non veg kahani एक नया संसार
11-24-2019, 01:14 PM,
RE: non veg kahani एक नया संसार
अभी मैं अपने होशो हवाश में आते हुए ज़मीन से उठ ही रहा था कि तभी मेरे पेट में फिर से बड़े ज़ोर का प्रहार हुआ। जिसके प्रभाव से मैं किसी फुटबाल की तरह हवा में उड़ता हुआ सीधा सीढ़ियों के नीचे आ कर गिरा। इन कुछ ही पलों ये सब इतना तेज़ी से हुआ था कि मुझे कुछ समझने का मौका ही नहीं मिल पाया था। सीढ़ियों के ऊपरी भाग से सीधा नीचे कच्ची ज़मीन पर गिरने से एक बार फिर से मैं बुरी तरह दर्द से बिलबिला उठा था। किन्तु अब तक मैं समझ गया था कि ये एक जाल था जिसमें मैं फॅसाया गया था।

कच्ची ज़मीन से मैं उछल कर खड़ा हो गया और सीढ़ियों के ऊपर की तरफ देखा ही था कि पीछे से किसी ने मेरी पीठ पर ज़बरदस्त वार किया। मैं इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं था और ना ही मुझे इसकी उम्मीद थी। अतः इस बार मुह के बल उसी कच्ची ज़मीन पर गिरा। मुझे एकाएक ही भारी खतरे का आभास हुआ और मैने अपनी संपूर्ण ताकत लगाते हुए फिर से उछल कर खड़ा हुआ। अभी मैं खड़ा ही हुआ था कि पलक झपकते ही मुझे नीचे भी झुक जाना पड़ा वरना पीछे की तरफ से जिसने वार किया था उसकी फ्लाइंग किक सीधा मेरी गर्दन पर पड़ती और यकीनन मेरी गर्दन की हड्डी टूट जाती।

मैने झुकने के साथ ही अपनी एक टाॅग को बिजली की सी तेज़ी से चलाया था, नतीजा ये हुआ कि फ्लाइंग किक मारने वाले का जो अकेला पैर ज़मीन पर टिका था वो ज़मीन से उखड़ गया और वो भरभरा कर ज़मीन पर गिरा। मैं ये देख कर आश्चर्य चकित रह गया कि ये तो वही आदमी था जिसे अभी थोड़ी ही देर पहले मैंने सुई के द्वारा बेहोश किया था। मुझे समझ न आया कि ये बेहोशी से होशो हवाश में कैसे आ गया। मैने पलट कर दूसरे आदमी की तरफ देखा तो वो भी एक तरफ पोजीशन लिए खड़ा मुस्कुरा रहा था। ये देख कर मेरे आश्चर्य की कोई सीमा न रही। साला ये दोनो चीज़ क्या थे कि इन पर उस बेहोश करने वाली सुई का भी असर नहीं हुआ?

सच तो ये था कि मैं कुछ भी नहीं समझ पा रहा था। एक तो इन दोनो पर सुई का असर न हुआ दूसरे मंदिर के अंदर से मुझे इस तरह बाहर लगभग फैंक दिया गया। सबसकुछ इतनी तेज़ी से हुआ कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आया था। किन्तु अब मैं समझ चुका था कि ये सब क्या था। मतलब साफ था कि बड़ी माॅ के द्वारा भेजा गया बैकअप यहाॅ पहुॅच चुका था और उसके कुछ आदमी मंदिर के अंदर छुपे मेरे आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। मैं जैसे ही मंदिर के अंदर गया और देवी माॅ को प्रणाम करने लगा वैसे ही उन लोगों ने मुझ पर वार कर दिया था। इधर जिन्हें मैं बेहोश समझ रहा था वो होश में होते हुए मेरे इस तरह नीचे आ जाने का इंतज़ार कर रहे थे। उसके बाद जैसे ही मैं नीचे गिरा वैसे ही इन दोनो ने भी मुझ पर हमला कर दिया। कहने का मतलब ये कि कहीं से भी मुझे सम्हलने का या सोचने का मौका ही नहीं मिल पाया था।

अभी मैं ये सब सोच ही रहा था कि सहसा मुझे रितू दीदी व आदित्य का ख़याल आया। मुझे उन दोनो की बेहद चिंता होने लगी। कहीं वो दोनो भी न फॅस गए हों। मैने मन ही मन देवी माॅ से कहा____"ये सब क्या है माॅ? इन लोगों ने मुझे आपको ठीक से प्रणाम भी नहीं करने दिया और आपने भी इन्हें रोंका नहीं? ऐसी तो उम्मींद नहीं मुझे? ख़ैर कोई बात नहीं, मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए कि मैं इन सबका मुकाबला कर सकूॅ और अपने सभी चाहने वालों को यहाॅ से सुरक्षित ले जा सकूॅ।"

"कैसी लगी बच्चे?" तभी मेरे कानों में ऊपर सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए एक हट्टे कट्टे आदमी की आवाज़ पड़ी, वो मुस्कुराते हुए कह रहा था___"ज्यादा चोंट तो नहीं आई न तुम्हें? वैसे मैं हैरान हूॅ कि तुम जैसे मामूली से लड़के के लिए हमारे बाॅस इतना ज्यादा परेशान थे। सचमुच यकीन नहीं होता कि तुम जैसा पिद्दी सा लड़का हमारे बाॅस की नींदें हराम किये हुए था। जबकि तुम्हें तो जब चाहे चीटियों की तरह मसला जा सकता था। बट डोन्ट वरी, जो पहले नहीं हुआ वो अब हो जाएगा।"

"कहते हैं ऊॅट जब तक पहाड़ के नीचे नहीं आता।" मैने मुस्कुराते हुए कहा___"तब तक उसे यही लगता है कि वो इस संसार में सबसे ऊॅचा है और उसकी बराबरी कोई कर ही नहीं सकता। वही हाल तुम्हारा है भाड़े के कुत्ते। अपने बाॅस लोगों के सामने कुत्तों की तरह दुम हिलाने वाले कुत्तो इस भरम में न रहो कि तुम लोगों ने मुझे इस तरह फॅसा कर कोई तीर मार लिया है। बल्कि खेल तो अब शुरू होगा।"

"काफी कड़वी ज़बान है तेरी लड़के।" सीढ़ियों से नीचे उतर आए उस आदमी ने सहसा दाॅत पीसते हुए गुस्से से कहा____"अगर बाॅस ने मना न किया होता तो यहीं पर तुझे चीटी की तरह मसल कर तेरी जीवन लीला समाप्त कर देता।"

"अगर एक ही मर्द की औलाद है।" मैने भी तैश में आकर कहा___"तो अकेले मुझसे मुकाबला कर, फिर देखना कि चींटी की तरह कौन मसला जाता है?"
"ओहो ऐसा क्या?" वो आदमी ब्यंगात्मक भाव से ऑखों को फैलाते हुए बोला___"चल ठीक है, तेरी ये इच्छा तो पूरी करनी ही चाहिए।" ये कहने के साथ ही उसने अपने बाॅकी साथियों की तरफ देखते हुए कहा___"तुम में से कोई भी इस लड़के को हाॅथ नहीं लगाएगा। ये मुझे दिखाना चाहता है कि चींटी की तरह हम दोनो में से कौन मसला जाता है। अतः अब मुकाबला सिर्फ हम दोनों के बीच ही होगा।"

उसके सभी साथियों सहमति में सिर हिला दिया। सबके होठों पर जानदार मुस्कान थी। जैसे उन्हें मेरी मूर्खता पर हॅसी आ रही हो। हलाॅकि मुझे भी पता था ये समय इस तरह के मुकाबले का बिलकुल भी नहीं है, मगर तैश में आकर मेरी ज़बान से निकल ही गया था। अतः अब बात ज़बान की थी तथा अपने स्वाभिमान की। समय ऐसा था कि अपनी जगह रुकने वाला नहीं था। हर पल के बीतने के साथ इस बात की भी संभावना बढ़ती जा रही थी कि जो यहाॅ नहीं पहुॅचे हैं वो किसी भी वक्त पहुॅच सकते हैं और फिर हालात और भी विकट हो जाएॅगे।

इधर बाॅकी सब आदमियों की सहमति मिलते ही मैने पोजीशन ले ली। जबकि छिसके साथ मेरा मुकाबला होने जा रहा था उसने झटके से अपने जिस्म के ऊपरी हिस्से के कपड़े निकाल कर अपने एक आदमी की तरफ उछाल दिया। सहसा मेरी नज़र ऊपर मंदिर के दरवाजे के बाहर खड़ी नीलम व सोनम पर पड़ी। वो दोनो ही दोनो तरफ से एक एक आदमी से घिरी हुई खड़ी थीं। उनके चेहरों पर इस वक्त डरे सहमे से भाव कायम थे। मैं उन दोनो की तरफ देख कर अजीब तरह से मुस्कुराया और फिर अपने प्रितद्वंदी की तरफ देखने लगा।

मैने देखा कि उसके जिस्म से कपड़ा हटते ही उसका हट्टा कट्टा जिस्म नुमायाॅ हो उठा। कोई आम इंसान उसकी इतनी खतरनाक बाॅडी देख कर ही डर जाए। उससे लड़ने का ख़याल तो वो आने वाले सात जन्मों में भी न करे। ख़ैर उसने अपने दोनो हाॅथो को अगल बगल उसे ऊपर उठा कर मुझे अपने डोले दिखाए। जैसे कह रहा हो कि देख बच्चे जितने मेरे ये डोले हैं उतने में तो तेरे जिस्म का कोई हिस्सा भी फिट नहीं बैठता। ये देख कर मैं मुस्कुराया और फिर अपने दोनो हाॅथों के इशारे से उसे अपनी तरफ मुकाबले के लिए बुलाया।

मेरे ऐसा करने पर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदले और वो पलक झपकते ही गुस्से में डूबा दिखाई देने लगा। कदाचित अपने डोले दिखा कर वो मुझे डराना चाहता था मगर जब मैं उसे डरा हुआ नज़र नहीं आया तो उसे गुस्सा आ गया था।

"अपने भगवान को याद कर ले बच्चे।" फिर उसने मेरी तरफ खतरनाक भाव से बढ़ते हुए कहा___"उनसे दुवा कर कि तेरे जिस्म की हड्डियाॅ सलामत रहें।"
"ये डाॅयालग मैं भी बोल सकता हूॅ तुम्हारे लिए।" मैने मुस्कुरा कर कहा___"पर ये सोच कर नहीं बोला कि फालतू की डींगें मारना मेरी फितरत नहीं है।"

मेरी ये बात सुन कर वो जैसे बुरी तरह तिलमिला गया था। मुझे पता था कि उसके सामने मैं कुछ भी नहीं हूॅ। अगर मैं एक बार भी उसके फौलादी शिकंजे में फॅस गया तो फिर शायद भगवान ही मालिक होगा मेरा। मगर मुझे खुद पर और अपने गुरू की सिखाई हुई कला पर पूर्ण विश्वास था।

वो पूरे वेग से मेरी तरफ बढ़ा और अपने दाहिने हाॅथ को भी उसी वेग से मुझ पर चलाया था। मैं फुर्ती से नीचे झुका मगर झुकते ही मेरे हलक से चीख निकल गई। कारण उसने हाॅथ चलाने के बाद ही अपने दाहिने पैर को उठाकर उसका घुटना भी चला दिया था जो सीधा मेरे झुके हुए चेहरे से टकराया था। मैं उछलते हुए सीधा हुआ ही था कि उसने बिजली की सी फुर्ती से घूम कर मेरे सीने पर फ्लाइंग किक जमा दी। नतीजा ये हुआ कि मेरे हलक से ज़ोर की हिचकी निकली और मैं पीछे की तरफ हवा में लहराते हुए ही नीचे कच्ची ज़मीन पर चारो खाने चित्त जा गिरा। गिरते ही मेरी ऑखों के सामने अनगिनत तारे नाॅच गए। कुछ पल के लिए तो ऑखों के सामने अॅधेरा भी छा गया। प्रहार इतना ज़बरदस्त था कि मुझसे तुरंत उठा न गया। सीने में बड़ी असहनीय पीड़ा महसूस हुई मुझे। मेरे कानो में नीलम व सोनम की चीखें भी टकराई। कदाचित मुझे इस तरह गिरते देख वो बेहर डर गई थी और मुझे कुछ हो जाने की आशंका से वो बुरी तरह चीखी थीं।

सहसा मेरी नज़र मेरे नज़दीक ही पहुॅच चुके उस आदमी पर पड़ी। मेरे क़रीब पहुॅचते ही उसने अपने पैर को उठाया और ज़मीन पर चित्त गिरे मेरे पेट की तरफ तीब्र वेग से चलाया। मैं बिजली की सी फुर्ती से कई पलटा खाते हुए दूसरी तरफ हो गया तथा साथ ही उछल कर खड़ा भी हो गया। ये अलग बात है इस तरह उछल कर खड़े होने से अचानक ही मुझे अपने सीने पर पीड़ा का एहसास हुआ। मैं समझ चुका था कि अगर ये आदमी इसी तरह मुझ पर और दो चार प्रहार करने में सफल हो गया तो यकीनन मेरा काम तमाम हो जाना है। अतः अब मैं उससे पूरी तरह सतर्कता से मुकाबला करने के लिए तैयार हो गया।
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