RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अचानक से समीर और चंचल जिस कमरे में थे उसमे बहुत ही हल्के रंग की रोशनी रह जाती है। और इस रौशनी के होते ही चंचल को एहसास होता है कि समीर ने उसे स्पेशल कपड़े क्यों दिए थे।
चंचल की ब्रा और पेंटी इस अंधेरे में चमक रही थी।
चंचल एक बार खुद को देख कर शर्मा जाती है लेकिन अब ये हर बार का नयापन चंचल को भी अच्छा लगने लगा था।
समीर बहुत ही रोमांटिक अंदाज़ में चंचल के एक एक कपड़े को उसके बदन से अलग करता है चंचल को उसी कमरे में पूरी तरह से बे आबरू करने बाद समीर चंचल को उसी बैड पर लिटा देता है।
चंचल को जैसे कुछ करना ही नहीं था। समीर बिना चंचल से कुछ कहे चंचल की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर अपना मुंह चंचल की दोनों टांगों के बीच....
थोड़ी देर बाद चंचल बहुत उत्तेजित हो जाती है जिसके चलते चंचल की कमर धनुष के समान मुड़ने लगती है। इतना उत्तेजक दृश्य देख कर बाहर बैठे लोगों ने तालियां बजा दी। तालियों की आवाज चंचल तक भी जा रही थी जिससे चंचल और भी शर्म से पानी पानी हो जाती है।
अब समीर चंचल को उसी बिस्तर पर एक विशेष एंगल में मोड़ कर घोड़ी बना देता है और पीछे से अपने लन्ड को चंचल की चूत पर धीरे धीरे रगड़ता है। चंचल आंखें बंद किये इस लम्हे को भरपूर तरह से जी रही थी कि बाहर की तरफ लाइट जल जाती है।
अब आलम ये था कि चंचल अंदर से बाहर सब कुछ देख सकती थी। और बाहर वाले भी अंदर सब कुछ देख सकते थे। बस समीर और चंचल इस वक़्त चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। करीब 5 मिनट बाद समीर अपने लन्ड का टोपा चंचल की चूत में घुसा देता है जिससे चचंल की हल्की सी आह निकल जाती है।
तभी चंचल पीछे मुड़ कर समीर की तरफ देखती है और हल्के से मुस्कुरा देती है। ये एक तरह से इशारा था समीर को की वो अब पूरी तरह से चंचल में समा जाए। समीर भी बिना देर किये हल्के हल्के धक्कों के साथ ओरी तरह से चंचल में समा जाता है। अचानक से चंचल की आंखें खुलती है। वो देखती है कि उसके सामने तकरीबन 10 से 20 लोग है क्या बुड्ढे क्या जवान सभी उसे देख रहे है।
सबके पेंट में तंबू बना हुआ है। तभी दूसरी लाइन में बैठे एक शख्स पर चंचल की नज़र जाती है तो चंचल की हवाईयां उड़ जाती है।
चंचल: सुरेश.....?
समीर: क्या....... कुछ बोला
चंचल: हटो समीर...
समीर लगातार चंचल की चूत में धक्के मारते हुए...
समीर: चंचल अगर इस वक़्त मैं हटा या हम लोग रुक गए तो मुझे 390 करोड़ का नुकसान होगा।
चंचलbananaहौले से) मेरे पति....
समीर: कौन सुरेश... ???? यहां??? हो ही नही सकता.. और वैसे भी तुमने मास्क पहना है वो हो भी तो पहचान नही सकता।
चंचल: आह समीर..... प्लीज..... मैं......
समीर काफी तेज धक्के मारने लगता है....
तभी सुरेश एक बोर्ड उठाता है और उस पर तकरीबन 2.60 लाख रुपये लिखे थे.. एक आदमी जी उस कमरे के। भाहर था एक बजर बजा देता है उसके तुरंत बाद समीर और चंचल वाले कमरे में लाइट ऑफ हो जाती है... समीर अभी भी चंचल की चुदाई कर ही रह था कि चंचल तुरंत समीर को धक्का देकर अपने कोड़े पहनने लगती है।। करीब 7.30 मिनट में चंचल तैयार होकर अपने घर की तरफ़ निकल जाती है।
समीर जो कुछ देर पहले तक चंचल के सामने बहुत गंभीर था उसके पति को लेकर अब होले होले से मुस्कुरा रहा था।
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