Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 01:33 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ और मेरी ज़िंदगी काफ़ी हँसी खुशी कट रही थी....ना उसकी ज़िंदगी में कोई दुख था ना दर्द अब वो जैसे कष्टमुक्त थी...अभी उसे प्यार करने वाला उसका बेटा हरदम उसके साथ था उसके पास था...उसने कभी ख्वाबो में भी ये ना सोचा होगा कि बेटा कुछ इस तरह उसका यूँ दीवाना हो जाएगा...उसकी चाहत का जुनून सारी हदों को पार कर देगा और सारे रिश्तो की सीमा लाँघ देगा...

मैने माँ को हर मुमकिन वो खुशिया दी थी कि जिससे उसकी झोली भर जाए...जो ज़िंदगी उसने सुहागन होने के बाद बाद भी ना जी थी...उन ख्वाहिशो को मैने एक ही झटके में उसके कदमो पे लाके दिया था...उसे हर सुख प्राप्त था...कोई कमी बाकी नही थी उसके बेटे के प्यार में....वो भी अपने बेटे को तंन मन से अपना सबकुछ मान चुकी थी....जिसे उसने नौ महीने तक कोख में रखा था आज वोई बेटा उसकी ज़िंदगी भर का साथ देने के लिए उसका हाथ थामें था....ये अटूट रिश्ता ये प्यार किसी के समझने की बात नही थी..



माँ मेरी बीवी थी और बीवी पे उसके मर्द का पूरा हक़ होता है कि चाहे वो जैसे भी उसे रखे....माँ को मैने हर सुख के साथ रखा हुआ था....अब वो सुहागनो की तरह तय्यार रहती थी महेंगी से महेंगी साड़ी,साज शृंगार का सामान सबकुछ था उसके पास....हर दिन नये नये रंगो की कलाईयों में चूड़ियाँ डाले रखती थी तो बेटे के दफ़्तर से पहले ही तय्यार होके अच्छे कपड़ों में उसका इंतजार करती थी.....जब मुझे माँ का सुख मिलना प्राप्त हुआ और उसके जिस्म के भोग लेने का आनंद भी तो धीरे धीरे मेरे अंदर भी बदलाव आने लगा और मैं अब काफ़ी सेहतमंद एकदम तंदुरुस हो गया...

माँ मुझे अच्छी खुराक देती थी...मैं माँ के हाथो से ही खाना ख़ाता था...और रात को ऑफीस से आने के बाद उसे अपने हाथो से डिन्नर करवाता था....सनडे को हम किसी मिया बीवी की तरह एक साथ निकालने जाते थे.....मैं माँ को घर में काफ़ी तय्यार रखता था...रंग बिरंगी हाथो में चूड़ियाँ साड़ी पहनाने की आदत डलवा दी थी की अक्सर वो घर में बहुत ही खुले गले तो कभी बाज़ू कट ब्लाउस वाली के साथ मॅचिंग या ट्रॅन्स्परेंट एकदम सेक्सी सी साड़ी पहना करती थी....अब तो उसका बदन एकदम निखर गया था...बाल एकदम घूंघुराले जो थे उसे बार बार ब्यूटी पार्लर जाके माँ ने सीधा करवा लिया था....बाकी टाँगों के और हाथो के बालो की वॅक्स वो घर में कर लिया करती थी ये उसके बेटे का उसे ऑर्डर था

बाकी कांख के बाल को मैने कैची से एक रात चुदाई से पहले छांट के एकदम छोटे छोटे कर दिए थे अब उनके उगने से पहले मैं अक्सर ऐसा ही कर दिया करता था...बाकी उसकी झान्टेदार चूत को सॉफ मैं खुद करता था....मैने बॉडी शेविंग ब्लेड सॅंपल से मंगवा ली थी मैं खुद माँ की टांगे चौड़ी किए उसकी बालों से भरी चूत को खुद सॉफ करता था...क्यूंकी अक्सर चुदाई के वक़्त वो मुझे बड़े चुभते थे....अब माँ की गुलाबी चूत एकदम सॉफ और चिकनी नज़र आया करती थी....कभी कभी जब मैं नोटीस कर लेता था कि चूत में फिर हल्के हल्के रोयेदार बाल उग रहे है तो तुरंत उन्हे झान्ट बनने से पहले ही सॉफ कर दिया करता था....एकबार एजेंट ने बताया कि बांग्लादेश से कुछ फॉरिन प्रॉडक्ट्स आए है उनमे से एक ब्रेस्ट मसाज क्रीम भी आई है...मैने उसका एक सॅंपल टेस्ट करने के लिए अपने पास रख लिया था...

और लगभग 10-15 दिन माँ की मालिश करते वक़्त मैं उसकी नंगी छातियो पे वो क्रीम लगाके माँ की चुचियो को भरपूर उनसे मालिश करता था...करीब कुछ एक महीने में ही माँ को फरक पड़ गया...और उसकी चुचियाँ करीब 37 इंच तक की हो गयी उफ्फ अब माँ एकदम भर जवानी औरत लगती थी साड़ी में तो मैं खुद पे काबू नही कर पता था इसलिए अक्सर उसे दिन के वक़्त सूट ही पहने रहने को कहता था....माँ भी मेरी हां में हां मिलाए रहती थी...हमारे यहाँ से नानी होके गयी मामा मामी भी होके गये थे वो बेहद खुश थे की हम माँ-बेटे कितनी खुशी से एक दूसरे के साथ वक़्त बिता रहे थे...सच पूछो तो उन्हें अपनी अंजुम के बारे में कुछ मालूम ही नही था और ना ही अपने नाती के बारे में

उनकी वजह से कुछ दिन तन्हाई में गुज़ारने पड़ते और उनके जाने के बाद हम दोनो के बीच फिर वोई चुदाई का खेल शुरू हो जाता...हम एकदुसरे के बगैर रह नही पाते थे..हमे किसी चीज़ की ज़रूरत नही थी..धीरे धीरे मैने टाउन में ही एक फ्लोर खरीदने का सोचा और माँ को ये खुशख़बरी सुनाई वो तो पहले से ही काफ़ी खुश थी हमेशा मेरे लिए खुदा से दुआ मांगती थी...मैने बताया कुछ दिन यहाँ आराम से रह ले फिर उसके बाद वहाँ प्युरे तस्सली के साथ खरीदके हम माँ-बेटे वहाँ शिफ्ट हो जाएँगे....माँ ने हामी भरी.....लेकिन मेरे दिल में एक और बात घूम सी रही थी...और वो बात थी माँ से शादी की इच्छा प्रकट करना..लेकिन क्या माँ तय्यार नही होगी? क्यूँ नही होगी? अब हमारे बीच फ़ासले और रह कितने गये? पिताजी को छोड़े माँ को करीब 1 साल होने को है...अब तो पिता जी का इतने सालो के बीच एक कॉल भी ढंग से नही आया....अब उन्हें क्या परवाह? भला वो हमारी ज़िंदगी में झाँकने क्यूँ आएँगे? लेकिन जो भी रहे माँ को पहले रज़ामंद करना होगा फिर उसके बाद ही मैं अपनी इच्छा जाहिर कर सकता हूँ ताकि माँ की मंज़ूरी मिल जाए...मैं बेहद खुश था नये नये सपने सॅंजो रहा था.....

आदम और अंजुम की ज़िंदगी का ये वो मोड़ था कि जहाँ खुशियो ने उनकी ज़िंदगियो पे दस्तक दी थी इस तरह उनकी दास्तान में ऐसा पड़ाव आया कि वो सारे रिश्ते नाते लाज़ शरम पाप पुन्य की बात सबकुछ भूलके सिर्फ़ एकदुसरे के हो गये....आस पड़ोस की औरतें छोटी सोच वालियाँ थी इसलिए उन्हें बेटे का हर दम माँ के पीछे पीछे रहना अज़ीब लगता था हैरत होती थी पर कोई उनपे उंगली नही उठा सकता था....बस मन में यही विचार आता..."इस्सह कैसा ये रिश्ता है? माँ के पीछे ऐसे घूम रहा है जैसे उसका ख़सम हो".......और ये सच भी था क्यूंकी दोनो अगर कहीं जाते भी थे तो इकट्ठे किसी कपल की तरह.....इसी बीच आदम ने काफ़ी सेक्सी सेक्सी ड्रेसस समीर के एक बार बताए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से माँ के लिए खरीद ली....उफ्फ उन कपड़ों में माँ कितनी हॉट लग रही थी....

आदम ने माँ की हर पोज़ में एक एक तस्वीर निकाली थी....और उन्हें बड़े संभालके अपने पास रखा था....वो जब भी ऑफीस भी जाता तो उन तस्वीरो को अपने स्मार्ट्फोन पे देखके आहें भरता था जिसमें माँ छोटी लाल मिनी स्कर्ट पहनी घुटनो तक...तो कही फिते वाली टॉप नीली रंग की...तो कही उसने बॅकलेस पूरी पीठ खुली एक सेक्सी सी ड्रेस पहनी पॉज़ दी हुई थी...38 साल की उमर हो चुकी थी लेकिन अदायें एकदम कातिल एकदम 22 साल की लड़की की तरह उनका फिगर था...बस अगर कोई पेट पे गौर करे तो स्ट्रेच मार्क्स को देखने से ही उसे एक बच्चेदार शादी शुदा औरत आराम से समझ जाए....गले में उमर होने से हल्की सी झुरिया दिखती थी वरना उनकी उमर में धोका खा जाए ....आदम को अपने से बड़ी उमर की औरतें जिन्हें अँग्रेज़ी में मिलफ कहाँ जाता है काफ़ी पसंद थी...क्यूंकी उसने नोटीस किया कि उसके आस पास की रहने वाली औरतें जो साड़ी में टहलते हुए आया जाया करती थी रोड से उन लोगो के ज़्यादातर बाल खुले ही रहते थे वो लोग कोई आँचल नही करती थी...उनके ब्लाउस से ही उनकी छातियो का उभरापन सॉफ दिखता था....आदम उन्हें हरपल घूर्रता रहता था...और फिर घर आके अपनी पर्सनल मिलफ को एकबार निहारता था कोई भी ऐसी रात नही थी कि जब दोनो अकेले हो और एकदुसरे से तन्हा रह जाए....हर सुबह गंदी चादर उनके प्रेम प्रसंग का सबूत देता था ....
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