RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 57
मुझे अंदर ही अंदर यह मेहसुस हुआ की में सच में बहुत खुश नसीब हु.
मुझे ऐसी एक लड़की मेरी बीवी के रूप में मिलि,
जो मुझे बचपन से आज तक इतना प्यार करती आयी, और आज भी इतना प्यार कर रही है,
और में जानता हु की ज़िन्दगी भर मुझे इतना ही प्यार करते रहेगी.
बचपन से वह मुझे हमेशा ज़ादा प्यार करती थी सिंगल परेंट्स के वजह से.
उनके दिल में हमेशा में रहता था.
उनके सारे सुख दुःख मुझे लेकर और मेरे चारों तरफ घुमते थे.
और आज नसीब ने हमे ज़िन्दगी के इस मोड़ पे लाया की जहाँ हम माँ बेटा होने पर भी हम दोनों को दुनियाका सबसे मजबुत और महत्पूर्ण एक बंधन में बांध दिया.
हमारे माँ बेटे का जो बंधन था उस मजबुत बंधन में तोह हम पहले से ही जुड़े है.
लेकिन आज इस नये रिश्ते का नये बंधन में अचानक हम दोनों और भी बहुत ज़ादा मजबूती से एक दूसरे से जुड़ गये मेरी माँ के प्रति जो प्यार है,
उसके साथ बीवी के लिए प्यार भी दिलसे निचोड़के सब उनको ही दे दिया.
और वह भी उनके ज़िन्दगी का जमा हुआ सारा प्यार उनके पति के लिए दे दिया.
अपने बेटे के लिए जो प्यार था, उसके साथ एक पत्नी का प्यार मिलाकर उनका दिल अपने बेटे के पास ओपन कर दिया.
और वह अपने दिल को आज एक मजबुत बंधन से उनके बेटे के दिल के साथ बाँध लिये.
और वह खुद को पूरी तरह, अपना तन्न मन सब कुछ अपने बेटे के पास,
अपने पति के पास समर्पण कर दिया. मुझे सब कुछ मेहसुस होने लगा उनके सामने खड़े होकर उनके आँखों में देखते हुए.
कुछ पल हम ऐसे नज़र मिलाकर हमारे दिल की बहुत सारी बातें उस भीड़ भरे प्लेटफार्म के विचित्र आवाज़ के बीच खड़े होकर एक दूसरे को जताने लगे.
माँ बस अपनी स्माइल बरक़रार रखके अचानक कुछ याद करके मेरे हाथ में उनकी ग्रिप ढीला कर लिया और शर्मा के मेरा हाथ छोड़के अपने हाथ खीच लिये.
फिर अपने नज़र प्लेटफार्म के दूसरी तरफ घुमाके देखने लगी.
मैं तभी भी उनको देख रहा था.
माँ को आज बहुत खुश देख रहा था.
उनके अंदर एक नवजवान लड़की की अनुभुति वापस आगयी. उनके होठो पे जो मुस्कान लगी हुई है,
वह में ज़िन्दगी भर देखने के लिए कुछ भी कर सकता हु.
मैं हमेशा उनको इसी तरह खुश देखना चाहता हु, खुश रखना चाहता हु.
हम टैक्सी में हमारा लगेज लोड करके मेरे घर की तरफ, जो आज से हमारा घर होगा, उस तरफ जाने लगा.
प्लेटफार्म में माँ जो मेरा हाथ छोडा,
उसके बाद और मेरा हाथ पकड़ी नहि.
मैं दिल से चाह रहा था की वह मेरे बाजु पकड़के मेरे एकदम पास रहके चले.
पर वह बस मेरे पास तो थि, लेकिन मेरे स्पर्श से दूर रह रही थी.
शायद उनके मन में भी मेरे जैसी एक अनुभुति हो रही होगी.
मेरे जैसी एक चाहत उनके भी शरीर में तूफ़ान लायी होगी.
एक अध्भुत सुख, जो न में कभी पाया और जो वह पाकर भी उसका आनंद ज़िन्दगी में ठीक से ले नहीं पाई, वह आनंद,
वह सुख पाने के लिए उनका भी शरीर तरस रहा होगा.
और शायद इसी लिए वह भी खुद को अपने क़ाबू में रख रही है मेरे से दूर रहकर टैक्सी के पीछे बैठे थे हम्.
माँ खिड़की के पास बैठके बाहर की तरफ देख रही है.
नयी जगह और नयी ज़िन्दगी में खुद को मिला के नये रिश्ते को और भी अपने दिल में मजबूती से बसा रही है.
मैं रस्ते में जाते जाते बताते रहा की हम को कितना दूर जाना है,
वहां से मार्किट किस तरफ है,
मेरा ऑफिस किधर से जाना पडता है वगेरा वग़ैरा.
वह बस बीच बीच में मेरे तरफ एक स्माइल लेकर देखति है और फिर बाहर नज़र घुमा लेती है.
खिड़की के तरफ उनके लेफ्ट हैंड उनके गोद में रखा हुआ है और राईट हैंड मेरे और उनके बीच में जो गप है वहां सीट के ऊपर रखा हुआ है.
मुझे बहुत मन कर रहा था की में उनका वह हाथ मेरे हाथ में लु.
बातों बातों में मन में यह सोच तो रहा था पर कर नहीं पा रहा था.
हम अब पति पत्नी है, फिर भी एक संकोच अंदर अभी भी काम कर रहा है.
इतने दिन जिस औरत को मेरी माँ की नज़र से देखा और छुआ,
आज उनको मेरी बीवी के रूप में देख रहा हु लेकिन छुने में वह संकोच आ रहा है.
शायद उनके अंदर भी उनके बेटे को अब पति के रूप में छूने में शर्म आ रही होगी.
अब मुझे महसुस हो रहा है की पिछले ६ साल से मन की कल्पना में उनके साथ मिलन का जो सपना देखता था,
आज असली ज़िन्दगी के इस मोड़ में आकर सब कुछ उस जैसा करना इतना सहज और आसान नहीं हो रहा है.
माँ जितनी बार मेरी तरफ देख रही थी , उतनी बार मेरे छाती के अंदर एक झनझन आवाज़ सी होने लगी.
खिड़की से हवा आने के वजह से वह अब मेरी तरफ देखति है तब उनकी वह सुन्दर आँखें थोडी छोटी हो रही है.
फिर भी उनके चेहरे पे मुस्कान के साथ आँखों में एक गहरा प्यार साफ़ साफ़ झलक दे रहा था.
मैं मन ही मन थोड़ा हिम्मत जुटाके सामने की तरफ देखते हुए मेरा लेफ्ट हैंड बढा के उनके राईट हैंड के ऊपर रखा.
मेरी उँगलियाँ बस उनकी उँगलियाँ को छु रही थीं.
तभी माँ बाहर देखते हुए उनके हाथ को थोड़ा अपनी तरफ खीच लि.
मैं वैसे ही बैठे बैठे फिर हाथ को आगे बढाके उनकी उँगलियाँ पकड़ी.
अब वह हाथ हटायी नहीं लेकिन उँगलियाँ को मुठ्ठी करके मेरे स्पर्श से दूर जाना चाह रही है.
मेरे मन में एक जिद्द आया की हम्मारे बीच में पति पत्नी बनने के बाद जो संकोच चल रहा है वह अभी ख़तम हो जाए.
मैं अब मेरे हाथ को उनके हाथ के ऊपर रख के बस मेरी ग्रिप से उनका हाथ पकड़ लिया.
वह धीरे से छुडाने की कोशिश की पर छुडा के लेकर नहीं गई मैं घूमके उनकी तरफ देखा.
वह बस होठो पे स्माइल लेकर बाहर देख रही है. मैं धीरे धीरे उनकी उँगलियाँ में मेरी उँगलियाँ इंटरटवीनेड करने लगा. वह तभी मेरी तरफ देखि और चेहरे पे एक शरम, एक्ससिटेमेंट और चाहत लेकर मुझे आँखों से इशारा करके ड्राइवर की तरफ दिखाया.
फिर एक फेक ग़ुस्से का चेहरा बनाके जैसे की वह यह कहना चाहती है की "क्य कर रहे हो आप. आगे ड्राइवर है. मिरर में देख रहा होगा. छोडिये मुझे शर्म आरही है".
मुझे उनके इस तरह शर्मा जाने में मुझे मज़ा आने लगा.
मैं उनका हाथ तो छोड़ा नहि, ऊपर से मेरा ग्रिप और स्ट्रांग करके उनकी उँगलियाँ को मुठ्ठी करके पक़डा.
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