RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 53
.शाम होने जा रही है. हम चार लोग मुंबई में बांद्रा टर्मिनस पे एक प्लेटफार्म बेंच में बैठे हुए है. नानाजी बेंच के एक दम एन्ड में बैठे है, उनके बाद नानीजि, नानीजी की बगल में माँ और में दूसरी एन्ड पे बैठा हु. नानी माँ को अपने पास ही पकड़के बैठि है. हम कुछ टाइम कोई कुछ भी नहीं बोल रहे है. मुंबई सिटी की ब्यस्तता के अंदर हम चारो लोग एक अलग परिस्थिति लेकर बैठे हुए है. सब लोग बहुत ब्यस्त है चारो तरफ. सब अपना अपना सुख, दुख, खुशी, ग़म, आनंद, हसि, रोना लेकर चले जा रहे है अपनी अपनी शान्ति की जगह पर. सब के मन में कुछ न कुछ पैशन, इमोशन का खेल चल रहा है. लेकिन फिर भी कोई किसी दूसरे की उस भावना को छु नहीं पा रहा है. सब अलग अलग आइलैंड जैसे जीते है यहाँ. जीवन संग्राम में यह लोग खुद ही अपना पैशन , इमोशन को ठीक से ब्यक्त करने का तरीका ही शायद भूल गये है. हमारे सामने से कितने सारे लोग चले जा रहे है. पर किसी को भी यह पता नहीं है, शायद पता करने की जरुरत भी नहीं पड़ रहा है की हम अब किस इमोशनल बेन्डिंग के थ्रू गुजर रहे है. हमारे मन में अब क्या चल रहा है. एक माँ उनका एक लौती बेटी को अपने ही पोते के हाथ में उनको सोंप दिया है. अपने ही पोते को आज दामाद बनाकर अपनी बेटी और पोते की खुश हॉल ज़िन्दगी की उम्मीद करके ऊपरवाले से प्रार्थना कर रही है मन ही मन. एक पिता अपने परिवार की सबकी भलाई के लिए आज खुद के पोते के ससुर बन गये. और वह इस नये रिश्ते को जी जान से मान ने भी लगे है. एक माँ अपनी ज़िन्दगी का अब तक का प्यार और ममता देकर जिस को पाला, बड़ा किया, माँ का स्नेह दि, आज खुद को उसकी पत्नी बनके अपना तन मन सोंप दि और उसको अपने पति का अधिकार दे दि. एक बेटा जो बचपन से अपने नाना नानी के साथ रहकर, उनका प्यर, स्नेह, ममता पाकर उनके छत्र छाया में बड़ा हुआ है, आज उन्ही नाना नानी को अपना साँस और ससुर मान लीया मन से जिस औरत के ममता भरे प्यार और देखभाल में बड़ा हुआ, जिसको दुनियामे सबसे ज़ादा प्यार करते आया, जिसको अपने दिल के हर कोने में उनका ही चित्रण करके रखते आया, उस औरत को शास्त्र सम्मत तरीके से अपनि धरम पत्नी, अपनी जीवनसाथी, अपनी प्यारी बीवी बनाकर आज सारे रिश्तों को दोबारा नये तरह से लिख दिया. ऐसी जटिल परिस्थिति के अंदर सब रह रहा है, फिर भी बाहर वालों को कुछ भी भनक नहि. समाज आज यह सब कुछ नहीं जान पाया. इस लिए सब अपनी अपनी रेस्पेक्ट से हम चारो को देख रहे है. और हम हमारे आनेवाले कल के बारे में सोच रहे है. हमे पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही रहना पडेगा. हमारा पुराने रिश्ते को भूल कर, सब के सामने इस नये रिश्ते को ही अपनाकर रखना पडेगा. शायद हमे अपनी पुराणी पहचान, पुराणी जगह से हमेशा दूर रहना पड़ेगा हमारे सब के भलाई के लिये. जितना टाइम जाने लगा, नानी की आँख उतनाही गिला होने लगा माँ भी उनके साथ, उनके स्पर्श में रहकर थोड़ा उदास होने लगी. थोड़ी देर बाद अहमदाबाद जाने का ट्रैन लगनेवाली है. नाना नानी अपनी बेटी को पहली बार घर से दूर भेज रहे है. पहली बार अपनी बेटी को उनके पति के साथ ज़िन्दगी बिताने के लिए अपनों से दूर जाने दे रहे है. नाना नानी का मन भारी हो रहा है यह में महसुस कर पा रहा हु. उनके मन में यह भी है की उनका बेटी अब जिसके साथ रहने जा रही है, वह उसको दुनियाका सारा प्यार, सारी खुशी, सारा आनंद देगा. पर अपनी एकलौती बेटी को इतने दिन बाद अपनों से दूर करने का दर्द में मेहसुस कर सकता हु.
मा नानी के पास चिपक के बैठि है. उनके हाथ में नानी का एक हाथ पकड़कर रखी है. माँ बेटी का प्यार साफ़ दिखाइ दे रहा है. माँ को नाना नानी से दूर जानेका दर्द तो है, पर उनके मन में उससे ज़ादा ख़ुशी है. क्यूँ की वह अपने बेटे के साथ , जो अब उनका पति है, उसके साथ नयी ज़िन्दगी बिताने जा रही है. उनको यह भी मालूम है की दुनियामे कुछ भी हो जाए, पर उनका बेटा, उनका पति कभी भी किसी भी हालत में उनका हाथ नहीं छोड़ेगा, और नाहीं उनको कभी कुछ कस्ट होने देगा. वह अपने पति के प्यार को अब धीरे धीरे महसुस कर सकती है. उनकी आँख में गीलापन तो है, फिर भी होठो पे एक ख़ुशी की आभा दिखाइ देती है. और वह देख के नाना नानी भी चैन की सांस ले पा रहे है. माँ के गले में मंगलसूत्र है. मांग में सिन्दूर है. माथे पे एक लाल बिन्दी. हाथ पैर में मेहँदी लगी है. दोनों हाथ में कुछ बँगलस के साथ और भी कुछ सिंपल ज्वेल्लरी में माँ एक नयी दुल्हन ही लग रही है. पहली बार शादी के बाद एक जवान कुंवारी लड़की जैसे दीखती है, माँ वैसे लगने लगी. उनकी स्लिम बॉडी में आज एक अलग सा आभा लगी हुई है. एक मरुण, ग्रीन और येलो कलर के रंग से सुन्दर डिजाइन और मीनाकारी कि हुई एक साड़ी पहनी हुई है. साथ में मैच किआ हुआ ब्लाउस. उनके गोरे रंग और मख़्खन जैसे मुलायम स्किन में वह कपडा उनको बहुत जच रहा है. यह सब चीज़ों से उनकी उम्र अब २० साल के जैसे लग रही है. मैं वहां से उठकर थोड़ा आगे जाकर साइड में खड़े होकर रिलैक्स जैसा करने लगा. नानी माँ से कुछ बातें कर रही है. नाना जी भी वहां नानी और माँ को कुछ बोल रहे है. अब उनके अंदर का दुःख और मायुस भाव धीरे धीरे कम हो रहा है. मैं बस चारो तरफ नज़र फिरा ते फिराते सबसे ज़ादा केवल माँ को ही देख रहा हु. आज इस रूप में माँ को वास्तव में देख के मुझे एह्सास हुआ की कल्पना कभी कभी वास्तव से भी हार मान लेती है. माँ को पिछले दो हप्ते से मेरी पत्नी के रूप में कैसे दिखेगी, वह कल्पना करते आया. वह है तो खूबसूरत. नयी दुल्हन बन्ने के बाद और खूबसूरत हो जायेगी यह सोचकर उनकी एक तस्वीर मन के अंदर कल्पना किया था. पर आज मेरे सामने बैठि उनको देख के मेहसुस किया की इस अपरूप सुंदरता के वास्तवीक छोरको कभी देख नहीं पाऊंगा. और अभी इस पल वह दिदार करके मेरे मन में एक अनिर्बाचनीय ख़ुशी और संतुष्टि का भाव छाने लगा. मैं सच मुच उनको बीवी के रूप में पाकर अब एक सैटिस्फाइड मैन जैसा फील कर रहा हु. उनकी यह सुंदरता , यह खुबसुरति, यह रूप में ज़िन्दगी भर अपना करके पाऊंगा.
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