Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:29 PM,
#82
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
सुबह 9 बज चुके थे...और पति के जाने के बाद अंजुम रसोईघर में आके बर्तनो को मान्झ्ने लगी थी...मान्झ्ते वक़्त वो एक बार पीछे मूड के थोड़ा सा झाँकके बेटे के रूम को देख रही थी...उसने पाया बेटा अब तक घोड़े बेचके सो रहा था...अफ ये लड़का कितना आलसी हो गया? फिर माँ के दिल में आया बेचारे के पास है ही क्या? ना सर छुपाने के लिए अपना छत ना ही कोई संपत्ति ना ही कोई आशा ना ही कोई लाइफस्टाइल...उसका रावय्या हमेशा से अंजुम के लिए चिंता जनक ही रहता था कितना गुस्सैल था वो? और आज कैसे बड़ी बड़ी बातें करता है?...कितना बड़ा हो गया है ऐसे ख्याल रखता है उसका कि जैसे उसकी घरवाली हो

और एक उसका पति है जिसे अपने बीवी बच्चे से अलग होने का कोई दुख नही....अंजुम अपने पति को कोसते हुए काम कर रही थी....आज वो पति के ऑफीस के जाने के बाद सोई नही उसने अपनी नमाज़ पूरी की और फिर घर के काम काजो में लग गयी...जब वो फिरसे बेटे के रूम में आई तो उसने पाया कि बेटा आधी नगन अवस्था में सो रहा था....एक तो वो गर्मी ज़्यादा लगने की वजह से उपरी बदन पे कोई कपड़ा नही पहनता था और आज उसका पाजामा उसके पिछवाड़े से नीचे तक उतर गया था....नींद में इतना था कि उसे ख्याल नही.....आज पहली बार माँ की नज़र अपने बेटे की नंगी गान्ड पे गयी..जो कि बालों से भरी थी...अंजुम बार बार देख रही थी बीच बीच में लजाते हुए अपनी नज़रें फेर देती..लेकिन बार बार उसकी निगाह बेटे की नंगी पीठ से होते हुए उसकी गान्ड पे आ जाती..वो आगे बढ़ी उसने अपने दाँत पीसते हुए बेहद शर्मो हया में अपने बेटे के प्यज़ामे को ठीक करते हुए उसे उपर किया..जिससे बेटा एकदम से हरकत में आ गया और उसने लगभग माँ की कलाई पे हाथ रखा.....वो अधखुली आँखो से माँ की तरफ देखने लगा

माँ एकदम से उसकी पीठ पे चपत लगाते हुए उसे नज़ाकत से देखने लगी..

आदम : क्या माँ उफ्फ? तुमने जगा दिया

अंजुम : अर्रे ओ आदम कम से कम सोते वक़्त ठीक से कपड़े तो पहना कर तेरा पाजामा उतरके तेरी टाँगों के बीच में आ गया था...छी तेरा पाछा (आस) देख लिया मैने (माँ इतना कहते हुए शरमाते हुए हँसने लगी)

आदम : हाहाहा क्या माँ? तुम भी अफ (आदम ने अपने पाजामे को ठीक किया और उठ बैठा उसे अहसास हुआ कि वो सपना नही हक़ीक़त में माँ उसके बदन पे हाथ रखी थी लगभग पाजामा उपर खिसकाने के वक़्त उनका नरम हाथ बेटे की गान्ड पर से होता हुआ पीठ तक टच हुआ था)

अंजुम : अब चल ज़्यादा देर मत कर दोपहर सर पे है अब जल्दी उठ नाश्ता कर और थोड़ा फ्रेश हो जा और अपने कपड़े दे धोने है

आदम : तुम भी माँ इतनी सुबह सुबह सब करने लगती हो

अंजुम : अच्छा जी देर से सोयु देर से जागू पता है तुझे है मेरी कमर दर्द कितना बढ़ जाता है...उपर से अब तू ज़िम्मेदार हो गया है कल नौकरी करेगा ऐसे सोए पड़े रहेगा क्या?

आदम : अच्छा मेरी अंजुम मैं उठता हूँ

अंजुम : हावव माँ का नाम लेता है

आदम : क्यूँ मैं तेरा नाम नही ले सकता?

अंजुम : चल पगले उठ अर्रे हाथ छोड़ ना (आदम ने शरारत से माँ की कलाई पकड़ी...माँ अपने कलाईयों को छुड़ाने के लिए मरोडने लगी)

आदम : माँ आज तूने मेरी पसंद की चूड़ियाँ पहनी है

अंजुम को समझ आया कि बेटे ने उसकी कलाई क्यूँ पकड़ी? ...... बेटा की दिलाई हुई उसने चाँदनी चॉक से खरीदी वो लाल रंग की चूड़ियाँ पहनी हुई थी...माँ शर्मा गयी....बेटे ने उस पर हल्का सा चुंबन ले लिया

अंजुम : बस बस बहुत हुआ अब चलो उठो मुझे भूक लगी है बाबू (माँ ने बेटे के बालों पे हाथ रखके उसे झाड़ा)

आदम : अच्छा माँ उठ रहा हूँ चल

बेटा माँ के हाथो का सहारे लिए उठ बैठा और उसके कंधे पे अपना हाथ रखा....माँ ने कोई आपत्ति नही जताई...वो रसोईघर वापिस से चली गयी तो आदम बाथरूम....कुछ ही मिनट में ब्रश करके मुँह हाथ धोके आदम ने अपने गंदे कपड़े उतारके उसे टब पे रखा....वो रसोईघर में तौलिया लपेटे आया...उसने माँ की तरफ देखा जो उपर हाथ ले जाके सौंफ का डिब्बा उतार रही थी....वो एडियों को उच्काये हुए हाथ उपर ले जाने का प्रयत्न कर रही थी...

आदम : माँ वो उम्म नीला हाफ पॅंट कहाँ है?

अंजुम : अफ आल्मिरा में होगा देख ले ना?

आदम : अर्रे माँ पूरा अलमारी छान लिया कही नही मिली?

अंजुम : देख बेटा मैं अभी इस डब्बे को उठाने में लगी हूँ तू देख लेना

आदम : ठीक है माँ

आदम अभी दो कदम पीछे मुड़ा ही था कि इतने में वो वापिस मुड़ा....क्यूंकी डिब्बा जो काफ़ी उचाई पे था वो माँ को पाना संभव नही था हालाँकि उनके हाथ काफ़ी उचाई तक पहुचे थे पर उतने नही....उनकी उंगलिया कगार तक को छू रही थी....आदम माँ के पास आया करीब 1 उंगली के फ़ासले पीठ माँ की उसकी तरफ थी माँ पसीने पसीने हो रही थी...क्यूंकी रसोईघर में वो बहुत देर से काम कर रही थी..."बेटा तू मदद कर ना"...माँ ने आख़िर कह दिया....इसमें आदम को एक शरारत सूझी...और उसने बिना माँ को आभास कराए उसके नितंबो के नीचे से पेट तक अपने हाथो को लपेट लिया...इस हरकत से माँ बौखलाई...

"अर्रे अर्रे क्या कर रहा है उईइ माँ गिर जाउन्गीइ या अल्लहह आहह"....माँ चीख पड़ी बेटे ने उसे अपने बल से झुकाते हुए उसके नितंबो से लेके पेट पे हाथ रखके कस कर उपर उठा लिया..माँ उसके सहारे से उठने से काफ़ी उपर तक आ गयी...उसने फट से सौंफ की डिब्बी उठाई और काँपते हाथो से उसे लगभग नीचे गिरा डाला...."बाप रे बेटा मुझे उतार ना बहुत डर लग रहा है"........आदम हँसने लगा माँ को भयभीत देख...पर उसे अपनी माँ का गुदास नितंबो के बीच सर रखने में कोई हीचिकिचाहट नही हुई..बल्कि माँ के जंपर और पाजामा दोनो पसीने से भीगे थे

आदम : अर्रे माँ और कुछ है तो उठा के नीचे रख दे मैं तुझे आराम से पकड़ा हुआ हूँ
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