Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:25 PM,
#67
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम : तुझे ऐसा क्यूँ लगता है? क्या पता? ये झूठ हो

आदम : समीर मुझे सबकुछ खुल्लम खुला बताता है

अंजुम : या अल्लाह क्या बताता है तुझे?

आदम : तुम बुरा तो नही मानोगी ना

अंजुम : नही

आदम : तो ठीक है एक किस्सा सुनाता हूँ तुम्हें उन दोनो का (जैसे ही आदम कुछ कहने वाला होता है इतने में पास रखा फोन बज उठता है)

आदम पालक को छोड़ फोन रिसीव करता है "हेलो?"......."हां बेटा अर्रे कामून आछो? बाबू अर्रे हम बोल रहा है तुम्हारा अंकल मोर्तुज"......."अर्रे हां अंकल कहिए कैसे याद किया?"..........माँ बेटे को चहेकते हुए किसी से बात करते आश्चर्य भाव से देख रही थी....क्यूंकी फिर आदम उनसे बिंगाली में बात करने लगता है....मोर्तुज काका असल में तबस्सुम के पिता हैं....जिसको आदम ने प्रेग्नेंट किया था...अपनी तबस्सुम दीदी के पिता की बारे में आदम को इतना मालूम था कि वो काफ़ी अमीर थे और उनका बिज़्नेस लगभग आदम की तरह था

मोर्तुज काका : अच्छा बेटा मैं कह रहा था कि मैं दिल्ली आता रहता हूँ लेकिन कुछ दिनो पहले दिल्ली से घर लौट रहा था तो हार्ट प्राब्लम उठ गया था काकी शायद तुम्हें बताई नही होगी

आदम : ओह हो अंकल उफ्फ आप ठीक तो है? पर आप एकदम से आज मुझे कॉल?

मोर्तुज काका : कल हम तुम्हारे घर कॉल किया था? और तुम्हारी माँ से बात की तुम्हारे बारे में सुना था कि तुम इतनी अच्छी नौकरी पे यहाँ थे फिर एकदम से शहर आ गये माँ से मिलने तो अभी क्या हुआ फिर तुम वापिस नही आ रहे?

आदम : अंकल असल में माँ की इच्छा थी कि मैं किसी काबिल बन जाउ और वो नौकरी में मुझे छुट्टी नही मिल रही थी इस वजह से वो नौकरी लगभग छोड़के आना पड़ा

मोर्तुज काका : उफ्फ इतनी बड़ी बात हुई और तुमने मुझे बताया नही तुम्हारी माँ से बात करने के बाद तुम्हारी दीदी हां सुना तो होगा दो बच्चे जनम दिए उसने

आदम : अर्रे वाह काका बधाई हो (आदम मन ही मन इस खुशख़बरी को सुन काफ़ी खुश था वजह आप लोग जानते थे क्यूँ? )

मोर्तुज काका : ह्म बस बस सब उपरवाले का करिश्मा है

आदम : अभी उनका घर कैसा चल रहा है अंकल? (आदम को जानने की उत्सुकता थी)

मोर्तुज काका : किसका तुम्हारी दीदी तबस्सुम का बहुत अच्छा घर चल रहा है उसका ससुराल वाले तो बस हाहाहा उसे अपनी बेटी सा मानते है दामाद जी भी बाप बनने के बाद खुश है अब तो यहाँ गाड़ी से आती है तबस्सुम खुद ड्राइव करते हुए कोलकाता से हाहाहा बाबा खैर बेटा जो भी रहे तुम्हारे पिता हमसे बात नही करते तो तुम तो कम से कम यहाँ आते 1 साल से थे यहाँ इतने दिनो के बीच कभी ना कभी हमारे पास आते अर्रे हम तो खुद ही रेप्रेज़ेंटेटिव थे अब देखो हम खुद डिस्ट्रिब्यूशन मार्केटिंग का बिज़्नेस करते है

आदम : नही अंकल माफी चाहूँगा बस कुछ वजह थी असल में मैने आपका घर देखा हुआ नही था

मोर्तुज काका : अर्रे तुम्हारी तबस्सुम दी के साथ आ जाते वो तो यहाँ थी ना

आदम : नही अंकल सच में तबस्सुम दी से कभी कभी मुलाक़ात हुई थी और मैं उसके बाद ही घर चला आया था (आदम ने झूंट कहा था वो ये तक छुपाया कि वो 7 दिनो तक तबस्सुम दी से मिला था सच पे उसने परदा डालते हुए झूठ कहा)

मोर्तुज काका : कोई बात नही बेटा खैर घर का मामला घर के बड़ों तक रहने दो मुझे जानके बेहद खुशी हुई कि तुम मेरे फील्ड में हो खैर मैं चाहता था कि तुमसे बात करूँ मेरा माल दिल्ली से बेंगाल आता है ठीक है तो अब तो जैसा मालूम चला है तुम्हें कि मेरी हालात ठीक नही रहती तो जो काम तुम गैरो के लिए करते थे वो अपने घर के लिए एक मालिक की तरह करो देखो बेटा मेरा कोई बेटा नही है और तुम भी तो अपने घर के लड़के जैसे हो यहाँ तुम्हारी बुआ और मैं अकेले रहते है

आदम चुपचाप सुनता रहा...."तो यही मैं चाह रहा था.कि क्या तुम मेरे लिए काम करोगे?".....आदम को काफ़ी खुशी हुई उसने माँ से इशारो में कहा कि उसे नौकरी एक तरह से मिल रही है माँ ने तुरंत हां में जवाब देने को कहा...आदम को भी खुशी थी कि वो वापिस अपने होमटाउन जा सकता था

आदम : हां अंकल मैं तय्यार हूँ

मोर्तुज काका : वाहह यही मैं जानने को बेताब था मैं जल्द ही वहाँ दिल्ली आ रहा हूँ तुम्हारे घर हम वहीं बात करेंगे मैं तुम्हें काम समझा दूँगा और तुम फिर यहाँ से भी चाहो या दिल्ली से भी चाहो काम कर सकते हो पर दिल्ली लोंग पड़ेगा और बेंगाल से करने पे आसान है

आदम : ठीक है मैं तय्यार हूँ मैं वापिस अपनी जगह आ जाउन्गा आप फिकर ना करे

मोरटूज़ काका : अच्छा ठीक है बाबा ओके ओके बाइ बेटा थॅंक यू सो मच

आदम : बाइ अंकल

आदम खुशी से माँ के गले लग गया उसने माँ को तफ़सील से सारी बात कही...पहले तो वो हिचकिचाया फिर माँ ने उसके बढ़ते हौसले को देखा और कहा कि जब घर में ही नौकरी मिल रही है तो आगे चलके बिज़्नेस भी कर सकता है किसी का मोहताज नही बनना होगा...माँ ने बेटे से कहा कि वो वापिस अपने शहर चला जाए..लेकिन आदम माँ को छोड़ना नही चाहता था...माँ ने उसके हाथो में हाथ रखत हुए कहा

अंजुम : मैं नही कहती थी खुदा सब देख रहा है मेरी दुआ ज़रूर कबूल करेंगा

आदम : हां माँ खुदा ने आज मेरी सुन ली

अंजुम : चल ठीक है आज तेरे पिताजी को आने दे उनसे बात करती हूँ पर तू कुछ भी काम की बात नही कहेगा पहले काकु को आने दे उनसे जॉब फिक्स कर फिर काम समझ उसके बाद मैं खुद तेरे साथ तू जहाँ जाएगा वहाँ मैं जाउन्गी

आदम : ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी आज मुझे आपने दी है माँ आइ लव यू माँ आइ लव यू

अंजुम : आइ लव यू टू आदम (माँ ने एकदम से बेटे के होंठो को चूम लिया और उसके गले लिपट गयी आदम को अच्छा अहसास हो रहा था माँ के होंठो की चुंबन की जलन अब भी उसके चेहरे पे थी)
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