Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:06 PM,
#31
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
इतने में आदम ब्रेकफास्ट बनाने लगा रूपाली और खुद के लिए साथ में सुधिया काकी के लिए चाइ भी चढ़ा दी चूल्हे पे....सुधिया काकी ने एक बार बिस्तर पे बिखरी पंखुड़िया और गंदी चादर को देखा फिर उसके उपर सो रही लाल रंग की आदम की दी साड़ी मे लिपटी रूपाली की ओर देखा और उसे जगाया...रूपाली आँखे मसल्ते हुए उन्हें देखके एकदम से डर कर साड़ी को अपनी छाती तक रख ली..सुधिया काकी मुस्कुराइ तब तक आदम भी उसकी चीख सुनके बाहर आया

उसने यह कहानी बनाई कि सुधिया काकी ने उन दोनो का रिश्ता पहले से बनता देख लिया था घूमते फिरते भी कयि दफ़ा देखा था इसलिए उनसे कुछ छुपाए नही पर रूपाली डर गयी थी उसकी ससुराल मे सुधिया काकी का आना जाना था...पर सुधिया काकी ने उसे समझाया कि वो डरे नही उसकी सास को कुछ मालूम नही चलेगा ना ही उसके पति को...

कुछ देर बाद रूपाली सुधिया काकी के सामने फ्री महसूस करने लगी रूपाली की साड़ी हटा के सुधिया काकी ने उसे नंगा कर दिया रूपाली उनके सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी....आदम के दिए गरम पानी के पतीले को रखके उसमे गरम कपड़ा डालके उसने पहले एक रुमाल से रूपाली की चूत और गान्ड की छेद में लगे वीर्य और खून को सॉफ किया फिर उसकी चूत सैकी....रूपाली से सुधिया मज़ाक करने लगी कि कल रात सुहागरात कैसी कटी? देवर मिया का लिंग कैसा लगा? शरम के मारें रूपाली ने मुँह पे हाथ रख लिया...आदम इस बीच रूपाली की चूत सिकाई देख रहा था....कुछ देर बाद रूपाली को रहात महसूस हुई तो वो भी गुसलखाने से पेशाब करके लौटी...तीनो ने साथ में ब्रेकफास्ट किया फिर रूपाली को सुधिया काकी उसके मायके छोड़ने चली गयी...

सुबह 10 बजे तक मैं नाश्ता वास्ता तय्यार होके ऑफीस के लिए निकल पड़ा था....पूरा वक़्त थकान सा महसूस हो रहा था बार बार उबासिया ले रहा था...मालिक ने भी टोक दिया कि कल रात क्या सोए नही थे क्या?....मैं उन्हें क्या जवाब देता कि अपनी भाभी को पूरी रात चोद रहा था

खैर काम में मशगूल हो गया और वक़्त का पता ना चला....इतने में माँ की तस्वीर जो अक्सर मैं अपने टेबल पे रखे रखता था नज़र पड़ी...उफ्फ इस बीच माँ से बात तक नही की...एक कॉल कर ही लेता हूँ...ये सोचते हुए माँ को फोन लगाया

उधर हालत की कशमकश में अंजुम चुपचाप अपने ख्यालो में तन्हा घर को पोंच्छा लगा रही थी...पसीना पसीना होने से सलवार कमीज़ जिस्म से पूरी चिपकी हुई थी....अचानक तेज़ आवाज़ में मोबाइल की रिंगटोन बजते ही अंजुम पोंच्छा को निचोड़ते हुए बाल्टी में डाले उठ खड़ी होती है..उसके उठ खड़े होने से पाजामा उनके गोल गोल 36 साइज़ के नितंबो के बीच बिल्कुल पसीने से चिपक जाता है

अंजुम कमर पे हाथ रखके अपने माथे के पसीने को पोंछते हुए फोन उठाती है....उधर आदम की आवाज़ सुन उसका चेहरा ऐसे खिलखिला जाता है जैसे बेटे के ही फोन की उसे प्रतीक्षा थी...आज आदम ने खुद फोन किया था

अंजुम : हेलो हां बेटा बोल? आज माँ की याद आ गयी तुझे (अंजुम पलंग पे बैठते हुए कहती है)

आदम : हां माँ वो दरअसल सोचा आपसे बात कर लूँ (आदम जैसे मन ही मन पिछले वार्तालाप के लिए शर्मिंदा था)

अंजुम : हां हां क्यूँ नही? बोल बेटा वहाँ सब कैसा चल रहा है?

आदम : सब ठीक है माँ बस आप बताओ वहाँ सब ठीक है (आदम जैसे उखड़ी आवाज़ से कह रहा था जैसे वो बहुत शर्मिंदा था पर उसके पास कहने को शब्द नही थे)

अंजुम : बेटा यहाँ तो सब चल ही रहा है....मकान मालिक ने भाड़ा बढ़ा दिया और तेरे पिता वोई एक ही लेक्चर देते है छोड़ने की (अंजुम अपनी हालात से वैसे ही परेशान थी और अपने घर के हालात को बेटे को ना कहे उसे शांति नही मिलती)

आदम : क्या उन कुत्तो ने किराया बढ़ा दिया? उफ़फ्फ़ ये तो होना ही है हर जगह यही हाल है...और पापा अब क्या सोच रहे है?

अंजुम : वो क्या सोचेंगे? बोल रहे है नोयेडा शिफ्ट होंगे वहीं एक कमरा लेके रहेंगे और मुझे अपने मायके जाने को बोला

आदम : यार इस आदमी का कुछ नही हो सकता (आदम को सख़्त गुस्सा आया पर इस बार उसकी माँ को बुरा ना लगा उसे अपने पति से रत्तिभर प्यार नही था)

अंजुम : तू छोड़ ना बेटा तू काहे चिंता करता है तू आराम से रह

आदम : माँ अगर मैं कहूँगा तो तुम आओगी नही खैर मैं उस बारे में कुछ कहूँगा भी नही मर्ज़ी अपनी अपनी है लेकिन माँ मैं बहुत शर्मिंदा हूँ आज तक मैं इतने दिनो से आपसे रूड पेश आता आया

अंजुम चुपचाप सुन रही थी....उसका कलेजा जैसे भर आया था...उसे खुशी हुई कि बेटा वापिस शांत हो चुका था

आदम : आजतक मैने आपसे गाली गलोच से बात की अपनी विश के आगे इतना अँधा हो गया कि आपको भी मैं भूल गया एनीवे आइ आम सॉरी माँ मुझे मांफ कर दो

अंजुम : अर्रे बेटा अपने कभी अपनो से माँफी माँगते है भला और तू इतना ज़ज़्बाती क्यूँ हो रहा है? तू मेरा बेटा है मुझे भला तेरी बात क्यूँ बुरी लगेगी अगर तेरे पिताजी ने तुझे समझा होता तो तू आज ऐसा होता वहाँ अकेले रहता खैर तू अपनी ज़िंदगी जी और खुश रह

आदम : माँ मैं कह रहा था कि मैं दिल्ली आ रहा हूँ अगले महीने अपनी राखी का त्योहार है तो ट्रेन की टिकेट्स नही मिल रही (आदम के आने से मानो मान अंजुम के चेहरे पे खुशी की ल़हेर उमड़ पड़ी)

अंजुम : क्या सच में? आजा फिर देर किस बात की?

आदम : हाहाहा बिल्कुल माँ मैं जल्द से जल्द आने की पूरी कोशिश करूँगा एक बार टिकेट्स निकल जाए वेटिंग में होगा तो ट्रॅवेल एजेंट से निकलवा लूँगा


अंजुम : अच्छा तू जब भी आएगा तो तारीख बता देना मैं तेरे पिताजी को बता दूँगी तुझे रिसीव कर लेंगे स्टेशन से


आदम : अर्रे माँ व्हाई यू सो वरीड अबाउट मी? आइ कॅन टेक गुड केर ऑफ माइसेल्फ मैं अपना खुद का ख्याल रख सकता हूँ और यहाँ अकेले रहता हूँ नौकरी करता हूँ तो फिर फिकर कैसी?


अंजुम : हर माँ को अपने बेटे की फिकर होती है बाबू तुम नही समझोगे


आदम : ह्म एनीवे माँ तुम बाबूजी को मत बताना मैं तारीख बता दूँगा और खुद आ जाउन्गा

अंजुम : अच्छा बाबा अच्छा सुन बातों बातों में एक बात बताना तो भूल ही गयी

आदम : हां बोलो ना


अंजुम : मैं यह कह रही थी कि कल तेरे दोस्त की माँ आई थी मेरे घर सोफीया नाम बता रही थी तूने बताया नही कि तेरा कोई दोस्त भी था इंटरनेट पे


आदम जैसे सोच में डूब गया वो याद करने लगा कि यह किस दोस्त की माँ थी? कौन उसके घर आया था?

अंजुम : नाम कुछ उम्म्म उफ्फ देख मेरी याद्दाश्त को हाए अल्लाह वो बाप रे बड़ा तारीफ कर रही थी तेरी और उसके बेटे के बारे में बता रही थी कि वो और तू बहुत अच्छे दोस्त होया करते थे कॉलेज टाइम से अब याद आया कुछ तुझे मुंबई के है वो लोग

आदम : मुंबई के? हां हां (आदम को याद आया कि कॉलेज में उसका एक दोस्त होया करता था...जो काफ़ी लड़को से हटके था उसका यही अलग बर्ताव आदम को यूनीक लगा था और वोई कारण था दोनो की दोस्ती होने का हालाँकि वो लड़का आदम की बड़ी केयर करता था)

आदम : अच्छा हां वो कॉलेज में जब पढ़ रहा था तब उसने भी अड्मिशन लिया था हालाँकि उसके बाद वो मुंबई चला गया और हमारा कॉंटॅक्ट जो था टूट गया था

अंजुम : हां वोई बाप रे तेरी इतनी तारीफ कर रही थी वो बेटा उसका आया नही था साथ में पता नही कैसे करके उसे हमारा अड्रेस मिल गया शायद तूने कभी बताया होगा

आदम : हां शायद एरिया बताया था उस वक़्त तो हम दूसरे किराए का घर लिए हुए थे


अंजुम : ह्म तुझसे मिलने की ख्वाहिश जाहिर की है मैने उसे तेरा नंबर भी दे दिया तुझे उसने कॉल नही किया अभीतक

आदम : ह्म नही माँ कोई बात नही शायद बिज़ी होगा और आजकल क्या कर रहा है वो?

अंजुम : बाप रे फर्म चला रहा है आजकल सुना है बाप पहले ही चल बसे थे उनके
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