Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:29 PM,
#83
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम : बेटा तू मुझे नीचे उतार ना बस बस हो गया प्लज़्ज़्ज़

आदम : तेरे जैसी नाज़ुक औरत को मैं ज़िंदगी भर तक ऐसे अपनी गोद में उठाए थामे रह सकता हूँ

अंजुम सहमी बेटे के अपने पेट को लपेटे हाथो पे हाथ रखके कस कर पकड़ी हुई थी....बेटे ने जिस भाती उसे नितंबो से उठाया था फिर उसे वापिस नीचे उतारने लगा...इस बीच उसका तौलिया खुला और वो एकदम नंगा माँ को गोद में उठाए ठहर गया

अंजुम : क्या हुआ अब उतार भी?

बेटा झुक गया वो कैसे माँ को कहता कि नीचे उसका 8 इंच का लॉडा उसे उसकी माँ को गोद में उठाने से खड़ा है....उसके नितंबो को बीच बेटे का सर था इसलिए उसने धीरे धीरे माँ को उतारना शुरू किया जब माँ ने किचन सेल्फ़ पे हाथ रखा तो उसके जान में जान आई..वो पूरी तरीके से बेटे की गोद से उतर चुकी ज़मीन पे पाँव रख चुकी थी..उसकी जान में जान आई बेटा इस बीच पीछे होके तौलिया उठाने लगा

तो माँ जैसे पलटी तो वो सहन उठी बेटा पूरा नंगा उसके सामने झुका हुआ था और उसके टाँगों के बीच उसका लंड झूल रहा था वो उत्तेजित हालत में अंजुम को लगा....उसने फट से नज़रें फेर ली

अंजुम : उफ्फ इस लड़के का क्या करूँ? पहन जल्दी अपना तौलिया क्या करता है तू? ढंग से तौलिया बाँध नही सकता इतना बड़ा हो गया पर अकल रत्तिभर की नही तुझमें

आदम : हाहाहा सॉरी माँ वो बस ध्यान से हट गया मुझे लगा कि सौफ़ की डिब्बी उठाने में तुझे कही चोट ना लग जाए

अंजुम मन ही मन शर्मा रही थी उसकी निगाहो में बेटे का लंड घूम रहा था वो इस बात से परेशान हो गयी कि उस दिन के बाद फिर उसके ज़ज़्बात उमड़ रहे थे उसने अपने उत्तेजित होते दिल को संभाला और चुप सी हो गयी...आदम तौलिया लपेटे माँ को पीछे से अपने बाहों में भर लेता है...माँ उसके इस हरकत से आँखे बड़ी किए हड़बड़ा जाती है..."उफ्फ क्या कर रहा है छोड़ ना".....

"अर्रे माँ बस ऐसे ही तुझपे प्यार आ गया"...

."अच्छा नाश्ता तो बनाने दे फिर जी भरके प्यार कर लेना और अभी तूने कपड़े भी नही पहने तू जा"......

"अच्छा जाता हूँ".....आदम तौलिया ठीक किए वापिस रूम में चला गया

इस बीच अंजुम को अहसास हुआ कि बेटे के टाँगों के बीच जो लंड उसने फुरती से अपनी तौलिया लपेटके छुपा लिया था वोई उत्तेजित लंड उसे अपने नितंबो के बीच कपड़े के उपर से ही चुभता महसूस हुआ...वो जानती थी बेटा उत्तेजित हो जाता है इसलिए वो खुद पे संयम नही पा पाता और अंजुम के साथ ऐसी हरकत कर बैठता है...लेकिन आज अंजुम को बेटे के उत्तेजित लंड और उसके स्पर्श से ही उत्तेजना अपने तन बदन में महसूस हो रही थी..."उफ्फ ये मैं क्या सोचने लगी छी नही मैं आदम को समझाउंगी मैं उसकी माँ हूँ माना मैने उससे वादा किया था उस दिन पर नही अगर मैं उसे कुछ कहूँगी नही तो खामोखाः फिर उदास हो जाएगा या अल्लाह किस दुविधा में फस गयी हूँ मैं"........अपने आप को कोसते हुए अंजुम थोड़ी परेशान सी हुई

जब वो बेटे के साथ नाश्ता कर रही थी...तो उसने पाया बेटा उससे नॉर्मली बात चीत कर रहा था...अंजुम भी एक पल को सब भूल गयी और वो भी नॉर्मल उससे बातें करने लगी...दोनो हेमा और उसकी दोनो बेटियो की बात कर रहे थे..उसका दिल उस दिन के बाद खुद को कोस रहा था कि शायद हेमा का उसने ज़्यादा दिल दुखा दिया...पर आदम ने उसे गिल्ट करने से मना किया उसने समझाया कि ग़लती उसकी भी थी..खैर वो सब बातें अब तू भूल जा और अब आगे की सोच...अंजुम भी भूल गयी थी कि उसे अपने बेटे के साथ दिल्ली छोड़ना था...आदम ने नाश्ता ख़तम किया माँ को टिकेट्स दिखाई...माँ उससे उसके काम काज और घर जो उसके काका ने मूहाय्या कराया था दोनो के लिए उस विषय पे चर्चा करने लगी...

आदम : तू फिकर मत कर माँ बस एक बार हम बाबा को छोड़ दें और एक साथ रहने लगे फिर देखना पिताजी खुद पे खुद तेरे पाँव पे गिरके आएगा

अंजुम : बेटा इतने सालो से साथ थे हम मुझे भी तेरे पिता से ना जाने क्यूँ इतनी नफ़रत सी होने लगी है....कभी समझे नही हम लोगो को

आदम : तू फिर दुखी होने लगी क्या फायेदा? उस आदमी का सोचके जिसे हमारी रत्तिभर परवाह नही मानता हूँ उससे मैं पैदा हुआ पर क्या सुख मिला तुझे? तू ही बता एक बार भी उसने हमारे लिए कुछ सोचा क्या कर रखा है उसने?

अंजुम : ठीक है बेटा तू नाराज़ मत हो गुस्सा थूक दे मैं भी देखती हूँ उस आदमी को कितने दिन अकेले खाता पीता है आज जो यहाँ का मुँह देख रहा है मेरी वजह से वरना किसी जुआरी और कर्ज़ख़ोर से कम नही था वो इंसान (अंजुम ने जैसे घृणा भरी नज़रों से कहा)

आदम ने अंजुम के चेहरे को सहलाया...और दोनो एकदुसरे के गले लग गये...आदम ने अंजुम की पीठ को सहलाया और उसके लगभग पीठ पे चूम लिया.....अंजुम से अलग होते ही आदम बाहर चला गया....अंजुम ने उसे प्यार से देखा जैसे उसे कितना प्यार उस पर आ रहा हो..अगर आज वो सहारा ना बनता तो पति कबका उसको घर से निकाल देता...उसे खुशी थी उसके पति का घमंड गुरूर आदम ने एक ही बार में सब चकनाचूर कर दिया था...

दिन कटने लगे.....शिफ्टिंग वालो को उनके पिता ने बुलाके जितने सामान थे सब सामान ट्रक्स में लोडेड करवाना शुरू किया...कुछ सामान उन्होने बेच दिया और कुछ को उनके नोएडा वाले किराए के कमरे में भेज दिया....आदम ने भी अपने सामान को बाँधना शुरू किया और उसे एक जगह रख दिया....माँ चुपचाप समान को जाते देख रही थी उसे बेहद बुरा लग रहा था...आदम जो टेप लगा रहा था वो सामान में टेप लगाते हुए माँ को ज़ज़्बाती होता देख उनके पास आया और उसने माँ के दोनो कंधो को पकड़ा और मुस्कुराया...जैसे वो माँ को हौसला दे रहा था....माँ भी मुस्कुराइ अब उसे पीछे मूड के देखने की कोई ज़रूरत नही था....

बस अब कुछ दिन ही रह गये थे....पिता ने उससे सवाल किया कि वो कब जा रहा है? तो आदम ने उसे टिकेट्स दिखाए पिता ने उसे ले जाते अपने सामान को देखा खर्चे के बारे पूछा नही जानते थे ना बेटा उस पर उन्हें हाथ रखने देता ना ही उन्हें बेचने..क्यूंकी वो सामान सब उसकी ज़रूरत के थे और वो उन्हें अपने साथ होमटाउन ले जा रहा था....

समीर की मदद से आदम ने अपने सामान को होमटाउन भिजवाने के लिए ट्रांसपोर्ट वालो को दे दिया...जो सामान लेके होमटाउन के लिए निकल चुके थे....समीर ने उसे बताया कि जब वो वहाँ पहुचेगा उसके ठीक दूसरे दिन ही वो सामान सारे बताए पते के अनुसार उसके घर के पास ट्रक के साथ आ जाएगा....आदम ने समीर की मदद का काफ़ी शुक्रियादा किया..पर समीर ने उसके पीठ पे थापि मारते हुए कहा भला वो उसके काम नही आएगा तो कौन आएगा?....

समीर : खैर तो आंटी और आदम तुमको मेरे घर आना पड़ेगा...इतने दिनो बाद आप लोगो से मुलाक़ात हुई और इस तरह अचानक यूँ आप लोग घर छोड़के जा रहे हो मुझे बुरा लग रहा है

अंजुम : कोई बात नही बेटा तुम भी आना और तुम सोफीया के साथ ही आओगे पर मुझे आदम ने बताया कि तुम जा रहे हो

समीर : हां आंटी बस अगले साल ही तो मैं चला जाउन्गा अब वैसे भी यहान रहके क्या दोस्त भी नही यहाँ रहेगा और माँ भी कह रही है कि उन्हें यहाँ अच्छा नही लग रहा कोई है नही ना अपना उनकी सहेलिया भी उधर ही मुंबई में है और हम तो वहीं के थे सो

अंजुम : आइ आम सॉरी बेटा कि हमारी वजह से तुम

समीर : नही नही आंटी मैं तो आदम का कॉलेज से ज़रूर दोस्त बना पर सच में ऐसा लगता है जैसे एक ही कश्ती के दो सवार हों
!
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 01:29 PM

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