Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:32 PM,
#99
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम को मैं शांत करने लगा मैं उसके चेहरे के पसीने को पोंछते हुए उसके माथे पे हाथ फैरने लगा उसके बालों को सहलाने लगा वैसी ही मुद्रा में कुछ देर रुका रहा पर लंड बाहर नही निकाला...इन सब हालातों के बीच मेरा लंड धीरे धीरे छोटा होने लगा तो मैने फिर से कुल्हो में ताक़त भरते हुए माँ की टाइट गान्ड को चोदना शुरू किया...इस बार थोड़ा आहिस्ते से अंदर बाहर कर रहा था पर करारे धक्के 3-4 धक्को के बाद गहराई तक मारता तो माँ के मुँह से आअहह का स्वर फुट पड़ता और उनका पूरा बदन काँप जाता उनके नितंब भी हिल जाते...

समय बहुत बर्बाद किया माँ को चुप करने समझाने और गान्ड मरवाने तक के लिए...ऐसा लग रहा था जैसे किसी कुँवारी बीवी की चुदाई कर रहा हूँ..उफ्फ इतना मज़ा तो किसी औरत को चोदते वक़्त भी नही आया था....खुशी थी कि माँ पूरी अब मेरी हो चुकी थी..

मैने माँ के पेट को सहलाते हुए नीचे से माँ की कमर पे ज़बरदस्त हाथो की पकड़ बिठाई रखी ताकि माँ मेरी पकड़ से छुट ना जाए...वो हांफें जा रही थी और मेरे लंड की रगड़ाई को अपनी गान्ड के भीतर अंदर बाहर महसूस करते हुए चुद रही थी..."ओह्ह ओह्ह हॅम आहह उःम्म्म आहह"........उस आवाज़ में दर्द और मज़ा दोनो बराबर था...उफ्फ माँ का यूँ कॉपरेट करना किसी आग्यकारी बीवी की तरह मुझे बहुत भाया और मेरी हसरतों का सैलाब लंड की अकड़न के साथ लावा बनके फुट पड़ा और माँ की गान्ड में फारिग होता चला गया...

माँ को अपनी गान्ड के भीतर गरम गरम बेटे के वीर्य का अहसास होने लगा..वो इस चुदाई से बहुत थक चुकी थी....वो काँपते हुए बिस्तर पे ढेर हो गयी मेरी पकड़ की ढीली होते ही...और फिर मैं भी उस पर ढेर हो गया...जब धीरे धीरे अपने गीले वीर्य से भरे लंड को गान्ड की दरारों से बाहर खींचा तो छेद मेरा गाढ़ा वीर्य उगलने लगा...माँ की गान्ड का छेद एकदम ओ शेप में एकदम खुल सा गया था उफ्फ ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसमें ड्रिल मशीन घुसा दी हो माँ का पूरा बदन काँप रहा था...

कुछ देर सुसताने के बाद उठा पेशाब किया अंदर आया फिर गरम पानी किया उसे गुनगुना होने दिया....फिर उसमें कपड़ा डालके उस गीले कपड़े से माँ की गान्ड के छेद को सॉफ करने लगा हल्का सा माँ का खून निकल गया था...माँ की गान्ड को बिल्कुल सॉफ करने के बाद मैने उसकी गान्ड पे एक हल्का सा चुंबन लिया फिर फारिग होके उसके बगल में आके लेट गया...वो कस कर मुझसे लिपट गयी....शाम को जब नींद खुली थी तो बेहद नाराज़ थी मैने उसे बहुत मनाया पर ना मानी बहरहाल उसे अपने साथ ले गया और उसकी पसंद की एक महेंगी बनारसी साड़ी खरीदके दी....वो इस साड़ी के लिए ना जाने कितने सालो से . थी....

उसकी चाल थोड़ी धीमी थी वो टाँग खोल खोल कर चल रही थी इसलिए मैने मार्केट से लेके घाट तक के लिए ऑटो ले लिया था..ताकि उसे कोई दिक्कत ना हो...हम घर आ गये आज बाहर से रात का खाना ले आए थे मिलके दोनो माँ-बेटों ने खाया फिर माँ ने मेरे सामने ही अपने कपड़े पहने फिर आयने की तरफ बार बार खुद को निहारा वाक़ई उस बनारसी साड़ी में माँ कहर ढा रही थी...ऐसा लगा अभी उसे अपने आगोश में भर लूँ पर काबू पाना था अपनी ज़ज़्बातो पे...

उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मैने पाया कि उसके दिल की जैसे खुशी उसके चेहरे में सिमटी हुई सी थी उसने पास आके मेरे चेहरे को चूमा....और माँ मेरे सीने से लग लग गयी....हम दोनो फिर प्यार भरी बातें करने लग गये

आदम : मैने कहा था ना तुझे कि मैं दुनिया की तुझे सारी खुशिया दूँगा बस अब तुझे ऐसे ही खुश रहना है

अंजुम : मैं बहुत खुश हूँ सोची थी कि तेरे साथ कैसे यहाँ बंगाल में अड्जस्ट करूँगी पर तूने तो मुझे इतनी खुशी दी की अब दिल्ली जाने का भी मेरा कोई मन नही कर रहा

आदम : हाहाहा अब तुझे मैं जाने भी नही दूँगा अब तुझे मेरी बनके रहना है सिर्फ़ मेरी (उसने मेरे कंधे पे अपने दोनो बाज़ू रखे वो साड़ी पहनी थी और मेरी गोदी में बैठी हुई थी)

अंजुम : लेकिन वाक़ई तू मुझे संतुष्ट करता है आदम तूने मुझे फिज़िकली और फाइनेन्शली वो खुशिया दी है जो मैने कभी अपनी ज़िंदगी में कभी उम्मीद भी नही की

आदम : हाहाहा एक बेटे का धरम होता है कि वो अपनी माँ को खुश रखे और माँ का हक़ पराई औरतो से पहले बीवी से पहले यहाँ तक बहनों से भी पहले अपने बेटे पे होता है और मैं तो तेरा मर्द हूँ अब इसलिए क्यों इतना सोचा

अंजुम : अच्छा बाबा अब ये कहो कि आप मुझसे क्या चाहते है?

आदम : मेरी फरमाइश तो तू पूरी कर ही देती है अब मैं तुझसे क्या और क्यूँ चाहूं

अंजुम : फिर भी

आदम : ह्म सोचने दो आजसे तू अपने आर्म्पाइट्स के बाल सॉफ नही करेगी मैं चाहता हूँ कि तू साड़ी के अंदर कोई ब्रा पैंटी ना पहने अगर पहने भी तो तब जब मैं तेरे साथ रोमॅन्स करूँ तू घर से बाहर कही नही जाएगी और अगर जाएगी तो मुझे कह कर ऐसे बिल्कुल नही और हफ्ते में तुझे जो कुछ ब्यूटी पार्लर से करना है करना समझी मुझे तू एकदम मस्त आइटम दिखनी चाहिए

अंजुम : अजी और कोई फरमाइश जहांपनाह?

आदम : बस इतना ही

अंजुम : हाहाहा लेकिन बगलो के बाल से तुझे क्या है?

आदम : तेरे बगलो में जब पसीना आता है तो मुझे अच्छा लगता है मुझे उसमे नाक डालके सूंघने का दिल करता है और ये सब निशानिया देसी औरतो की होती है तभी तो मज़ा आता है और मुझे ये पुरानी अदायें ही भाती है मेरी नयी बोतल पुरानी शराब

अंजुम : हाए अल्लाह तू मुझे शराब कह रहा है छी छी कैसी गंदी बात कहता है हाहहाहा (माँ लगभग शरमाते हुए मुँह पे हाथ रखके हंस पड़ी)
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