Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:08 PM,
#39
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
दोनो एक बार फिर बिस्तर पे ढेर हो गये....."देखा मज़ा आया ना तुम्हें अपनी माँ के बारे में सोचके तुमने मुझे किस तरह चोदा इस तरह तो किसी ने भी मुझे मज़ा नही दिया".........आदम उसके पीठ पे हाथ फैरने लगा उसकी बात सुनके

आदम : हां रे चंपा सच में मैं यूँ ही भटक रहा था और आज इसे महसूस करते ही मुझे बहुत संतुष्टि महसूस हो रही है पर हीचिकिचाहट है कि इस रिश्ते के लिए माँ तो कभी राज़ी ना हो पाएगी

चंपा : तुम कर सकते हो राज़ी? पर उसकी आग को बढ़काना है वो खुद पे खुद तुम्हारे से ताल से ताल मिलाके चलेगी

आदम : लेकिन सच में मुझे मज़ा आएगा

चंपा : मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया तुमने आज सोचो तुम्हें तो उनसे मुझसे दुगना मज़ा मिलेगा...

आदम : हाहाहा चल छोड़ ये ले (आदम ने पैसे दिए तो चंपा ने पैसा लेने से इनकार कर दिया आदम हैरत में आ गया)

चंपा : दोस्त कहता है और पैसे देता है ये तो हमारे बीच का संबंध है रे

आदम : लेकिन ये तो तेरा पेशा है ना दूसरे मर्दो को सुख देना

चंपा : तेरी बात जुदा है आज फ्री राइड दिया तुझे सोच रही हूँ अब ये घिनोना काम छोड़ दूं तंग आ चुकी हूँ दो बार पेट गिराया भी है मैं थक चुकी हूँ

आदम : ओह्ह हो तो फिर क्या करेगी आगे? इस पेशे के बाद क्या शादी करेगी?

चंपा : कॉल गर्ल और रंडियो से कोई शादी करता है.....हर रात का साथ देने अनेक मर्द आते है लेकिन कोई एक मर्द भी नही जिंदगी का साथ देने के लिए छोड़ ना मेरी बात

आदम : चल ठीक है लेकिन चंपा तू अपना ख्याल रखा कर तूने टेस्ट तो करवाया ना

चंपा : हमेशा कराती हूँ डर मत कोई बीमारी नही मुझे मुझसे मिलके तुझे कुछ नही होगा

आदम : हाहाहा ऐसा नही है तेरा पूरा भरोसा है साली

चंपा : लेकिन दिल्ली जाके हमे भूल मत जाना

आदम : तू भूलने की चीज़ है तूने ही तो मेरी आँख खोली और मुझे तेरे जैसा मज़ा किसी औरत ने कभी नही दिया

चंपा : अब देगी ना तेरी माँ अंजुम तुझे मेरी याद मे चढ़ जाना उस पर

आदम : साली माँ है कोई रंडी नही

चंपा : हाहाहा

चंपा खूब हँसने लगी....पूरी रात उसने आदम के घर में गुज़ार दी....तभी बातों बातों में आदम को होश आया तो पाया कि 6 मिस्ड कॉल आए हुए थे फोन किसी अननोन नंबर से था....आदम को याद आया कि माँ ने उसके मुंबई वाले दोस्त का ज़िक्र किया था जो दिल्ली में रहने लगा है शायद उसी ने कॉल किया हो....

चंपा : कौन है यह?

आदम : है एक दोस्त इसकी भी कहानी मुझसे मिलती जुलती है सुनेगी

चंपा : पूरी रात है अगर गर्म हुई तो फिर मूड बना लेना

आदम : तू औरत नही काम देवी की मूरत है साली इतने ठरकी तो मर्द भी नही होते

चंपा ने प्यार से आदम के सीने पे सर रख लिया...आदम उसे उसके दोस्त के बारे में बताने लगा
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक ऐसा दोस्त जिसकी सोच बाकी लड़को से अलग थी....जिसकी माँ को अगर कोई बुरी निगाहो से देख भी ले तो उसकी आँख निकाल दे....इसी चक्कर में वो 2 बार थाने की चक्कर भी काट आया था.....महेज़ इसलिए कि उसकी माँ को उस मर्द ने बहाने से बस छू दिया था...इतनी बुरी पिटाई की थी उसकी नौबत पोलीस तक की आ गयी

आदम की दोस्ती में वो हर पल बस अपनी माँ की तारीफ करता था...उसकी माँ सोफ़िया भरे पूरे गठीले शरीर की औरत थी....उसने अपनी माँ की कुछ नंगी तस्वीरे भी दिखाई जिसे देखके आदम उसकी भावनाओ को बेहद अज़ीब से देखने लगा उसने आदम को अपना ख़ास माना था उससे कुछ छुपाया नही था राज़दार था आदम उसका....बातों बातों में आदम ने चंपा को बताया कि वो लड़का अपनी माँ से बेपनाह मोहब्बा करने लगा था और उसे माँ की निगाहो से नही बल्कि अपनी बीवी की निगाहो से देखने लगा था उसका अपना सागा बेटा होके कोई सोच भी सकता है...धीरे धीरे उसकी ये अब्सेशन की वजह से वो पागल सा होने लगा बाप बहुत पहले चल बसा था सुना था माँ के साथ वो अकेला घर में रहता था कोई कामवाली या बाहरी नौकर भी नही रखा था....

और एक दिन तो आदम डर गया जब उसने अपने दोस्त को अपनी माँ के साथ ही बिस्तर पे नंगा पाया था....अपनी माँ होके अपने ही बेटे के साथ जिस्मानी तालुक़ात उसने सिर्फ़ अँग्रेज़ी फ़िल्मो में देखा था वो लोग भी रोल निभाते है पर अपनी से आधी उमर में बड़ी एक औरत के साथ वो भी जिसने उसे पैदा किया कैसे उसकी माँ ने उससे संबंध?.....आदम का सर चकरा गया था उसे बेहद अज़ीब लगा था कुछ दिन तक तो वो उस दृश्य को अपने ज़हन से भी नही निकाल पाया...2 दिन तक उसने कुछ खाया पिया नही था.पर आज अयाशी के इस माहौल में उसे उस दोस्त की बड़ी याद आ रही थी....आदम को अहसास हुआ कि चंपा थक चुकी थी वो सुनते सुनते उससे लिपटी ही सो गयी उसकी गरम साँसें अपने सीने पे महसूस करते हुए आदम मुस्कुराया...पर वो पूरी रात सो ना सका बस उस दोस्त के बारे में ही सोचता रहा....

कल की थकान और चुदाई भरी रात के बाद मैं जल्दी जल्दी नाश्ता किए ऑफीस जाने से पहले एक बार रेलवे स्टेशन का सुबह सुबह चक्कर काट आया था....मालूम चला कि दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेन में वेटिंग लिस्ट चल रहा था....निराशा हाथ लेके मैं फिर ऑफीस आया मालिक साला दोपहर के वक़्त पधारा...मैने उससे फिर मीटिंग की...तो वो जैसे फिर मुझपे भड़का...किसी तरह वो राज़ी नही हो रहा था धौस दिखाने लगा कि मेरे जैसे बहुत लड़के घूम रहे है अगर मैं छोड़ता हूँ तो वेकेन्सी खाली देखते ही एंप्लाय्मेंट की लाइन लग जाएगी....वैसे भी छोटा शहर था इसलिए कमाई करने वालो की कोई कमी नही थी...

पर मेरी गुस्से की इंतेहा ना रही और मैने जल्दबाज़ी में उससे झगड़ा कर लिया..और खुद ही उसकी नौकरी छोड़के घर आ गया मेरा मूड बहुत खराब था...नयी नौकरी के लिए महीनो इंतेज़ार करना पड़ता...प्राइवेट नौकरी का यही हाल होता है लेकिन माँ बाप को सूचित करना मुझे ठीक ना लगा क्या मालूम डॅड भड़क जाएँ? या फिर कहें कि अपनी मर्ज़ी से वहाँ गया और वहाँ भी पटरी नही खाई जो वापिस आना चाह रहा है

लेकिन मैं माँ के पास जाने के लिए तय्यार था...इसलिए ट्रॅवेल एजेन्सी में बात की और आने वाली 10 तारीख का टिकेट कटवा लिया...मैं काफ़ी सोच में डूबा घर लौटा मूड बेहद खराब था...पर एक तरफ दिल का शैतान भी डोल रहा था और चंपा ने जो आग लगा दी थी मेरे लिंग में उससे तो मैं माँ को अब एक नये नज़रिए से देखने लगा था...

मैने चंपा को कॉल करके बता दिया कि मेरी नौकरी छूट गयी है तो हो सकता है कि मैं वापिस आ ना सकूँ तो मेरे लिए इन्तिजार मत करना और फोन पे तो बात होती ही रहेगी....चंपा ने मुझे हौसला देके कहा कि जाओ और किला फ़तेह कर लो....जो सुख वहाँ है वो यहाँ नही....पर अपनी चंपा को भूल मत जाना

आदम : साली तू क्या भूलने की चीज़ है?

चंपा : पर वापिस ज़रूर आना हो सके तो माँ को लेके ही आ जाना

आदम : देखता हूँ यार अगर ना मानी तो

चंपा : एक बार अपनी औरत बना लोगे तो फिर तो तुम्हारे साथ किसी भी जहांन वो चलने को तय्यार हो जाएगी मनाना तुम्हारा काम है और पटाना भी

मैं मुस्कुराया और चंपा से बात ख़तम किए फोन काटा...चलो 1 महीने तक का किराया तो पे था...पर बुरा लग रहा था खामोखाः महेज़ दिल्ली जाने के लिए मैं इतना उतावला हो गया कि काम भी दाँव पे लगा दिया..अगर बाबूजी को या किसी को भी बताना पड़ा तो यही कह दूँगा कि मालिक अच्छा नही था और कह रहा था धंधा अभी ठंडा है तो कुछ महीने शहर चले जाओ या फिर काम कहीं और ढूँढ लो....हो सकता था बाबूजी ताना ज़रूर देंगे कि देख लिया क्या फ्यूचर रहा? पर सह लूँगा अब कुछ पाने के लिए तो कुछ खोना पड़ता ही है और मुझ जैसे दीवाने बेटे को कुछ भी खोने का कोई गम नही था क्यूंकी चूत और गान्ड के लिए मैं पानी की तरह पैसा बहाता था

खैर ताहिरा मौसी या तबस्सुम को मालूम नही चला अभी हाथ में 10 दिन बाकी थे....बाहर निकल ही रहा था कि सुधिया काकी का फोन आ गया उन्हें बता दिया कि 10 दिन बाद थोड़ा घूमने दिल्ली जा रहा हूँ माँ ने बुलावा भेजा है हो सकता है कि मुझे बहुत महीने लग जाए आने में तो ताहिरा मौसी को समझा देना मैं उनसे इन 10 दिनो में मिल लूँगा...सुधिया काकी भी मान गयी पर उनका दिल थोड़ा मायूस हो गया पर तबस्सुम के लिए मैने उनसे 7 दिन का वक़्त ले लिया अब तो मैं फ्री था तो कभी भी उन्हें बुला ले....वैसे भी अकेला रहता हूँ कोई फिकर नही है...सुधिया काकी मान गयी...

घर को ताला लगाए मैं दोपहर बेला तक मोहोना ग्रामीण क्षेत्र के लिए बस पकड़ चुका था...हालाँकि बस में भीढ़ बहुत थी पर मुझे सीट पहले से मिल चुकी थी...खैर रूपाली भाभी के मायके मैं कुछ ही देर में पहुच गया...शहर से 5 किमी दूर था....मैं बस की भीड़ भाड़ को ठेलता हुआ उतरा...एक बार रूपाली भाभी को कॉल किया तो पाया कि उनका घर ठीक सामने के रास्ते की ओर पड़ता था...

थोड़े देर चलने पे ही मेरे सामने बड़ी सी हवेली मौज़ूद थी....और उसके ठीक सामने रोड क्रॉस करके उनका आम का बागान शुरू हो रहा था.....मेरे कुछ देर प्रतीक्षा के बाद गेट को खोलते हुए लाल रंग का सूट और मॅचिंग दुपट्टा पहनी रूपाली मुस्कुराते हुए चलके आई..."अर्रे आ गये तुम? आओ अंदर आओ अर्रे आओ ना यहाँ माँ बाबूजी है मेरे?"......

मैं अंदर आया तो पाया कि हॅंडपंप से पानी निकालते हुए एक धोती पहना खुले बदन वाला शक्स उठ खड़ा हुआ...वो मुस्कुराते हुए पास आया....उसकी मुन्छे थी और वो बार बार अपनी धोती को अड्जस्ट कर रहा था....उफ्फ लगता है साले का हथ्यार काफ़ी मोटा था जिसका उभार अंदर कुछ ना पहनने से बन रहा था...

उसने मेरी तरफ आते हुए मुझसे हाथ मिलाया "अर्रे आओ बाबू आओ अंदर आओ तुम तो हमारे जमाई बाबू के परिवार से हो आओ आओ"......उन्होने मेरे परिवार के बारे में पूछना शुरू किया...मैं उनसे बात करते हुए एक पल के लिए रूपाली की मज़ूद्गी का अहसास भुला चुका था...जब हम अंदर आए तो उसके बाबूजी ने अपनी बीवी को बुलाया...जो कि रूपाली की माँ थी....गोल गदराए बदन की जवान थी..उन्होने झट से मेरे लिए खातिरदारी के सारे इंतज़ाम शुरू कर दिए
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 01:08 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,487,804 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,933 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,226,554 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 927,640 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,646,318 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,074,116 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,939,956 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,020,671 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,018,418 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,639 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 16 Guest(s)