Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ के शरीर में ऐंठन को महसूस करते ही मैने कस्स कस कर उसे चोदना शुरू कर दिया अब रफ़्तार इतनी तेज़ थी कि मालूम ना चलता कि लंड अंदर जा रहा है कि बाहर मैं मशीन की तरह चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था मुझे लगा कि कही मेरा ही ना निकल जाए इसलिए झट से अपने लिंग को बाहर निकाल खीचा...

इससे माँ तड़प उठी और उसकी चूत ने एक पानी का जैसे फवारा छोड़ दिया इस बीच माँ खुद ही अपने दाने को हाथो से रगड़ने लगी...."आहह आआआआअहह".......माँ दहेक उठी और उसकी चूत ने बेतहाशा पानी छोड़ दिया...जो उसकी जांघों चूत और फर्श को गीला करते चला गया उसके बाद वो शिथिल पड़ गयी और उसकी टांगे काँप उठी..जैसे उसमें जान ना हो...

वो वैसे ही पश्त पड़े हाफने लगी....मैने उसकी चूत को मुट्ठी में लिए दबाए रखा और फिर उसे दो तीन बार कस कर मसला...तो माँ मेरे सीने पे पाँव रखके मुझे जैसे धकेलने लगी कि बस बहुत हो गया अब और सहने की उसकी शक्ति नही...पर मैं रुका नही चूत को दबाए मुट्ठी में...मैं उसे तडपाता रहा जब वो फिर ऐंठी तब मैने उसकी चूत पर से हाथ हटाया माँ फिर पश्त पड़ गयी..

मैं उसकी चूत से बहते सफेद पानी में अपना मुँह लगाके उसे चाटने लगता हूँ जब उस नमकीन स्वाद को चख लेता हूँ तो चूत को हाथो से ही सॉफ किए उठ खड़ा होता हूँ इस बीच मैं माँ को दोनो हाथो के सहारे उठाता हूँ फिर उसके मास्क के छेद से ही उसके होंठो को चूसने लगता हूँ माँ को मेरे मुँह में अपनी चूत के रस का स्वाद लगता है पर उस वक़्त वो मदहोश होती है हम दोनो एकदुसरे को स्मूच कर रहे थे...मेरी ज़ुबान माँ के मुँह में होती है जिसे वो चुस्के फिर मेरे दोनो होंठो को चुस्ती है...फिर मैं उसके चेहरे से खुद के चेहरे को अलग करता हूँ

फिर अपने वज्र जैसे खड़े लंड को उसके मुँह में दाखिल करा देता हूँ...उसे थोड़ा समय लगा मेरे मोटे लंड को चूसने में लेकिन मैं उसके सर को पकड़े जैसे मैने अपने लंड को उसके हलक तक डाल रहा था जिससे वो परेशन होके छटपटाने लगी...उसकी आँखे आँखे बड़ी बड़ी सी हो गई..

आदम : दिस ईज़ कॉल्ड डीपतरट बेबी

इतना कहते हुए मैने लंड उसके मुँह से बाहर निकाला तो उसने साँस भरी...फिर खुद ही मुझे देखते हुए मेरे लंड को मुँह में लेके चूसा..."ऐसे नही जान ज़ोर से कस कर".......माँ एकदम कस कस के गुस्से में ही जैसे मेरे लंड को चूसने लगी इतनी ज़ोर ज़ोर से जल्दी में कि मेरा लंड जैसे उसके दाँतों से घिसने लगा मैं खुद ऐंठ गया उसे रोकना चाहा पर वो साथ साथ मेरे अंडकोष को भी जैसे मसल रही थी...

माँ मेरे लंड को बराबर चुसते हुए अपने मुँह से अलग करती है..."अब थुको"....माँ अपने होंठो पे लगे थूक को पोंछते हुए मेरे थूक से सने लंड पे और अपना थूक डालती है और उसे चिकना करती है फिर बेतरतीब ढंग से आगे पीछे मसल्ति है..."उफ़फ्फ़ आहह एसस्स येस्स लाइक दट वे ओह्ह येअह्ह्ह".......माँ मुझे सिसकते हुए देख लंड को और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगती है इस बीच उसकी ज़ुबान मेरे सुपाडे के इर्द गिर्द चल रही होती है जिस अहसास से मैं काँप उठता हूँ....कि अब निकला कि तब?...माँ मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर उगल देती है जिससे माँ के मुँह का लार गिर रहा होता है..

मैं माँ को बिस्तर पे सीधा ही सही पर अपनी तरफ उल्टा लेटा देता हूँ और अपने भारी भारी चूतड़ उसके चेहरे के नज़दीक लाता हूँ वो हंसते हुए मेरे चुतड़ों को धकेलने लगती है पर मैं नही मानता...."कर ना".......

"नही हो पाएगा छी".......

"मैने भी तो तेरे साथ किया".........

"पर तेरी बात जुदा है ना".....

."चल फिर चूम ही ले"........

"ठीक है"....माँ हंसते हुए मेरे दोनो चूतड़ पे अपने दाँत गढ़ाती है तो मैं आहह भरके हंसता हूँ

माँ फिर दोनो चुतड़ों पे एक एक चुंबन देते हुए मेरे...मेरे छेद में एक उंगली डाल देती है जिस अहसास से मैं रोमांचित हो उठता हूँ उफ्फ कभी किसी औरत ने मेरे वहाँ अपनी उंगली नही प्रवेश की थी..वो कस कर डालती है तो मुझे दर्द होता है....तो मैं उसे ठहरने को कहता हूँ फिर उंगली करने को बोलता हूँ ऐसा करते हुए वो आराम से मेरे छेद से उंगली अंदर बाहर करने लगती है फिर मेरे छेद पे डालते हुए वहाँ हल्का सा अपनी नाक रगड़ती है...फिर मेरे चुतड़ों को भीचने लगती है....

कुछ देर में ही मैं माँ को उसी पोस्चर में अपने बाज़ुओ में जकड़ते हुए उठा लेता हूँ अब स्टॅंडिंग 69 पोज़िशन जैसा कुछ माहौल था....माँ के हाथ तो बँधे हुए थे इसलिए मैं उसे वैसे ही उल्टा लटकाए रखता हूँ वो अपना मास्क खींच कर उतार देती है फिर मेरे अंडकोष पे अपनी ज़ुबान फेरते हुए उन दोनो को बारी बारी से चाट्ती है फिर उन्हें सूंघते हुए उन्हें चूस भी लेती है

मैं इस बीच माँ का चूत जो मेरे मुँह के एकदम सामने प्रस्तुत था उस पर अपनी नाक रगड़ते हुए उस पर ठूकते हुए उसे चाटने लगता हूँ "वाहह क्या छूट है माँ की?"......मैं बड़बड़ाता हुआ माँ की छूट को चाटते चुसते कहता हूँ तो माँ काँप उठती है...वो फिर हँसके मेरे लंड को भी हाथो में लेने की कोशिश करती है पर मेरे ज़्यादा हिलने से उसके चेहरे मेरे लंड पे घिस रहा होता है....

जब मैं उसे उठाए थक जाता हूँ तो उसे वापिस बिस्तर पे गिरा देता हूँ..इस बार माँ के कलाईयों से रस्सिया उतार फैंकता हूँ फिर उसकी लाल कलाईयों के निशानो पे चूमता हुआ उसके बगल में लेट जाता हूँ

"तुझे दर्द नही दे पाउन्गा मैं माँ कभी नही"........माँ इस बात को सुनती और मेरी आँखो में आँसू देख भावुक हो उठती है

"तो बेटा कर दे अपनी हसरत पूरी मैं खुद इजाज़त देती हूँ"...कहते हुए वो मुझसे लिपट जाती है अपनी टांगे खोल देती है एक टाँग मेरे जाँघ पे लपेट लेती है फिर नीचे से मैं चूत के मुंहाने में लंड को घिसते हुए घुसाने की जगह बना लेता हूँ

माँ मुझसे से लिपट जाती है...और उसके बाल मेरे चेहरे पे बिखर जाते है...उसके बाद चुदाई फिर शुरू हो जाती है...और माँ हिच हिच के मुझसे चुदने लगती है मैं नीचे से कुल्हो में ताक़त भरे उसकी चुदाई करने लग जाता हूँ...माँ इस बीच मेरी पीठ पे नाख़ून गाढ़ने लगती है मुझे खुद से लिपटा लेती है...

मैं उसकी गर्दन गाल गले चेहरे होंठ नाक माथा...जहाँ भी मन कर रहा था चुंबन लेते जा रहा था...माँ मुझसे लिपटे काम आलिंगन में जकड़ी मेरी दोनो जांघों पे अपनी टाँग फेरते हुए मुझे अपने कलेजे से लगा लेती है.."आहह आहह बेटा"......

."आहह मेरी अंजूमम्म मैन्न्न मॅर जौउू अगर तूऊ ना मिले तेरे लिए ही तो मैं हर दम दीवाना सा रहा हूँ तेरी जगह कोई नहिी ले सकता"........

"उफ़फ्फ़ उहह एम्म्म मैं भी तेरी बिना नही जी सकती जब तक साँसें है बॅस तूऊ उफ़फ्फ़".......माँ हन्फते हुए अपनी चूत के दर्द को बर्दाश्त किए मेरे से एक दम लिपट जाती है मैं उसकी टांगे हाथो से जकड़े धक्के तेज़ कर देता हूँ

और कुछ ही पल में अपना लंड बाहर निकाले उसके पेट पे अपने वीर्य की बूँदें छोड़ने लगता हूँ...माँ को अपने पेट पे बेटे के गरम वीर्य का अहसास होता है उसके बाद मैं खुद ही माँ से लिपट जाता हूँ मेरा वीर्य उसके पूरे बदन पे कयि जगह लग जाता है..हम दोनो कुछ देर तक वैसे ही हान्फ्ते रहे

आदम : और मेरी जान कैसा लगा?

अंजुम : उफ़फ्फ़ बहुत मज़ा आया अफ जान निकाल दी मेरी तूने

आदम : लेकिन माँ मुहब्बत प्यार से होती है आहिस्ते से ये सब तो दीवानगी है

अंजुम : मुझे तेरी ये दीवानगी भी क़बूल है
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