Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:07 PM,
#33
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
शाम तक ना जाने क्यूँ आदम का मूड चंपा से मिलने को कर रहा था....पर जब वो उसके घर गया तो ताला लगा देखा..उसे लगा शायद किसी मर्द के साथ धंधे पे गयी होगी....ना जाने वो क्यूँ आ गया था? लेकिन चंपा की खूबसूरती और उसकी गहरी दोस्ती उसे बुलाने का लालसा दे रही थी....

आदम ने उसे कॉल लगाया तो पाया कि वो बार बार डिसकनेक्ट कर रही थी यक़ीनन चुद रही होगी साली किसी से ...आदम के मन में ये ख्याल आया

रात 9 बजे तक आदम खाना तरकारी लेके लौटा...उसने चाव से खाना खाया और आज बाज़ार से लाई एक ब्लू फिल्म सीडी कंप्यूटर डिस्क प्लेट में चला दी....फिल्म बाहर की थी उसमें कहानी माँ बेटे के इन्सेस्ट रीलेशन के उपर थी...

आदम बड़ी दिलचस्पी से फिल्म देखने लगा उसने आजतक ऐसे रॉल्प्ले वाले फिल्म्स नही देखी थी....उफ्फ माँ की उमर उसमें लगभग 42 थी जो हद से ज़्यादा गोरी थी उसके निपल्स गुलाबी थे और उसकी झान्टे कुतरी हुई ट्रिम की हुई लग रही थी....हीरो के लिंग के उपर काफ़ी झान्टे उगी हुई थी...और उसकी चमड़ी भी कटी हुई नही थी उसकी माँ दना दन पूरे फिल्म में उसे ब्लोवजोब कुछ ज़्यादा ही देती है मुख मैथुन जिसे कहते है....

फिल्म की कहानी माँ की लज्जा से शुरू होते हुए बेटा और माँ के अवैध संबंध तक चलते है....उसके बाद उसके पिता को मालूम चल जाता है और फिल्म ख़तम

उस फिल्म की कहानी और रोमॅंटिक सीन देखके आदम का लिंग एकदम उत्तेजना में खड़ा था उसे एक बार मूठ भी मारनी पड़ी और टिश्यू पेपर से अपने लिंग और जहाँ वीर्य लगा था उस जगह को पोछना पड़ा...उसने दूसरी सीडी नही चलाई क्यूंकी ज़्यादा मूठ मारने से वो कमज़ोरी महसूस करता...और वो नहा धोके कपड़े बदलके सो गया

अगले दिन उसकी नींद खुली तो दरवाजे पे सुधिया काकी खड़ी थी साथ में उसके साथ एक 20-22 साल उमर की लड़की थी...आदम उसे पहचान ना पाया....


आँखो को मसल्ते हुए जब आदम अपने पलंग से उठ खड़ा हुआ तो पाया कि बाहर सुधिया काकी के साथ दरवाजे पे एक 20-22 साल की लड़की खड़ी थी...आदम उसे पहचान ना पाया....और आगे बढ़के उसने दरवाजा खोला...सुधिया काकी मुस्कुरा के उस लड़की को आदम के बारे में जैसे परिचय देने लगी....उस लड़की को देखके आदम ने अंदाज़ा लगा लिया वो कम उमर की थी...पर भरा पूरा बदन था शादी शुदा लग रही थी...रंग सावला था और साड़ी जरी का काम की हुई लग रही थी गले में सोने का एक मोटी चैन थी जो चमक रही थी...उसे देखके लग रहा था जैसे अच्छे घर से है वो बार बार आदम को देखके मुस्कुरा भी रही थी और शरमा भी रही थी....छोटे ज़िले की थी तो ऐसे यूँ किसी जवान लौन्डे के सामने आने में उसे शरम महसूस हो रही थी...

उस वक़्त आदम को ख्याल आया कि बीच रात में गर्मी की वजह से उसने अपने सारें कपड़े उतारके एक ढीला कच्छा पहन लिया था जिसमें उसका उभार सॉफ दिख रहा था उसके अंडकोष भी ऐसे झुलके उभार दे रहे थे..कि एक बार उस लड़की की भी नज़रें उस पर जैसे टिक गयी....आदम उसके बदन और उसके चेहरे को गौर से देख रहा था बार बार उसकी निगाह उसके वक्ष जिसपे पल्लू चढ़ा था उसी पे अटक जाती

इस बीच सुधिया काकी ने आदम का ध्यान तोड़ा...आदम ने अपनी हालात को जानते हुए फॅट से पास रखा पाजामा लेके उनके सामने ही पहन लिया...किंतु बदन अब भी खुला था....हाल ही में शेव्ड करने से छाती और पेट पे रोये रोये से बाल उग रहे थे

आदम : सुधिया काकी ये कौन है?

सुधिया काकी : अर्रे इसी से तुझे मिलवाने लाई हूँ पहचान इसको

आदम : आप मुझे लग तो जानी पहचानी रही हो पर मुझे (आदम अभी सोच ही रहा था कि उस लड़की ने टोक दिया)

"अर्रे हमारा नाम तबस्सुम है अर्रे आदम हमे नही पहचाना हम तुम्हारी बड़ी बुआ की लड़की असल में तुम कयि साल पहले आए थे और उस वक़्त तो छोटे थे तो कैसे पहचान पाओगे?"....इतना कह कर तबस्सुम हँसने लगी...आदम एकदम से पहचानते हुए खुश हुआ

आदम : अर्रे तबस्सुम दीदी आप हो मैं तो आपको भूल ही गया था क्या करू? ददिहाल आता जाता नही हूँ ना अब वहाँ है कौन मेरा? बस अकेले ही यहाँ रहता हूँ सेट्ल होने आया हूँ

तबस्सुम : ओह्ह माँ तो फिर काका काकी?

आदम : वो लोग तो नही आ सके आप तो जानती है ना माँ इस जगह को इतना पसंद नही करती

तबस्सुम : ह्म अच्छा हुआ तुम आ गये मैं बहुत दिनो से सुन रही थी ददिहाल भी गयी सुनी कि तुम यहाँ रहने लगे हो अकेले पर मुझे सच पूछो तो पता नही था तुम घर क्यूँ नही आते? तुम तो मेरी शादी में भी नही आए

आदम : क्या कहूँ? उस वक़्त हालात कुछ ठीक नही चल रहे थे घर के

आदम कुछ देर तक अपनी दीदी तबस्सुम से घरेलू बातें करने लगा....इतने में तबस्सुम ने बताया कि सुधिया काकी उसके यहाँ घर झारू पोछा लगाती है उसी ने बताया कि वो तुम्हें जानती है और तुम किसके लड़के हो ये भी? जानने पे उत्सुकता से तबस्सुम सुधिया काकी के साथ आई....सुधिया काकी ने बताया कि तबस्सुम पेट से हो गयी थी पर बच्चा मरा हुआ पैदा हो गया...जिस वजह से वो सदमे में घिर गयी....कोलकाता में ब्याही गयी थी अभी कुछ दिन अपने यहाँ मायके यानी आदम की बुआ के घर में रहने आई है...असल मामला सुधिया काकी ने आदम को ठीक तबस्सुम के सामने ही बताना शुरू कर दिया

पति कोलकाता में कॉन्स्टेबल की नौकरी करता है...पर तबस्सुम के माँ ना बनने से थोड़ा चिडचिडा गया है....यही वजह है कि उसकी अपने पति से एकदम बन नही रही और बात बात में पति उस पर हाथ उठा देता है.....सास के ज़ोर देने पे पति ने एक बार फिर कोशिश की लेकिन कोई ख़ास कामयाबी नही मिल सकी दोनो को सास चिकित्सालय भी हाल ही में लेके गयी थी पर डॉक्टर ने सॉफ कह दिया कि उसका पति दुबारा बाप नही बन सकता क्यूंकी उसे शराब की एक्सेस लत लग चुकी थी जिस वजह से उसके शुक्राणु में पतलापन और कमी सी हो गयी थी जबकि बीवी उसकी हशट पुष्ट और बच्चा जनम देने लायक थी यही नही उसका पति कयि कयि देर रात तक घर आता था जिस वजह से ठीक ढंग से संभोग भी अपनी पत्नी के साथ नही कर पाता था...

आदम : तो काकी मैं इसमें क्या मदद कर सकता हूँ? लेकिन जो हुआ ये तो बुरा हुआ (उदास तबस्सुम को देखके आदम ने भी अपना दुख प्रकट करते हुए कहा)

सुधिया काकी : देख आदम तबस्सुम तेरे घर की ही है या यूँ कह लो तेरी बहन ही लगी पर दूर की पर रिश्ते में तेरी बहन ही लगी इसलिए मैं इस नतीजे पे पहुचि हूँ कि तू ही अपनी बहन की मदद कर सकता है

आदम : ठीक है पर कैसे?

सुधिया काकी : देख तू शरमाना मत और ना तबस्सुम तुम्हे शरमाने या घबराने की कोई ज़रूरत है दुनिया यही जानती है कि तुम्हारा इससे क्या रिश्ता है? और आदम मैने तबस्सुम को तेरे लिंग के बारे में सबकुछ बताया है कि मैने इसकी मालिश की है

आदम जैसे घबरा गया और एका एक शॉक्ड हो गया सुधिया काकी ने उसके बारे में सबकुछ तबस्सुम दीदी को बता दिया था उफ्फ क्या उसे पता है कि उसने अपनी सग़ी मौसी और भाभी के साथ भी चुदाई का खेल खेला है...लेकिन तबस्सुम को कोई बुरा नही लग रहा था पर वो बेहद शरमा रही थी और मुस्कुराती हुई सर झुकाए हुई थी

आदम : क..क्या मतलब काकी मैं समझा नही ?

सुधिया काकी : अर्रे बोका (बेवकूफ़) मैं कह रही हूँ कि इसे तेरे लिंग के बारे में सबकुछ पता है और इसमें छुपाना कैसा? तूने इसकी रोज़ मालिश करके इसे इतना भरा पूरा बनाया है और उपर से ये कहा तेरे अंदर वीर्य की वृद्धि बहुत हुई है? तू तबस्सुम के सामने शरमा मत मैने इसे ऐसा वैसा कुछ नही बताया

आदम : लेकिन काकी मैं तो इनका भाई लगा ना आप कहना चाह रही हो कि मैं इनके साथ!

सुधिया काकी : देख तबस्सुम घर की है पड़ी लिखी सुशील लड़की है और समझदार भी . बुआ और रिश्ता सब जानती है और तू भी तो पढ़ा लिखा समझदार है अपनी बहन की मामले में थोड़ी मदद कर दे क्या जाएगा तेरा? इसकी खोख हरी कर दे
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