Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:00 PM,
#30
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
कुछ देर बाद भी जब रूपाली शांत नही हुई तो आदम उसकी छातियो को दबाने लगा चुस्सने लगा...फिर आहिस्ते आहिस्ते अंदर बाहर लिंग को करना शुरू किया..फिर एक करारा धक्का मारा रूपाली फिर ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी...पर बाहर मौसम खराब था और मकान मालिक काम से कोलकाता गया हुआ था इसलिए आदम निसचिंत था..कि उसकी चीखें पास के लोगो तक नही सुनाई देगी..

रूपाली : उईईइ आहह

आदम : सस्स्शह ओह्ह्ह बेहेन्चोद बड़ी टाइट है भाभी की तो उफ्फ बिशल दा ने क्या मारी होगी सुहागरात के दिन जो अब तक इतनी सख़्त है

लेकिन वहाँ कोई मज़ूद नही था जो उसे बताता कि इंसान और जानवर के लिंग में फरक होता है और वो खुद के लिंग की तुलना एक मामूली इंसान से कर रहा था ...सच में लंबा लिंग गधो का ही हो सकता है जिनकी बुद्धि भी मोटी होती है

आदम से सबर ना हो सका और उसने रूपाली के ठहरने का फ़ायदा उठाके उसकी पूरी रात कुटाई की...वो उसकी चूत में दनादन अपना बम्बू घुसाए कयि मर्तबा धक्के मारे जा रहा था...रूपाली दर्द के मारें अब बेहोश हो चुकी थी जब उसे होश आया तो आदम ने उसकी चूत से लिंग बाहर निकाल लिया था उसे अपनी चूत का मुंहाना काफ़ी फैला हुआ और चौड़ा नज़र आ रहा था जिसकी सूरत वापिस सामने होने की नही लग रही थी

आदम ने उसकी गान्ड की फांकों के बीच लिंग को छेद में घुसाना शुरू कर दिया...गान्ड के छेद में उसने पहले से ही पास रखे घी से आधा चम्मच डाल दिया ताकि छेद चिपचिपा और खुल जाए...उसका लंड छेद के अंदर बड़ी मुस्किल से सुपाडे तक गया...रूपाली सर को मज़बूती से तकिये के उपर रखे हुई थी...अंदर ही अंदर आदम को ना जाने कितनी गालियाँ बक रही थी..."अफ इस निगोरे ने तो चूत फाड़ दी मेरी अफ्फ इस्शह अयीई माँ ऐसे क्यूँ चोदता है?"......मन के शब्द अब मुँह पर आने लगे थे दर्द और आहों में सिमटी रूपाली का चेहरा आदम देख देखके उसे चोद रहा था...

"इसस्सह हहाए उफ़फ्फ़ धीरे करो ना निकाल लो निकाल लो दर्द हो रहा है".......तकिये में घुट्टी रूपाली की आवाज़ सुन आदम ने धक्के देने बंद किए...और उसके बदन पीठ और ज़ुल्फो को हटा चेहरे पे चुंबन लेने लगा

"रूपाली अभी तो तुम्हारी ठीक ढंग से गान्ड भी नही चोदि प्लस्स कॉपरेट करो थोड़ा"....आदम ने रूपाली को समझाते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए

"हाए मैं मर जाउन्गीई हआयईी आदम बहुत दर्द हो रहा है सस्स बहुत चुभ रहा है दर्द से गान्ड फॅट रही है तुम छोड़ दो ना".......रूपाली ने मिन्नत भरे लफ़्ज़ों में कहा

आदम मन ही माँ बुदबुदा रहा था "उफ्फ साली की क्या कसी गान्ड है? क्या चंपा? क्या ताहिरा मौसी ? और क्या सुधिया काकी? इसकी तो कच्ची उमर के साथ साथ गान्ड भी काफ़ी टाइट है उफ़फ्फ़ लगता है लंड अंदर घुसने से छिल गया".......इतने में बड़ी कस के आदम को अपने लिंग पे जलन महसूस हुई...रूपाली ने सख्ती से लिंग को अपनी गान्ड के भीतर दबा लिया था

आदम : गान्ड ढीली छोड़ो रूपाली वरना बहुत दर्द हो जाएगा

रूपाली : नही तुम निकाल लो ना


आदम : रोओ मत रूपाली देखो बस यही सील टुटनी रह गयी है फिर तुम पूरी तरीके से औरत बन जाओगी..बिशल दा ने तो ठीक ढंग से तुम्हारे साथ सेक्स भी नही किया मुझे तुम्हारे दोनो छेद खोलने पड़े

रूपाली : उस मदर्चोद का नाम मत लो कमीना पीके आता है और और मुरझाए लंड से 5-6 धक्के मारे बेदर्दी से लंड अंदर घुसाए झड जाता है ना मुझे मज़ा मिलता है और ना हम ठीक ढंग से एंजाय कर पाते है पता नही क्या देख लिया था उसमें?


आदम ने रूपाली को शांत किया और रूपाली की पकड़ ढीली हो गयी उसकी गान्ड के भीतर तक आदम अपना लंड घुसाने की नाकाम कोशिशें करता रहा....बीच बीच में उसे उठा कर गुसलखाने जाके आना पड़ता...उसका लिंग एकदम लाल हो गया था और उस पर घी और रूपाली का चिपचिपा सफेद सा कोई पदार्थ लगा हुआ था....आदम ने फिर गान्ड के छेद में लंड घुसाया...और लगभग कुछ घंटो की जद्दो जेहेद के बाद उसका लिंग पूरा रूपाली की गान्ड को फाड़ता हुआ घुस गया....रूपाली पहले बहुत तडपी बहुत चीखी..

पर उसे ऐसी कुँवारीयो की आगे लेनी थी...आदम ने कोई रहम नही किया...और वो उसे लगभग उस पर चढ़े हुए चोदता रहा...आदम का वजन पतला दुबला होने से कम ज़रूर था पर रूपाली के लिए उसका भार सहेन करना किसी बोझ से कम न था...वो बस औंधे मुँह पेट के बल तकिये में मुँह डाले लेटी पड़ी थी बेशुध....जब फ़च फ़च की आवाज़ और थप थप्प गान्ड और अंडकोष के लगने से आवाज़ आनी शुरू हुई तो महसूस हुआ कि उसकी आँखो में अब आँसू नही थे दर्द आहों में तब्दील हो गया था....गान्ड से हल्का खून भी रिस रिस के निकल गया था....और रूपाली पूरी आदम के नीचे दबी पड़ी थी...

आदम : देखा रूपाली मैने कहा था ना

रूपाली : हाए कमीने इस्शह उहह उहह एम्म्म आआहह सस्स आहह


आदम : उफ्फ क्या चिकनी गान्ड है रूपाली तुम्हारी? दिल करता है पूरी ज़िंदगी ऐसे ही घुसाए रखू


रूपाली आदम के धक्को को बर्दाश्त करते हुए सिसक रही थी....कुछ देर में आदम ने धक्के एकदम तेज़ कर दिए...आदम गरर गरर की आवाज़ निकालने लगा..और जब रूपाली को महसूस हुआ तो आदम तब तक झड चुका था...और उसके उपर ढह गया..दोनो पसीने पसीने हो रहे थे गर्मी अंदर की जैसे दोनो के जिस्मो से बह रही थी..थकावट और नींद की करवट दोनो की आँखे बुझा रही थी...

रूपाली को महसूस हुआ लिंग अब भी उसकी गान्ड के भीतर था और उसमें से कुछ चिपचिपा पर गरम गाढ़ा कुछ निकला था इससे पहले भी उसके पति ने अपना बीज उसके अंदर फैका था इसलिए वो जानती थी कि ये दूसरे मर्द का बीज उसके अंदर था....आदम ने लिंग बाहर निकाला तो फ़च की आवाज़ गान्ड के खुलने की जैसे आई...जैसे कोई थम्स अप की बोतल का ढक्कन ओपनर से खोलता है ठीक वैसी..

अगली सुबह 4 बजे के लगभग आदम को होश आया पूरी रात वो और रूपाली एकदुसरे से लिपटे सो रहे थे बस रूपाली को दी हुई लाल रंग की साड़ी चादर की तरह उनके नंगे बदन पे पड़ी हुई थी....रूपाली बिल्कुल नंगी आदम की पसीने से भरी छाती पे सर रखके सो रही थी....ऐसा लग रहा था जैसे कल उसकी शादी हुई हो और सुहागरात उसने रूपाली के साथ मनाई हो...बिस्तर पे फैले फूल अब मुरझा चुके थे कुछ दोनो की चुदाई से बिखरकर फर्श पे भी गिर पड़े थे...

आदम ने जब साड़ी उठाके रूपाली की चूत और गान्ड देखी तो दोनो पे लाल लाल खून के धब्बे जैसे लगे हुए थे...उसे अपने लिंग पे मिला जुला घी का चिपचिपापन और उस पर रूपाली की सील तोड़ने का खून लगा हुआ था आदम ने रूपाली के चेहरे को चूमा और टाय्लेट करने चला गया उसका लिंग अब सुस्त पड़ चुका था उसने पेशाब की मोटी धार छोड़ी और वापिस कमरे में आके रूपाली से लिपटके सो गया...

सुबह 10 बजे तक भी उनकी नींद नही खुली थी...और दरवाजे पे सुधिया काकी आके दस्तक दे रही थी..जब किसी ने दरवाजा ना खोला तो उसने आदम को रिंग मारके जगाया उसके फोन पे...आदम नंगा ही उठा अपनी कल की गिरी अंडरवेर डाली और दरवाजा खोला...सुधिया काकी उसको और रूपाली को बिस्तर पे नंगा सोया देख मुँह पे हाथ रखके शरमाने लगी

सुधिया काकी : मन गयी सुहागरात? हो गयी मौज मस्ती पूरी तोड़ दी सील अपनी भाभी की

आदम : हाहाहा आओ आओ काकी आप भी ना


सुधिया काकी : ऐसी नींद तो भीषण चुदाई के बाद आ सकती है तेरी आँखो को देखके लगता है तू पूरी रात सोया नही उफ्फ उपर से कल रात का तूफान तेरे घर के एरिया का पेड़ तक गिर गया

आदम : हां काकी कल बहुत भारी तूफ़ानी बारिश हुई थी और रूपाली ने तो मुझे थका ही दिया उफ्फ अच्छा मैं नहा कर आता हूँ तुम रूपाली की चूत थोड़ा सैक दो उसे तुम्हारी ज़रूरत है बहुत मज़े से कल चुदवाइ दर्द में होके भी

सुधिया : ऐसा क्या? चल ठीक है तू फारिग होके आ मैं कल रात से ही नही सोई थी सोच रही थी कि काश तुम दोनो की चुदाई देख सकूँ पर मैं तुम दोनो को अकेला छोड़ना चाहती थी ताकि रूपाली फ्री हो और उसे तो अब तक मेरे मज़ूद्गी का अहसास भी नही


आदम : लेकिन मैं डर गया था कि कहीं आपके साथ बाहर दरवाजे पे ताहिरा मौसी तो नही खड़ी

सुधिया : मैं तेरी राज़दार हूँ भला उसे कैसे यहाँ आने देती? आना तो चाह रही थी पर काम में फसि हुई थी वरना यहाँ आके अपनी बहू को तेरा बिस्तर गरम करते देख लेती

आदम : ह्म्म्म्म ये अच्छा किया आपने चलिए मैं आता हूँ (सुधिया काकी बिस्तर के करीब आई आदम अंदर किचन में आया)
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