RE: Hindi Porn Story हसीन गुनाह की लज्जत - 2
मैंने झिझकते-झिझकते बैडरूम में कदम रखा. वसुंधरा परेशान सी मेरी ओर पीठ कर के खड़ी थी और अभी पूरे कपड़ों में ही थी.
“जी … कहिये?”
हुआ क्या था कि जल्दी-जल्दी करने की हड़बड़ी में वसुंधरा ने लहंगे के नाड़े में गाँठ लगा ली थी. एक तो उसके हाथों में मेहँदी लगी हुई थी, ऊपर से लहंगे का नाड़ा रेशमी. जैसे-जैसे वसुंधरा ने जोर लगा कर नाड़ा खोलने की कोशिश की, वैसे-वैसे गाँठ और कसती गयी और अब तो हालात पूरी तरह वसुंधरा के काबू से बाहर हो गए थे.
मैंने मामले की नज़ाकत समझी और वसुंधरा के निकट एक घुटना ज़मीन पर टेक कर बड़े सब्र से, धीरे-धीरे एक-एक रेशा खींच कर नाड़े की गाँठ खोलनी शुरू की. वसुंधरा तो अपने दोनों हाथों पर ताज़ी मेहँदी लगी होने के कारण मेरी कुछ भी मदद करने में सर्वथा असमर्थ थी.
बीच में मैंने दो-एक बार सर उठा कर ऊपर देखा तो वसुंधरा की आँखों को बंद पाया. यदा-कदा मेरी उंगलियां वसुंधरा की नंगी कमर को छू जाती तो मेरे और वसुंधरा के पूरे बदन में कंपकपी की एक लहर दौड़ जाती.
मेरी आँखों की सीध में तीन-चार इंच दूर वसुंधरा की नाभि थी. मैंने नोट किया कि वसुंधरा का पूरा गोरा पेट बिल्कुल सपाट और अंदर को धंसा हुआ था, जरूर वसुंधरा नियमित तौर पर जिम जाती थी या प्राणायाम जैसा कोई योगा करती थी, नहीं तो … कोई नियमित कसरत नहीं करने वाले पतले लोगों में भी अक्सर नाभि के नीचे पेट थोड़ा सा बाहर को निकला ही रहता है.
हल्के रेशमी रोमों की एक रेखा वसुंधरा की नाभि से नीचे की ओर बढ़ती हुई लहंगे के नाड़े के नीचे जाकर अदृश्य हो गयी थी. अचानक ही मेरे मन में एक वहशी ख़्याल आया कि आज वसुंधरा ने वैक्सिंग करवाते हुए क्या प्यूबिक एरिया की वैक्सिंग भी करवाई होगी या नहीं?
वसुंधरा की बालों रहित योनि का तस्सवुर करते ही अचानक से मेरे लिंग में भयंकर तनाव आ गया. मैंने अचकचा कर ऊपर देखा तो पाया कि वसुंधरा की आँखें तो अभी भी बंद ही थी, उल्टे अब तो वसुंधरा की सांसें भी कुछ-कुछ भारी हो चली थी और उस का निचला होंठ रह-रह कर लरज़ रहा था.
उसके जिस्म से उठती सौंधी-सौंधी मादक सी ख़ुश्बू मेरी कल्पना की परवाज़ को किसी और ही धरातलों पर लिये जा रही थी. दो सुलग़ते हुऐ जवां ज़िस्म, ये नज़दीकियां और सबसे क़ातिल तो यह तन्हाई … आसार अच्छे नहीं थे.
मैंने और वसुंधरा दोनों ने इस बाबत एक-दूजे से एक भी लफ़्ज़ सांझा नहीं किया था लेकिन आदिमकाल से चली आ रही आदम और हव्वा की एक-दूजे के लिए प्यास, एक-दूजे से बराबर राब्ता कायम किये हुए थी और दोनों जिस्मों को अपनी-अपनी जरूरतों का अच्छे से पता था. पर हम मानव, सभ्य समाज में रहते हैं और समाज की कुछ वर्जनायें, कुछ बंदिशें होती हैं जोकि सबको माननी ही पड़ती हैं. सारे घर वाले शादी अटेण्ड करने को होटल में, घर का मालिक बंद घर में … घर की मेहमान स्त्री के साथ बैडरूम की गहन तन्हाई में, मेहमान स्त्री के लहंगे का नाड़ा खोल रहा हो तो कोई क्या समझेगा? तत्काल मेरी तमाम काम-विकलता जाती रही.
हे दाता! ये किस झँझट में फंस गया मैं? अब तो यहां से जल्दी से जल्दी निकल भागने में ही भलाई थी पर नाड़े की गाँठ तो अभी भी नहीं खुली थी.
“वसुंधरा!” मैंने उसको पुकारा और बेख़ुदी ऐसी कि मैं उसके उस के नाम के साथ ‘जी’ लगाना ही भूल गया.
“जी!” पल भर में ही सपनों की दुनिया से वसुंधरा भी तत्काल हक़ीक़त के कठोर धरातल पर आ गयी.
“ये तो इशू हो गया है, नॉट तो खुल ही नहीं रही … क्या करें?”
“ऑप्शंस?” वसुंधरा का तेज़ दिमाग अपनी पूरी बानगी में आता जा रहा था.
“ऑप्शंस भी लिमिटेड ही हैं “. मैं तेज़ी से दिमाग दौड़ा रहा था. किसी भी क्षण होटल से कोई आ सकता था, सुधा या किसी और का फ़ोन आ सकता था.
” लाईक?”
“चेंज द ड्रैस ”
“रुल्ड-आउट!”
“कीप ऑन ट्राइंग टू अन-डन दी नॉट.”
“से समथिंग बैटर देन दैट.”
“फिर तो एक ही चारा बचा है और मुझे पता नहीं कि यह आप को पसंद आएगा या नहीं. ” मैंने झिझकते-झिझकते कहा.
“अरे! बोल भी दीजिये …” आवाज़ में सत्ता की गूंज बराबर थी.
“नाड़ा काट देते हैं, लहंगा रिपेयर कर के नया नाड़ा डालते हैं और चलते हैं. कुल पांच मिनट का काम है. कहिये! क्या कहती हैं आप?”
क्षणभर के लिए जैसे सारी कायनात में चुप्पी सी छा गयी.
“यू श्योर दैट्स द बेस्ट आईडिया वी हैव?”
“अनटिल यू सज़ेस्ट समथिंग बैटर!”
|