीलम व सोनम एकदम से चुप हो गई। मैने आदित्य की तरफ देखा तो उसे मुस्कुराते हुए पाया। तभी नीलम व सोनम की नज़रें एकदम से आदित्य की तरफ दौड़ गईं। जैसे उसे देख कर ही ऑखों से पूछ रही हों कि आपको ऐतराज़ है क्या यहाॅ बैठने से? आदित्य उनकी ऑखों में उभरे सवाल का आशय समझ कर बोला__"ठीक है मैं सोनम जी के पास ही बैठ जाता हूॅ।"

"लो राज।" आदित्य के मुख से ये सुनते ही नीलम ने मेरी तरफ देख कर कहा___"अब तो किसी को कोई ऐतराज़ नहीं है। सो अब मैं तुम्हारे साथ ही अगली वाली शीट पर बैठूॅगी। चलो अब हम जल्दी से अपनी शीट पर चलते हैं।"

मरता क्या न करता की तर्ज़ पर मैं हैरान परेशान होकर नीलम के साथ वापस अपनी शीट पर आ गया। जबकि आदित्य सोनम के पास ही नीलम वाली शीट पर बैठ गया। इधर मेरी शीट पर आते ही नीलम मेरे बगल से ही धम्म से बैठ गई। बैठते ही उसने अपना एक हाथ मेरी काख से डाल कर मेरा एक हाॅथ मानो अपने कब्जे में ले लिया था।

"अरे अब ये क्या है?" नीलम के ऐसा करते ही मैने हैरानी से कहा___"सोना नहीं है क्या? चलो जाओ ऊपर वाली शीट पर लेट कर सो जाओ।"
"मुझे नींद नहीं आ रही है राज।" नीलम ने एकदम से बच्चियों वाले अंदाज़ से कहा___"तुम भी मत सोना। हम सारी रात ढेर सारी बातें करेंगे। मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं।"

"वो सब तो ठीक है।" मैने एकाएक अजीब भाव से कहा___"मगर क्या तुम्हें ऐसा महसूस नहीं हो रहा कि आज सूरज पश्चिम दिशा से निकल रहा है? ये तो कमाल हो गया न कि जो नीलम मुझसे कभी बात करना तो दूर कभी मुझे देखना तक गवाॅरा नहीं करती थी आज वही नीलम मुझसे सारी रात ढेर सारी बातें करेंगी?

यकीन नहीं हो रहा मुझे। ये चमत्कार है या फिर खुली ऑखों का मेरा कोई ख़्वाब?"

मेरी इन बातों से नीलम को झटका सा लगा। अभी तक जो चेहरा एकदम से ताज़े गुलाब की मानिंद खिला हुआ दिख रहा था वो मेरी इन बातों से पलक झपकते ही मुरझा गया था। उसके चेहरे पर पल भर में गहन पीड़ा व दुख के भाव उभर आए और ऑखों में ऑसू रूपी समंदर मानों हिलोरें लेने लगा था। कुछ कहने के लिए उसके होंठ बस थरथरा कर रह गए थे।

"मुझे मेरे उन सभी बुरे कर्मों की सज़ा दो राज।" नीलम ने रुऑसे स्वर में कहा___"यकीन मानो, तुम्हारी हर सज़ा को मैं खुशी खुशी क़बूल कर लूॅगी। मगर अब तुम्हारी किसी भी तरह की बेरुखी सहन नहीं कर पाऊॅगी मैं। मुझे पता है कि मैने तुम्हारे साथ अब तक क्या किया था। किन्तु अगर ग़ौर से सोचोगे तो इस सबमें तुम्हें ज़रूर समझ आएगा कि उस सबमें मेरी कोई ग़लती नहीं थी। मैने तो वही किया था अब तक जो बचपन से हमें सिखाया गया था। सही ग़लत का पाठ तो हमें हमारे माॅ बाप ने ही बचपन से पढ़ाया था। जबकि वास्तव में सही ग़लत क्या है वो अब समझ आया है मुझे। मैं सच कहती हूॅ मेरे भाई कि मैं अपने उन सभी कर्मों के बारे में सोच सोच कर बेहद दुखी हूॅ। मुझे अपने आप से घृणा होती है।"

"इंसान जिन्हें दिल से चाहता है।" मैने कहा___"वही अगर ऐसा करें तो तक़लीफ़ तो यकीनन होती है नीलम। मैने कभी भी तुम सबके बारे में ग़लत नहीं सोचा था। बल्कि हमेशा यही चाहता था तुम सब मुझसे उसी तरह बातें करो हॅसो बोलो जैसे बाॅकी सब करते थे। मगर मुझे आज तक समझ न आया कि हमने ऐसा कौन सा गुनाह किया था हमें आप सबकी सिर्फ नफ़रत मिली। ख़ैर, ये सब तो कल की बातें है मगर मैं ये जानना चाहता हूॅ कि आज ऐसा क्या हो गया है कि तुम्हें वही राज अपना भाई लगने लगा और इतना ही नहीं बल्कि दुनियाॅ का सबसे अच्छा इंसान भी लगने लगा। क्या सिर्फ इस लिए कि मैने इत्तेफाक़ से दो बार तुम्हारी इज्ज़त की रक्षा की या फिर इसकी कोई दूसरी वजह है?"

"इंसान का चरित्र जैसा भी हो राज।" नीलम ने गंभीर भाव से कहा___"वो दूसरों के सामने उजागर हो ही जाता है। ये अलग बात है कि इसमें थोड़ा बहुत समय लग जाता है। तुम लोगों के जिस चरित्र का पाठ हम भाई बहनों को बचपन से पढ़ाया गया था उसे हमने ये सोच कर यकीन के साथ मान लिया क्योंकि हम यही समझते थे कि कोई भी माॅ बाप अपने बच्चों को ग़लत नसीहत नहीं देते हैं। मगर जो ग़लत होता है उसका भी पर्दाफाश हो ही जाता है एक दिन। तुमने मेरी दो बार इज्ज़त बचाई इसे संयोग समझो या समय का बदलाव, जिसके फलस्वरूप मुझे ये समझ आया कि अपने जिस माॅ बाप से मैने तुम लोगों के चरित्र का पाठ पढ़ा था वो दरअसल झूॅठा भी तो हो सकता था। क्योंकि एक बुरे इंसान से अच्छे कर्म की उम्मीद नहीं की जा सकती। जबकि तुमने जो किया वो निहायत ही अच्छे कर्म की पराकाष्ठा थी। तुम्हारे उस कर्म ने मुझे ये सोचने पर बिवश कर दिया कि तुम वैसे नहीं हो जैसा मेरे माॅ बाप ने अब तक समझाया था। बस, इंसान जब किसी के बारे में गहराई से सोचता है तो उसे कुछ न कुछ तो एहसास होता ही है कि हक़ीक़त क्या है? अब तक तो मैने तुम्हारे बारे में उस तरीके से सोचा ही नहीं था राज मगर उस हादसे के बाद जब मैने तुम्हारे बारे में आदि से अंत तक सोचा तो मुझे एहसास हुआ कि तुम बुरे नहीं हो सकते। इंसान को अपनी सफाई में कुछ भी कहने का अधिकार है जबकि हमने तो तुम लोगों की किसी बात को सुनना ही कभी गवाॅरा नहीं किया था। ऐसे में भला हमें कैसे समझ आता कि सच क्या है? हमसे यकीनन ग़लती हुई है राज और मैं इस ग़लती को ज़रूर सुधारूॅगी। घर पहुॅचते ही माॅम डैड से बताऊॅगी कि कैसे तुमने दो दो बार उनकी बेटी की इज्ज़त की रक्षा की है।"

"तुम्हारे बताने से कुछ नहीं होने वाला नीलम।" मैने फीकी सी मुस्कान के साथ कहा___"तुम्हें तो अभी सारी असलियत का पता ही नहीं है। मगर मेरा दावा है कि जब तुम्हें सारी सच्चाई का पता चलेगा तो तुम्हारा दिल हाहाकार कर उठेगा।"

"क्या मतलब??" नीलम ने चौंकते हुए कहा___"तुम्हारी इन बातों का क्या मतलब है राज? तुम किस असलियत की बात कर रहे हो?"
"मैं तुम्हें इस बारे में खुद कुछ नहीं बताऊॅगा।" मैने गंभीर भाव से कहा___"क्योंकि मेरे बताने पर तुम्हें यही लगेगा कि मैं तुम्हारे माॅम डैड के विषय में बेवजह ही अनाश शनाप बक रहा हूॅ। इस लिए इस सबके बारे में तुम्हें खुद ही पता करना होगा नीलम। जब तक तुम्हें खुद सारी बातों का पता नहीं चलेगा या तुम खुद अपनी ऑखों से नही देख लोगी तब तक तुम दूसरे की बताई हुई बात का यकीन नहीं कर सकोगी।"

"आख़िर ऐसी कौन सी बातें हैं राज?" नीलम के चेहरे पर गहन चिंता के तथा सोचने वाले भाव उभरे___"जिनके बारे में तुम बात कर रहे हो? तुम मुझे बताओ राज, मुझे तुम्हारी हर बात पर यकीन होगा।"
"नहीं होगा नीलम।" मैने पुरज़ोर लहजे में कहा__"कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन पर यकीन करना बेहद मुश्किल होता है। यहाॅ तक कि अगर इंसान खुद अपनी ऑखों से भी देख ले तो यकीन नहीं कर पाता। इस लिए मेरे कुछ भी बताने का कोई मतलब नहीं है। तुम खुद सारी बातों का पता लगाओ और फिर उन पर विचार करो।"

"क्या रितू दीदी भी उन सारी बातों को जानती हैं?" नीलम ने कहा___"जिनके बारे में तुम बात कर रहे हो?"
"हाॅ।" मैने कहा___"रितू दीदी को आरी असलियत का पता है।"
"तो क्या यही वजह है कि।" नीलम ने कहा___"आजकल वो माॅम डैड के ख़िलाफ हैं?"
"हाॅ यही वजह है।" मैने कहा___"अब तुम सोच सकती हो कि भला ऐसी वो क्या बातें होंगी जिसके चलते तुम्हारी अपनी दीदी अपने ही माॅम डैड के खिलाफ हो गई हैं?"

मेरी बात सुन कर नीलम कुछ बोल न सकी, बस एकटक मेरी तरफ देखती रही। मैं समझ सकता था कि वो इन सब बातों के चलते अपने दिलो दिमाग़ को विचारों भॅवर में डुबा रही है। कुछ और हमारे बीच ऐसी ही बातें होती रहीं। उसके बाद मैने उसे सो जाने का कह दिया। हलाॅकि मैं जानता था कि अब उसे सारी रात नींद नहीं आने वाली थी। वो रात भर इन्हीं बातों को सोचती रहेगी कि आख़िर ऐसी कौन सी सच्चाई है जिसकी मैं बात कर रहा हूॅ और जिस सच्चाई को जान कर उसकी अपनी दीदी अपने ही माॅम डैड के खिलाफ़ हो गई है?

नीलम को ऊपर के बर्थ पर लिटाने के बाद मैं भी अपने नीचे वाले बर्थ पर लेट गया और नीलम के साथ हुई बातों के बारे में सोचने लगा। आख़िर क्या करेगी नीलम जब उसे अपने माॅ बाप और भाई की असलियत का पता चलेगा? वो कैसा रिऐक्ट करेगी जब उसे पता चलेगा कि उसके माॅ बाप ने किस तरह इस हॅसते खेलते परिवार को बरबाद किया था? सब कुछ जानने के बाद क्या नीलम भी अपनी बड़ी बहन की तरह अपने माॅ बाप के खिलाफ़ हो जाएगी? मैं इन्ही सब बातों के बारे में सोच रहा था। तभी सहसा मुझे अजय सिंह का ख़याल आया। मैने परसों आने से पहले ही जगदीश अंकल को फोन करके अजय सिंह के साथ एक धाॅसू खेल खेलने का कह दिया था। ये उसी का परिणाम था कि इस वक्त अजय सिंह सीबीआई की गिरफ्त में था। मगर अब जबकि मैं कल दोपहर तक हल्दीपुर रितू दीदी के फार्महाउस पहुॅच जाऊॅगा तो अजय सिंह को भी सीबीआई की गिरफ्त से आज़ाद कर देने का समय आ जाएगा।

अजय सिंह जब सीबीआई की गिरफ्त से निकल कर अपनी हवेली पहुॅचेगा तब वो प्रतिमा को जो कुछ बताएगा उसे सुन कर सबके पैरों के नीचे से ज़मीन गायब हो जाएगी। अजय सिंह का दिमाग़ उस सबके बारे में सोचते सोचते फटने को आ जाएगा मगर उसे कुछ समझ नहीं आएगा। वो इस तरह किंकर्तब्यविमूढ़ सी स्थित में बैठा रह जाएगा जैसे कोई मौत के मुह से अचानक बचने के बाद शून्य में खोया हुआ सा रह जाता है।
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