Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 12:53 PM,
#8
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
चंपा : अब का करे? हमको ना बड़े जल्दी ही नज़र लग जाती है....इसलिए हमारी एक काकी ने हमको ये पहना दिया (चंपा ने अपने ताबीज़ पे उंगली रखते हुए कहा)

आदम : ह्म अब इतनी हसीन खूबसूरत हो तो नज़र तो लगनी ही है

चंपा : हम तो सबको हसीन खूबसूरत ही लगते है

आदम ने चंपा के नाभि को फिर पिंच किया जिससे चंपा के स्वर में आहह फुट पड़ी और उसने अपने निचले होंठ को कस के दाँतों से भींच लिया..."इस्शह".....चंपा ने सिसकते हुए कहा...आदम ने चेहरे को नीचे ले जाते हुए आख़िर पेट पे अपने चुंबन की मोहर मार दी....चंपा का पेट काँप रहा था....आदम ने मुस्कुराते हुए नाभि में जीब डाल दी और कुरेदने लगा....चंपा के हाथ आदम की पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा रहे थे.....

आदम का लंड पॅंट और चड्डी में कसा फहुंकार मार रहा था....जैसे आज़ाद होना चाहा रहा है....लंड का सिग्नल दिमाग़ को मिला...और आदम को महसूस होते ही उसने अपनी बाहों में चंपा को नीचे से उठा लिया.....आदम खड़ा था और अब उसकी गोद में चंपा का पूरा बदन था..

उसने हल्के से चंपा को लिटाया और उसके ब्लाउस उतार फैका....फिर उसकी सफेद ब्रा भी...चंपा ने हल्के से अपने बाल को झटकते हुए उसे खोल दिया...चंपा लेटे लेटे आदम को अपनी शर्ट और बनियान उतारते देख रही थी....जीन्स की ज़िप पे हाथ पहुचते ही चंपा ने अपने होंठो पे ज़ुबान फैरनी शुरू कर दी...जैसे लंड को देखने के लिए कितनी उत्साहित हो...

आदम ने अपनी जीन्स और कछि को भी एक झटके में टाँगों से अलग कर दिया....और जब चंपा के चेहरे के करीब आया...तो चंपा को सॉफ दिखा उसका झूलता सांवला लंड एकदम कड़क और गरम होके खड़ा हुआ था....चंपा ने उसे हाथो में लेके मसलना शुरू कर दिया...मुत्ठियाते हुए वो आदम की आँखो में झाँकने लगी

आदम ने तब तक चंपा के पेटिकोट को नाडा खोल दिया और उसे एक हाथ से ही उतारने का प्रयास किया...पर चंपा ने बाए हाथ में ही लिंग को मुठियाते हुए उठकर अपनी पेटिकोट और पैंटी को एक झटके में अपनी टाँगों तक सरका दिया....बाकी का काम आदम ने खुद कर दिया....अब बिस्तर के नीचे चंपा के सारे कपड़े पड़े हुए थे और बिस्तर के उपर चंपा मदरजात नंगी आदम से चिपकी लेटी हुई थी

अब आदम ने चिकनी जांघों उपर हाथ फेरते हुए टाँगों के बीच हाथ लाया तो उसे आधी उंगली बराबर चंपा की झान्टे दिखी...उसके रोयेदार झान्टो पे हाथ फेरते हुए उसने चूत को खोजा और फिर दोनो हाथो से चूत को फैलाया छेद के चारो तरफ का गुलाबी माँस दिखने लगा था

चूत पूरी गुलाबी गीली और हल्के हल्के उगती झान्टो से धकि हुई थी.....आदम कभी भी चूत पे मुँह नही लगाता था खासकरके चंपा की...क्यूंकी चंपा कयिओ से चुदवाति होगी..तो इस वजह से आदम को बीमारी का डर लगता था...आदम ने वैसे ही चूत की मुंहाने में हाथ फेरते हुए उंगली करनी शुरू कर दी....चंपा टाँगों को इधर उधर पटाकने लगी उसकी दोनो पाओ में बँधी पायल पैर पटाकने से छान्न छान्न की मधुर आवाज़ निकाल रही थी

आदम उंगली करता रहा और अपना लंड लगभग चंपा के मुँह के करीब रखा हुआ था...जिसे चंपा मुत्ठियाते हुए इस बार मुँह में लेके चूसने लगी...उसे तो कोई झिझक नही थी....चुदाई के दौरान वो एकदम खुल जाती थी...हालाँकि इस बार भी उसे लगा कि शायद आदम उसके वहाँ मुँह दे...पर आदम ने वैसा नही किया....आदम बस उंगली करता रहा....चंपा के पाँव काँपने लगे और आदम ने उंगली तेज़ कर दी

चंपा : ओह आहह आहह हो स्स्स्सिईईईईईईई आहह (चंपा के ज़्यादा हिलने से आदम उंगली भीतर तक घुसाने पे मज़बूर हो जाता क्यूंकी बार बार उंगली चूत से बाहर निकल जाती)

अंगूठा चूत में प्रवेश करते ही उंगली के साथ...चंपा का बदन शिथिल पड़ गया और एक ज़ोर की कपकपाहट के साथ चंपा चीख उठी उसकी चूत से रस बहने लगा था...आदम ने चेहरा थोड़ा चूत के करीब लाया और उसे सूँघा चूत से अज़ीब सी महेक आ रही थी....इससे उसका लंड और भी कड़क हो गया...और चंपा के गरम मुँह मे अपना प्री कम छोड़ने लगा..

चंपा उसे चट कर गयी और उसने लंड को मुँह से बाहर खींचा....."आओ राजा अब कराती हूँ जन्नत की सैर तुम्हें".....चंपा एकदम से उठ बैठी और तब तक आदम को धकेलते हुए उसने उसे लेटा दिया....अब आदम लेट चुका था....चंपा ने लिंग को तभी मुत्ठियाते हुए अपनी दोनो चुचियो पे सुपाडे को रगड़ने लगी....आदम मोन करने लगा....

आँखे मुन्दे ही रहा फिर चंपा ने चुदाई की शुरुआत की....और और उसने अपनी दोनो टाँगें आदम की कमर के दोनो तरफ इर्द गिर्द फैला लिए...फिर टट्टी करने की मुद्रा में वो लंड को पकड़के उसे अपनी चूत पे टीकाने लगी....धीरे धीरे लिंग किसी जलती भट्टी में घुसने लगा और चंपा ने पूरा लंड अपने अंदर समा लिया.....छेद थोड़ा कसा हुया था शायद गान्ड को टाइट कर रखा था चंपा ने...

"हाए रे चंपा सस्स निकल जाएगा अब तो बस अब शुरू कर"........आदम ने लेटे लेटे ही जवाब दिया

"अभी कहाँ सरकार अभी तो राउंड शुरू हुआ है...जन्नत में प्रवेश हुआ है कम से कम हमे तो सुख लेने दीजिए चूत में लिंग घुसाके उसी पल पानी छोड़ देना चुदाई नही असंतुष्टि कहलाती है".......आदम उसकी बातों से और भी ज़्यादा तराकी हो रहा था

चंपा अब धीरे धीरे लिंग को अंदर बाहर ले रही थी...अब धीरे धीरे उसकी गति बढ़ने लगी और वो लगभग आदम की जांघों के उपर जैसे कूद रही थी...लिंग सतसट अंदर बाहर हो रहा था...चूत बुरी तरीके से गीली हो चुकी थी आदम को चंपा की चूत का गरम रस छूटता महसूस हो रहा था...पर चंपा रुक नही रही थी उसकी आँखे एकदम लाल थी....और वो अपने लाल लाल होंठो को काट रही थी
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