RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अपडेट 62
माँ मेरे नज़्दीक आगयी थी.
उनके मांग में सिन्दूर और गले में मंगल सूत्र और मेहँदी के साथ
इस घर पे उनको एक नये रूप में घूमते फिरते देख के मेरे मन में एक
अद्भुत ख़ुशी की तरंग खेले जा रही है.
अब उनके चेहरे पे एक सवाल के साथ साथ जो उदबेग और कंसर्न नज़र आया,
उसी रूप में , एक आदर्ष बेटी के रूप म, एक प्यारी ममतामयी माँ के रूप म,
में बचपन से उनको देखते आ रहा हु.
आज मेरी पत्नी बनने के बाद भी उनके चेहरे पे वह अनुभुति का मिश्रण देख पा रहा हु.
इस में मेरा दिल उनके ऊपर और पिघलने लगा,
और नानी उधर से बोली
"माँ को फ़ोन दो ना ज़रा"
मैने हाथ बढाकर माँ को फ़ोन दिया.
वह बस उसी तरह एक चिंता के साथ चेहरा बनाके फ़ोन लि और बोली
"क्या हुआ मम्मी”?
बोलकर माँ नानी से बात करने लगी.
बात करते करते माँ खिड़की की तरफ जाने लगी.
बाहर अभी तक अँधेरा आया नहि.
गर्मी के सीजन में शाम को जो ऑरेंज कलर की लाइट छा जाती है चारों तरफ, वह लाइट खिड़की के पास खड़ी माँ के चहेरे पे गिऱ रही थी.
मैं दूर खड़ा रहके माँ के चेहरे पे बात करते करते धीरे धीरे एक राहत की अनुभुति आना वॉच कर रहा हु.
माँ की चेहरे पे वह रंगीन रौशनी के अभा से, एक अलौकिक सौंदर्य निखार ने लगा.
मैं दूर से माँ को नानी से बात करते हुए देख देखके मन ही मन में उनके लिए बहुत सारा प्यार और चाहत का एक तान, एक आकर्षण अनुभव कर रहा हु. उनकी साड़ी उनके शरीर में टाइट पहन ने के कारन उनके शरीर के सारे कर्व्स मेरी नज़र में आने लगे.
और में वहि खड़े खड़े उनके धीरे धीरे चिंता मुक्त होकर नानी से हास्के बात करने का वह परिबर्तन देख रहा हु.
और मेरे अंदर वह तूफ़ान फिर से सुरु हो रहा है.
माँ प्रोफाइल में खिड़की के पास खड़ी होकर बात करने के कारन उनके स्तन, पेट, पतली कमर और सूडोल हिप्स सब कुछ एक अपना रंग बनकर मेरे मन में एक अद्भुत सिरसिरानी का जनम दे रहे है.
मेरा पेनिस फिर से सख्त हो रहा है.
मै डोर के पास पड़े हमारे तीन सूटकेस को अंदर ले जाने के लिए वहां गया.
बड़ा वाला सूटकेस को खिचके में बेड रूम में लेकर गया.
फिर आकर दूसरी वाली को लेकर जा रहा था.
जाते जाते माँ को देखा.
वह अब फ़ोन में खुश होक बात कर रही है.
मैं बेड रूम में जाकर सूटकेस रखा.
जब में तीसरे और छोटे वाला सूटकेस को उठाया खीच के ले जाने के लिये,
तब माँ को बोलते हुये सुना
"ठीक है.........हां...देती हु”
बोलके मेरी तरफ घुमि और मुझे देख के एक स्माइल देकर मेरी तरफ आने लगी.
मैं कुछ न बोलकर उनको देख के स्माइल दिया और उनके बढ़ाये हुये हाथ से मोबाइल लेकर नानी को बोला
"जी मम्मी बोलिये"
ओर उधर से पापा की आवाज़ सुनाई दिया.
"नहीं बेटा..में बोल रहा हु"
मेरी बेवकूफ़ी से माँ मेरे तरफ देख के हस पडी.
मैं नानाजी से बात करना सुरु किया तो माँ मेरे हाथ से वह सूटकेस लेकर खुद ही बैडरूम की तरफ चलि गयी.
मैं बात करते करते घूमके उनको देखा.
और वह बैडरूम में दाखिल होने से पहले एकबार मेरी तरफ घुमी तो मेरे से नज़र मिल गई.
वह बस उस नज़र से मन में एक नशा लगने वाली एक स्माइल देकर अंदर चलि गयी.
हमारे बीच एक जो मोमेंट क्रिएट हो रहा था एक दूसरे को किस करते टाइम,
वह अब इस फ़ोन कोल के वजह से रुक गया
और जो मेंमरी और पैशन हममे चढ़ गया था वह अब मन में तो है, पर बाहर आने के लिए सही परिस्थिति पा नहीं रहा है.
शायद माँ ने उसी को याद दिलाकर एक शरारत मिली वह हसि मुझे देकर गयी.
मैं केवल फ़ोन कोल का अंत होने का इंतज़ार कर रहा था.
नानजी से थोडी बात होने के बाद में फ़ोन कट करके बैडरूम के तरफ चल पडा.
जैसे ही में डोर के पास पंहुचा तो देखा की माँ सूटकेस खोलकर सारे कपडे निकाल रही है और सब बेड के ऊपर सजाके रख रही है.
मुझे वहां जाते मेहसुस करके वह वैसे ही मिठी मिठी हसि होठो पे लाकर मुझे देखि.
वह झुक के मेरेवाले सूटकेस से कपड़े निकाल रही थी और फिर सीधा होकर बेड के ऊपर सब रख रही थी.
जैसे मुझे देखि तो बोली "इतने कपडे लेजाने की क्या जरुरत थी”?
मै क्या जवाब दुं, बस ऐसे ही मुस्कुराते रहा.
माँ फिर झुकि हुई पोजीशन पे रहकर कपडा निकालते निकालते बोली
"इन तीन सूटकेस के कपडो से तो यह अलमारी भर जाएगी"
मैन बोला "ठीक है..जरूरत पड़ेगी तो और एक खरीद लेंगे"
मै यहाँ से खड़े होक देख रहा हु की
माँ का मंगलसूत्र गले से नीचे की तरफ लटक रही है
और उनके ब्लाउज की फ्रंट कट से उनकी गोरी गोरी मुलायम डीप क्लीवेज नज़र रही है.
मेरे अंदर खुन दौडने लगा. मुझे मालूम है आज सही तरह से हमारी सुहागरात है.
हम पति पत्नी का इस प्यार का, इस रिश्ते को सम्पूर्ण करने के लिए आज रात पति पत्नी को एक होना है. मैं माँ को देखते देखते इसी सोच में था तभी माँ कुछ महसुस करके अपना सर ऊपर उठाके मुझे देख के बस आँखों की भाषा से पूछ्ने लगी
"क्य हुआ...क्या देख रहे है वहां खड़े खडे"
मुझे माँ को उस पोजीशन में उस अदाओ में देख के लगा की मेरे दिल में एक तीर चल गया.
मैं इसके जवाब में बस केवल हस दिया.
वह होंठो और आंखों में एक अद्भुत ख़ुशी लेकर मुझसे नज़र हटाकर काम करने लगी.
मुझे उनके स्तन का उपरी भाग और उनकी इस तरह अदायें देख के मन कर रहा है की
दौडके जाकर उनको अपनि बाँहों में भर लूँ और प्यार से उनके सारे बदन को चूम के बस केवल प्यार ही भर दुं. पर!!!
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