Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:25 PM,
#66
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
बेटे की ज़िद्द के आगे माँ क्या कर पाती?...खैर वो चुपचाप आँखे मुन्दे लेटी रही....बेटे ने पाजामा पूरा उतार दिया माँ ने ब्राउन रंग की पैंटी पहनी हुई थी...उसने दोनो टाँगों पे लगभग तेल डाला और जांघों की मालिश करते हुए घुटनो को मलने लगा....माँ को भरपूर आराम मिल रहा था और साथ ही साथ उसे महसूस हो रहा था अपनी टाँगों के बीच के अन्द्रुनि हिस्से में एक अज़ीब से अहसास का....टाँगों की भरपूर मालिश करते हुए आदम ने पाँव पे भी तेल गिराया और एडी तक को उठाए अच्छे से मालिश किया एक एक उंगली की....माँ बेटे के सामने तेल से लथपथ सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी....बेटे ने दोनो ने टाँगो को नीचे रख दिया और इस बीच उसके हाथ वापिस से पेट पे आए और नाभि को उंगली करने लगे..

."बेटा हो गया ना छोड़ ना अब".......माँ ने धीमे से कहा

आदम : क्या हुआ माँ तुझे अच्छा नही लग रहा ?

अंजुम : बहुत वक़्त हुए जा रहा है अब बस रहने दे अर्रे बेटा यहाँ क्यूँ हाथ दे रहा है (उसे अहसास हुआ कि बेटे ने अब उसके ब्रा के ठीक उपरी छाती के उभारों के ठीक उपर गले और छाती के हिस्से पे हाथ रख दिया )

अंजुम उसे मना करने लगी...पर आदम ना माना उसने थोड़ा सा तेल माँ की छाती पे डाला और वहाँ मालिश करने लगा बार बार उसका हाथ ब्रा मे क़ैद चुचियो से लग जा रहा था...फिर माँ के दोनो गले के हिस्सो से लेके कंधे को मालिश करते हुए आदम माँ को देखके मुस्कुरा रहा था

अंजुम : बेटा उफ्फ बेटा बस भी आहह सस्स (अंजुम की साँसें जैसे तेज़ हो उठी...उसने कुछ नही कहा फिर)

बेटा मालिश करता रहा....और ठीक इसी बीच जब उसे अहसास हुआ..तो पाया कि उसके दोनो ब्रा के उपर बेटे ने हाथ रख दिया था...."आहहस्स नहिी नहिी वहाँ नही बेटा वहाँ नही".....माँ ने बेटे से अनुरोध दृष्टि से कहा...

आदम को अहसास हुआ कि उसने अपनी माँ से कहा था कि उसका प्यार उसकी वासना नही...एकदम से आदम अपनी साँसों पे काबू पाता हुआ ब्रा में क़ैद दोनो चुचियो के उपर से हाथ हटा देता है माँ एकदम गंभीरता से उसे देख रही थी

वो मँफी माँगता हुआ अपनी साँसों पे काबू पाए कमरे से निकल जाता है...अंजुम को अहसास होता है कि उसकी टाँगों के बीच की पैंटी एकदम गीली थी....वो हैरत में पड़ जाती है कि ये उसकी ज़िंदगी में पहली बार था जब वो इतनी कामुक होके झड गयी थी....ये उसकी ज़िंदगी का पहला ऑर्गॅज़म था..वो भी उसके बेटे के हाथो के स्पर्श के बदौलत उसे काफ़ी अज़ीब सा लगा....बेटे के बाथरूम से निकलते ही वो फ़ौरन वैसी ही ब्रा पैंटी पहने बाथरूम में चली गयी...बेटे ने एक बार अपनी माँ अंजुम के जाने से उसके पीछे से हिलते नितंबो को पैंटी के उपर से ही घूरा...माँ नहा रही थी...

वो अपने पूरे बदन पे हाथ फेर रही थी...डॉक्टर की बात उसके बाद बेटे की मांलीश उसे धीरे धीरे उत्तेजित कर रही थी....मर्द का स्पर्श जो कि उसके बेटे के हाथों का था...कैसे वो खुद पे काबू नही रख सकी...उसने पाया कि उसकी पैंटी बहुत गीली थी उसमें सफेद वीर्य जैसा कुछ लगा हुआ था...उसने पैंटी वहीं फैकि और उसे अच्छे से धो लिया साथ ही साथ उसने अपनी चूत पे हाथ रखा जो एकदम गीली थी....बदहवास उत्तेजना से परिपूर्ण माँ नहा कर बाहर लौटी...वो बेटे से शरमाते हुए नज़र तक नही मिला पा रही थी....आदम ने कोई जवाब नही दिया माँ अंदर कपड़े बदलने गयी तो दरवाजे पे दस्तक हुई...अंजुम थोड़ी चौंक उठी उसने कपड़े लिए और दूसरे कमरे मे लेके चली गयी...

आदम ने दरवाजा खोला तो पाया उसका पिता बाहर खड़ा था....उसके बाद अंजुम खाना बनाने चली गयी....तो आदम कुछ देर चुपचाप रहा...फिर अंजुम ने आवाज़ दी...पिता जी टीवी पे न्यूज़ देख रहे थे दूसरे कमरे में....अंजुम ने नॉर्मली बर्ताव से उसका हाथ बटाने को कहा....आदम ने ठीक वैसा किया..उसे खुशी थी कि माँ को कोई चीज़ बुरी नही लगी थी....

दूसरा दिन नॉर्मल ही गुज़र रहा था....दोनो माँ-बेटे फिर एकदुसरे से बातों में लग गये ऐसा लग रहा था पिछली रात जो कुछ भी हुआ उसमें दोनो में से किसी को कोई बुराई ना लगी....आज आदम गया नही कहीं...उसने माँ के साथ पालक का साग तोड़ते हुए बातें शुरू की

आदम : माँ तुम वॅक्स क्यूँ नही करती? कितने बाल उगे हुए है बालतोड़ हो जाएगा

अंजुम : मैने बहुत पहले छोड़ दिया था असल में गाँठ बन गयी थी वहाँ पे इसलिए अंडरआर्म्स करना छोड़ दिया

आदम : समीर तो अपनी माँ को हर टाइम ब्यूटी पार्लर भेजता रहता है वो भी हमारी तरह रहते है बिल्कुल अलग और अकेले

अंजुम : तेरा समीर भी अज़ीब है तेरी तरह लेकिन सच में वो इतना सोफीया को तय्यार क्यूँ रखता है?

आदम : उससे मुहब्बत जो करता है दोनो माँ बेटे कम और मिया बीवी की तरह ज़्यादा रहते है

अंजुम : छी या अल्लाह एक माँ होके अपने बेटे

आदम : माँ इसमें क्या बुराई है? वो दोनो खुश है तू देखती नही कि दोनो एकदुसरे के बिना रह नही पाते एकदुसरे की खुशियो के लिए क्या कुछ नही कर गुज़रते

अंजुम : तो इसका मतलब क्या वो अपनी माँ के साथ हमबिस्तर होता है? (माँ जैसे सवाली निगाहो से पूछी थी)

आदम : ह्म कुछ ऐसा ही (अंजुम हैरत से सोच में पड़ जाती है फिर नज़रें इधर उधर करते हुए बेटे को हया भरी नज़रो से देखती है)
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